इजरायल का दूसरा सबसे बड़ी आबादी वाला शहर तेल अवीव अब दुनिया का सबसे महंगा शहर बन गया है. कोरोना महामारी के दौरान दुनिया भर में तेजी से महंगाई बढ़ी और कई बड़े शहरों में वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में भारी उछाल आया.
तेल अवीव ने लगाई 5 छलांग
पिछले 12 महीनों में इजरायल के इस शहर ने पांच छलांग लगाई और 6वें स्थान से पहले नंबर पर आ गया. पिछले साल महंगे शहर में पेरिस, हॉन्ग कॉन्ग और जूरिच संयुक्त रूप से एक नंबर पर रहा था. इस बार तेल अवीव ने तीनों शहरों को पछाड़ दिया और पहला स्थान हासिल किया है. यह रैंकिंग इकोनॉमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट(Economist Intelligence Unit) की तरफ से जारी किया गया है.
पेरिस-सिंगापुर दूसरे नंबर पर
फ्रांस की राजधानी पेरिस इस बार सिंगापुर के साथ संयुक्त रूप से दूसरे नंबर पर रहा. वहीं, जूरिच और हॉन्ग कॉन्ग टॉप पांच में जगह बनाने में सफल रहे. दोनों शहर संयुक्त रूप से तीसरे नंबर पर रहे. न्यूयॉर्क छठे, जीनेवा सातवें, कोपहेगन, लॉस एंजेलिस और जापान का ओसाका भी टॉप 10 में जगह बनाने में सफल रहे.
पिछली बार की तुलना में तेल अवीव को 5 प्वॉइंट अधिक मिले
लंदन तीन छलांग लगाते हुए 17वें, सिडनी एक स्थान ऊपर 14वें और मेलबर्न दो स्थान ऊपर 16वें नंबर पर रहा. डॉलर की तुलना में इजरायली मुद्रा में हुए सुधार और वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में बढ़ोतरी की वजह से तेल अवीव ने पांच स्थानों की छलांग लगाई है. शराब और परिवहन के मामले में तेल अवीव दूसरे स्थान पर रहा. वहीं, पर्सनल केयर के मामले में पांचवें और मनोरंजन के मामले में यह शहर छठे स्थान पर रहा. पिछले बार की तुलना में इस शहर को पांच प्वाइंट अधिक मिले और यह नंबर एक स्थान पाने में सफल रहा.
लॉकडाउन से प्रभावित हुई कई शहरों की रैंकिंग
कोरोना की वजह से दुनिया के कई शहरों में लगे लंबे लॉकडाउन के चलते इस बार रैंकिंग में काफी बदलाव हुआ है. कई बड़े शहरों की रैंकिंग गिर गई है. वहीं, कई शहर रैंकिंग में ऊपर भी चढ़े हैं. कोरोना की वजह से वैश्विक अर्थव्यवस्था काफी प्रभावित हुई है और इसका असर भी महंगे शहर की रैंकिंग में जबरदस्त रूप से पड़ा है.
खाने-पीने की वस्तुएं हुई महंगी
दुनिया के कई देशों में खाने पीने की वस्तुओं काफी महंगी हो गई है. कोरोना के चलते लगे लॉकडाउन की वजह से व्यापार काफी प्रभावित हुआ और एक शहर से दूसरे शहरों में सामान नहीं पहुंच सके. लेबर की भी भारी कमी हो गई. सप्लाई चेन पर काफी असर पड़ा. पेट्रोल-डीजल समेत बाकी चीजों की कीमतें भी आसमान पर पहुंच गई.
अगस्त-सितंबर में दुनिया के 173 देशों के 50 हजार से ज्यादा सामानों की लिस्ट तैयार की गई. यह देखा गया कि लोकल मुद्रा के हिसाब से सभी चीजों की कीमत करीब 3.5 प्रतिशत बढ़ गई है. पिछले पांच सालों में सबसे ज्यादा तेजी से बढ़ी महंगाई का दर है. इस सर्वे में किराये की लागत भी शामिल है.