मिस्र के शर्म अल शेख में जलवायु सम्मेलन शुरू हो चुका है. जलवायु सम्मेलन सीओपी 27 की शुरुआत रविवार से हो चुकी है. शर्म अल शेख में जलवायु सम्मेलन 18 नवंबर तक चलेगा. इस सम्मेलन में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक सहित दुनिया के तमाम बड़े देशों के नेता होंगे. इस सम्मेलन में छह से 18 नवंबर तक होने वाली इस बैठक में भारत से केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव भी शामिल हो रहे है.
जलवायु सम्मेलन इन पर होगी चर्चा
मिस्र के शर्म अल शेख में हो रहे जलवायु सम्मेलन सीओपी 27 में दुनियाभर के नेता जलवायु परिवर्तन और इसके समाधान के मुद्दे पर चर्चा करेंगे. इस सम्मेलन में धरती का तापमान बढ़ने, अचानक बारिश और बाढ़ का प्रकोप, पूरी दुनिया में बढ़ती गर्मी और उसके चलते ग्लेशियर पिघल रहे है. इन समस्याओं का समाधान को लेकर चर्चा होगी.
भारत रखेगा अपनी ये बात
इसके साथ ही शर्म अल शेख में हो रहे जलवायु सम्मेलन सीओपी 27 फोकस क्लाइमेट फाइनेंस यानी जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए आर्थिक मदद देने पर भी चर्चा होगी. साथ ही जो देश विकसित या विकासशील है वह चाहते हैं कि विकसित और संसाधनों का सबसे ज्यादा इस्तेमाल करने वाले देश उनकी मदद करें. वहीं भारत भी चाहता है कि जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने के लिए दुनिया भर के देश मदद करें.
शर्म अल शेख शहर ऐसे बना मछली पकड़ने वाले गांव से सैन्य अड्डा
मिस्र का शर्म अल शेख शहर अकाबा की खाड़ी के तिरान के जलडमरूमध्य के तट पर स्थित है. यह पहले गांव हुआ करता था, जहां पर लोग मछली पकड़ा करते थे, लेकिन इसे अब मिस्र की नौसेना के लिए एक प्रमुख बंदरगाह और नौसैनिक अड्डे में बदल दिया गया है. जानकारी के अनुसार 1956 में स्वेज नहर की संकट के दौरान इसे इजरायल ने जीत लिया था और वह 1957 में मिस्र लौट आया था. इसपर इजराइल ने 1967 में फिर से कब्जा कर लिया था. 1979 में हुई मिस्र-इजरायल शांति संधि के बाद 1982 में सिनाई प्रायद्वीप मिस्र में वापस आने तक शर्म अल शेख पर इजराइल का कब्जा रहा. 1882 में जब यह फिर से मिस्र में मिला तो तत्कालीन राष्ट्रपति होस्नी मुबारक ने शर्म अल शेख को शांति के शहर के रूप में नामित किया. इसके साथ ही इस शहर को विकसित करने के लिए कई काम किए. जिसके चलते अब यह शहर एक अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल बन चुका है. इसके साथ ही इस शहर में मिस्र ने अपने नौसैनिक अड्डे में बदल दिया है.