Swiss Grannies Case: स्विस महिलाओं ने जीता कोर्ट में Climate Case, जानें इस पूरे केस और इसके पीछे की बुजुर्ग महिलाओं के बारे में

KlimaSeniorinen Schweiz की स्थापना अगस्त 2016 में हुई थी. जब कुछ रिटायर्ड महिलाओं ने देखा कि जलवायु संकट बढ़ता जा रहा है और इसपर कोई ध्यान नहीं दे रहा है, तब उन्होंने इसके लिए कोई कदम उठाने का सोचा.

Swiss Women (Photo: Reuters)
अपूर्वा सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 11 अप्रैल 2024,
  • अपडेटेड 1:58 PM IST
  • 2016 में हुई स्थापना 
  • पर्यावरण से जुड़ी कानूनी लड़ाई

दुनियाभर में अब लोग पर्यावरण को लेकर जागरूक हो रहे हैं. इसी को देखते हुए कुछ समय पहले कुछ बुजुर्ग महिलाओं ने एक क्लाइमेट केस फाइल किया गया था. जिसमें अब उन्हें जीत मिली है. क्लाइमेट जस्टिस के लिए चल रही इस लड़ाई में ऐतिहासिक जीत मिली है. ये बुजुर्ग महिलाएं 64 साल और उससे ज्यादा उम्र की हैं. स्विस महिलाओं के इस ग्रुप में 2,000 से ज्यादा महिलाएं हैं. 

बुजुर्ग महिलाओं के इस ग्रुप को क्लिमासेनियोरिनन श्वेइज (KlimaSeniorinnen Schweiz) कहा जाता है. इसका मतलब है जलवायु संरक्षण के लिए स्विट्जरलैंड की वरिष्ठ महिलाएं. इन महिलाओं ने यूरोपीय मानवाधिकार कोर्ट में स्विट्जरलैंड की जलवायु नीतियों को चुनौती दी थी जिसमें अब कोर्ट का फैसला आ गया है. दरअसल, वहां की सरकार पिछले कुछ समय से पर्यावरण पर ध्यान नहीं दे रही थी. इसी को देखते हुए ये महिलाएं कोर्ट में सरकार के खिलाफ गईं .

2016 में हुई स्थापना 

KlimaSeniorinen Schweiz की स्थापना अगस्त 2016 में हुई थी. जब कुछ रिटायर्ड महिलाओं ने देखा कि जलवायु संकट बढ़ता जा रहा है और इसपर कोई ध्यान नहीं दे रहा है, तब उन्होंने इसके लिए कोई कदम उठाने का सोचा. इन रिटायर्ड महिलाओं ने मजबूत जलवायु कार्रवाई की वकालत करने के लिए एक यूनियन बनाई. इन महिलाओं ने सरकारों को पर्यावरण को लेकर जवाबदेह बनाने के मिशन पर काम शुरू कर दिया. 

स्विस वुमेन (फोटो क्रेडिट-रॉयटर्स)

पर्यावरण से जुड़ी कानूनी लड़ाई

क्लिमासेनिओरिनन श्वेइज ने स्विट्जरलैंड के खिलाफ एक ऐतिहासिक मुकदमा दायर किया. ये मुकदमा जलवायु परिवर्तन को संबोधित करने में सरकार की विफलता को लेकर था. उन्होंने इस मुकदमे में कहा कि पर्यावरण पर ध्यान न देना उनके जीवन और स्वास्थ्य के उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है. हालांकि, इस मामले को लेकर स्विस महिलाओं को शुरुआत में असफलताओं का सामना करना पड़ा. लेकिन वे पीछे नहीं हटीं. अब यूरोपीय मानवाधिकार कोर्ट ने इसको लेकर अपना फैसला सुना दिया है. जलवायु संकट के प्रति कोई कदम उठाने पर कोर्ट ने स्विट्जरलैंड की निंदा की है.

अदालत के इस फैसले को ऐतिहासिक कहा जा रहा है. इस फैसले की मदद से ये संदेश दिया गया है कि जलवायु संरक्षण या पर्यावरण की रक्षा करना मानव अधिकार का ही रूप है. 

(फोटो क्रेडिट-रॉयटर्स)

इन महिलाओं को कहा जा रहा है क्लाइमेट चैंपियन 

क्लिमासेनिओरिनेन श्वेइज में सबसे आगे दो महिलाएं हैं. ऐनी महरर और रोसमेरी वाइडलर-वाल्टी. इन दोनों के अटूट समर्पण ने ही इस पूरे  एसोसिएशन को हमेशा हिम्मत दी. ऐनी महरर की बात करें, तो ये एक अनुभवी पर्यावरणविद् और पूर्व सांसद, जलवायु आंदोलन में सबसे आगे जमीनी स्तर पर सक्रियता और नीति निर्माण में दशकों का अनुभव रखती हैं. वहीं रोसमेरी वायडलर-वाल्टी की पर्यावरण को लेकर अलग-अलग काम करती रहती हैं, साथ ही चेरनोबिल परमाणु आपदा और उसके बाद के पर्यावरणीय संकटों जैसी महत्वपूर्ण घटनाओं में रोसमेरी ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया था. 

अदालत का ऐतिहासिक निर्णय न केवल KlimaSeniorinnen Schweiz के अथक प्रयासों को दिखा रहा है. बल्कि दूसरे लोगों को भी क्लाइमेट जस्टिस से जुड़े आंदोलन को लेकर प्रेरित कर रही हैं. 
 

 

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