रूस का इस समय यूक्रेन से युद्ध चल रहा है. यूक्रेन की मदद के लिए अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी ने अत्याधुनिक टैंकों को भेजने का ऐलान किया है. ऐसे में रूस ने भी इन टैंकों का सामना करने के लिए अपने टी-90 टैंक को उतारा है. टी-90 रूस का मुख्य युद्धक टैंक है.
टी-90 मेन बैटल टैंक मुख्य युद्धक टैंक की पहली सीरीज है. इस टैंक को 1980 के दशक के मध्य से लेकर अंत तक डिजाइन किया गया था. इसे सोवियत काल के एक दूसरे टैंक टी-72बी का एक विस्तृत रूप भी करार दिया गया था. टी-72 टैंक को ओवरहाल करने के दौरान इसकी डिजाइन में कई बड़े सुधार किए गए. इसमें अत्याधुनिक डायनॉमिक प्रोटक्शन से लैस किया गया. इसके अलावा इस टैंक में, मजबूत इंजन, एंटी-टैंक मिसाइल सिस्टम की रेंजफाइंडर सिस्टम, एक वेल्डेड बुर्ज, बेहतर ढाल वाले मिश्र धातु का कवच, अपग्रेडेड फायर कंट्रोल सिस्टम, कम्यूनिकेशन और नेविगेशन उपकरण लगाया गया.
कैसे नाम पड़ा T-90
सोवियत काल के बाद निर्मित पहले रूसी टैंक के निर्माण की घोषणा करने की रूसी राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन की इच्छा के कारण टैंक को कथित तौर पर T-90 नाम मिला. टी-90 टैंक का वजन 46 से 48 टन के बीच है. यह टैंक 9.6 मीटर लंबा, 3.78 मीटर चौड़ा और जमीन से 2.22 मीटर ऊंचा है.
स्मूथबोर तोप लगी हुई
टी-90 टैंक में 2A46 125 mm/L48 स्मूथबोर तोप लगी हुई है. टी-90 टैंक जर्मनी के लैपर्ड टैंक से 500 मीटर ज्यादा यानी 4,000 मीटर तक की दूरी तक प्रभावी फायरिंग कर सकता है. आकार में छोटा होने के कारण टी-90 टैंक जंगल और पहाड़ी क्षेत्रों में भी तेजी से चल सकता है. इसे छोटे, सरल समग्र डिजाइन के कारण कम संसाधनों में अधिक टैंक बनाए जा सकते हैं. बिना वैकल्पिक फ्यूल टैंक के टी-90 अमेरिकी अब्राम्स की 425 किलोमीटर की तुलना में 550 किलोमीटर तक जा सकता है.
टी-90एम
टी-90एम टैंक T-90 सीरीज का नवीनतम वर्जन है. यह रूस का पहला टैंक है, जिसमें टैंक चालक दल की सुविधा के लिए एयर कंडीशनिंग, अत्याधुनिक स्टीयरिंग और ट्रांसमिशन सिस्टम लगाया गया है. इसमें मल्टी-लेयर आर्मर के साथ एक नया बुर्ज मॉड्यूल शामिल है. टी-90एम में क्रू कम्पार्टमेंट के बाहर गोला-बारूद रैक होने के कारण इसे बेहतर क्रू प्रोटेक्शन मिलती है. इस टैंक में पहले से बेहतर मेन गन 125 मिमी की 2A82 लगी हुई है. इसमें एक ऑटोमेटिक कलिना फायर कंट्रोल सिस्टम लगा हुआ है. इसमें रिमोटली ऑपरेटेड 12.7 मिमी कोर्ड मशीन गन, एक रिलीक्ट डायनेमिक डिफेंस सिस्टम और पांचवें जेनरेशन की डिजिटल कम्यूनिकेशन सिस्टम भी लगा है.
भारत के पास कितने टी-90 टैंक हैं
टी-90 दुनिया में सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला टैंक है. भारत के पास 1100 टी-90 भीष्म टैंक हैं. अल्जीरिया, अजरबैजान, इराक, सीरिया, तुर्कमेनिस्तान, युगांडा और वियतनाम में भी यह टैंक है. वर्तमान में भारत में तमिलनाडु के अवाडी की हैवी व्हीकल्स फैक्टरी में टी-90 टैंकों को तैयार किया जाता है. भारत को 2005 में इन टैंकों की डिलीवरी शुरू हुई थी. मौजूदा समय में भीष्म के अंदर लगने वाले कई सारे पार्ट्स स्वदेशी हैं. टी-90एस को भीष्म नाम दिया गया है. इसको और अधिक उन्नत बनाने के लिए रूस और फ्रांस का सहयोग लिया गया है.