Indian couple built school in East Africa: ईस्ट अफ्रीका में है 'केरला ब्लॉक', जानिए कैसे इस भारतीय कपल ने बना दिया अफ्रीकी बच्चों के लिए स्कूल

Kerala Block in East Africa: एक भारतीय कपल ने ईस्ट अफ्रीका के देश, मलावी में गरीब छोटे बच्चों के लिए स्कूल बनाया है ताकि उन्हें दूर तक न जाना पड़े.

Arun and Sumi with kids (Photo: Facebook)
gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 09 जून 2023,
  • अपडेटेड 1:11 PM IST
  • 4 साल पहले गए थे मलावी 
  • बच्चों के लिए खाना पकाती हैं सुमी

अगर कोई भारतीय विदेश में काम कर रहा हो तो उसकी इज्जत ही अलग होती है. लेकिन आज हम आपको बता रहे हैं एक भारतीय कपल के बारे में जिन्होंने कुछ ऐसा किया है कि सिर्फ देश को ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया को उनपर नाज है. यह कहानी है केरल से ताल्लुक रखने वाले जोड़े अरुण अशोकन और सुमी की, जिन्होंने ईस्ट अफ्रीका के एक गांव में बच्चों के लिए ‘केरला ब्लॉक’ नामक एक स्कूल बनाया हैं.

ईस्ट अफ्रीका के देश, मलावी में अरुण और सुमी ने वहां के गांववालों के साथ मिलकर काम किया और 6-9 साल की आयु के गरीब अफ्रीकी बच्चों के लिए प्राथमिक स्कूल बनाया, ताकि उन्हें शिक्षा के लिए कई किलोमीटर चलकर न जाना पड़े. 

Arun and Sumi (Photo: Facebook)

4 साल पहले गए थे मलावी 
30 साल के अरुण अशोकन मलप्पुरम, केरला में जन्मे और पले-बढ़े. वह 4 साल पहले मलावी, ईस्ट अफ्रीका गए थे, जहां उन्हें निर्माण कंपनी के सुपरवाइजर के रुप में नौकरी मिली. लगभग 2 साल पहले, बांध निर्माण के काम के लिए उनका जाना चिसासिला गांव में हुआ. यहां उन्होंने देखा कि चिसासिला गांव के बच्चे एक झोपड़ीनूमा स्कूल में पढ़ रहे थे और कुछ तो एक पेड़ की छाया में बैठकर पढ़ रहे थे. यह गांववालों द्वारा स्थापित एक प्राथमिक स्कूल था, ताकि छोटे बच्चों को पढ़ाई के लिए दूर जाने की जरूरत ना पडे. 

इस तरह के दुखद हालात में छोटे बच्चों को पढ़ाई करते देखकर, अरुण को भारत के गांवों की याद आ गई. उन्होंने देखा कि बच्चे कितने परेशानी में पढ़ रहे हैं और उन्होंने कुछ करने की ठानी. हालांकि, उन्हें बीच में शादी के लिए केरल वापस आना पड़ा. शादी के बाद जब वह सुमी के साथ वापस मलावी गए तो सुमी ने इस काम में उनका पूरा साथ दिया. 

ऐसे शुरू हुआ काम
उन्होंने फैसला किया की वे छोटे बच्चों के लिए एक अच्छा- मजबूत स्कूल बनाएंगे. लेकिन समस्या थी फंडिंग. इस काम के लिए अरुण की सेविंग्स काफी नहीं थीं. ऐसे में उन्होंने, अपने एक दोस्त आशिक के साथ इस विचार को साझा किया और उसके दोस्त ने बिना कुछ ज्यादा सोचे समझे अरुण की मदद की. इसके बाद, अरुण और सुमी को अपने सिविल इंजीनियर दोस्त केनेथ फ्रांसिस से भी मदद मिली.

Arun with village kids (Photo: Facebook)

 

केरला ब्लॉक बनाने का रास्ता अरुण और सुमी के लिए असान नहीं था. उन्हें एक पूरी तरह से संचालित स्कूल बनाने के लिए लोगों की कमी थी. इसलिए इस कपल ने गांववालों से बात करने का फैसला लिया, जो बच्चों के लिए उनके सुंदर प्रयास से बहुत प्रभावित हुए और उनकी मदद के लिए आगे आए. बस यही नहीं, गांववालों ने अपने अपने हाथों से ईंटें भी बनाईं. ईंटें बनाने से लेकर, निर्माण कार्य और रंगाई, सब कुछ गांववालों के साथ मिलकर अरुण और सुमी ने खुद ही किया गया. 

बच्चों के लिए खाना पकाती हैं सुमी 
इस सबके दौरान अरुण और सुमी को गांववालों को व्यक्तिगत रूप से जानने और उनकी मुश्किलों को समझने का मौका मिला. अरुण और सुमी इस गांव के लिए अब बहुत खास हैं. हर कोई उन्हें परिवार की तरह रखता है. सुमी खुद बहुत बार बच्चों के लिए खाना बनाती हैं.  पहले गांववाले केले को उबालकर कच्चा खाते थे तो सुमी ने उन्हें केले के चिप्स बनाना सिखाया. साथ ही, उन्हें बताया कि कैसे इन चिप्स से बिजनेस किया जा सकता है.

Sumi feeding an african kid (Photo: Facebook)

 
अरुण और सुमि ने यूट्यूब चैनल भी शुरू किया है- ‘मलावी डायरीज़,’ जो पूरी तरह से चिसासिला गांव के काम को समर्पित हैं. इस भारतीय कपल और गांववालों के स्कूल बनाने के प्रयासों को देखकर, कई लोग उन्हें सर्पोट करने के लिए आए. उनके प्रयासों ने बहुत से लोगों को प्रेरित किया और वे भी इस महान काम में योगदान करना चाहते थे. 

अरुण और सुमी की मेहनत से 17 फरवरी 2023 को आखिरकार केरला ब्लॉक का उद्घाटन हुआ और इन छोटे बच्चों को जीवन में बड़े सपने देखने का मौका मिला. उन्होंने यह भी सुनिश्चित किया कि केरला ब्लॉक को सरकार कक्षा 8 तक की अनुमति दे ताकि बच्चों को परीक्षा देने दूर न जाना पड़े. अरुण और सुमी का काम वाकई काबिल-ए-तारीफ है. 


 

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