बच्चों की परवरिश को लेकर हर माात-पिता चिंतित रहते हैं. उनकी सुरक्षा, सेहत और पढ़ाई-लिखाई को लेकर पैरेंट्स की चिंताएं लाजिमी हैं. लेकिन यूनिसेफ ने एक लिस्ट जारी की है, जिसमें दुनिया के उन देशों का जिक्र है, जो बच्चों की परवरिश के लिए सबसे बेहतरीन हैं. इन देशों में पैरेंट्स को बच्चों की परवरिश की चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है. यूनिसेफ की वर्ल्ड ऑफ द चाइल्ड रिपोर्ट में नीदरलैंड्स, स्पेन, जापान, एस्टोनिया और फिनलैंड को बच्चों के लिए सबसे बेहतर माना गया है. पॉल्यूशन और हेल्थ के पैमाने पर इस रिपोर्ट को बनाया गया है. इन देशों में तमाम सुविधाएं हैं, जिससे बच्चों की परवरिश अच्छी हो सके. चलिए आपको बताते हैं कि इन देशों में ऐसा क्या है, जिससे ये देश मिसाल बन गए हैं.
जापान-
साल 2020 में जापान बच्चों के सेहत के लिहाज से दुनिया में सबसे बेहतरीन देश था. हालांकि यूनिसेफ की हालिया रिपोर्ट में ये दूसरे नंबर पर है. इस देश में बच्चों की परवरिश के लिए शानदार माहौल है. बच्चों से विनम्र रहना जापानी समाज की संस्कृति है. जापान में बच्चों में मोटापा और शिशु मृत्युदर दुनिया में सबसे कम है. इस देश में शहरों में हरियाली और यातायात सुरक्षा बेहतरीन है. जापान मे 6 साल के बच्चे भी बस या ट्रेन से अकेले स्कूल जाते हैं. उनकी सुरक्षा को लेकर कोई डर नहीं है. पैरेंट्स को बच्चों की सुरक्षा की कोई चिंता नहीं है. उनको भरोसा है कि बच्चों सुरक्षित स्कूल और घर पहुंच जाएंगे. यूनिसेफ की रिपोर्ट के मुताबिक जापान में हत्याओं का मामला सबसे कम है. जापान में जल और वायु प्रदूषण का स्तर भी काफी कम है.
एस्टोनिया-
एस्टोनिया भी बच्चों की परवरिश के लिए बेहतरीन देश है. इस देश में बच्चों के खाने में पेस्टिसाइड की मात्रा दुनिया में सबसे कम है. अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन की अपेक्षा इस देश में अधिक हरियाली है. बच्चों को खेलने के लिए सुविधाएं हैं. एस्टोनिया की एजुकेशन सिस्टम बेहतरीन है. रोबोटिक्स और स्मार्ट टेबलेट के साथ खेल-खेल में पढ़ाई होती है. इस देश के बच्चों में एशिया के बाहर के किसी भी देश की तुलना बेहतर गणित, विज्ञान और साक्षरता कौशल है. ओईसीडी के रिपोर्ट के मुताबिक 5 साल का एस्टोनियाई बच्चा दूसरे बच्चों के साथ सहयोग करने और भावनाओं की पहचान करने में बेहतर है. एस्टोनिया में 100 दिन की मैटरनिटी लीव, 30 दिन का पैटरनिटी लीव मिलती है. इसके साथ ही माता-पिता को 475 दिनों के लिए सैलरी के साथ छुट्टी मिलती है.
स्पेन-
स्पेन भी बच्चों की परवरिश के लिए सबसे बेहतरीन जगह है. यूनिसेफ की रैंकिंग में इसे नंबर वन का दर्जा मिला है इस देश में बच्चे अगर किसी सार्वजनिक जगहों पर रोते हैं या चीखते हैं तो उनको कोई टोक नहीं सकता है. बच्चे परिवार के साथ हर जगह जाते हैं, ताकि उनको सामाजिक माहौल में ढलने का मौका मिले और वो नए दोस्त बना सकें. इस देश में बच्चे परिवार के साथ ज्यादा समय बिताते हैं. स्पेन में पैरेंटल लीव 16 हफ्ते की छुट्टी मिलती है. इस दौरान पूरी सैलरी भी मिलती है. इसके अलावा अगर मां चाहे तो 3 साल की छुट्टी भी ले सकती है. लेकिन उसके लिए सैलरी नहीं मिलेगी.
फिनलैंड-
यूनिसेफ की ताजा रिपोर्ट में चौथे नंबर पर फिनलैंड है. बच्चों की सेहत और उनके आसपास के माहौल के लिए फिनलैंड सबसे बेहतर जगह है. इस देश में बच्चों के पैरेंट्स और टीचर्स के बीच तालमेल बहुत ही अच्छा है. दोनों बच्चों को लेकर लगातार बातचीत करते हैं. इस देश के शहरों में हरियाली और पार्क बहुत ज्यादा हैं. बच्चे अपने परिवार के साथ ज्यादा वक्त बिताते हैं. फिनलैंड बच्चों की साक्षरता और मैथ स्किल में दुनिया के सबसे बेहतरीन देशों में से एक है.
नीदरलैंड्स-
यूनिसेफ की रिपोर्ट में बच्चों की परवरिश के लिए सबसे बेहतर देशों में टॉप पर नीदरलैंड्स है. ये देश बच्चों के मानसिक सेहत को ठीक रखने के लिए अच्छा काम करता है. इस देश के 15 साल के 10 में से 9 बच्चों का कहना है कि वो अपने जीवन से संतुष्ट हैं. जबकि 8 बच्चों का कहना है कि वो आसानी से दोस्त बना लेते हैं. नीदरलैंड्स में बच्चों को स्कूल के अलावा सार्वजनिक कार्यक्रमों में भी भेजा जाता है, ताकि वो एक-दूसरे से घुल-मिल सकें. ये बच्चों को शिक्षित करने का तरीका है. ग्रुप, क्लब और कम्युनिटी एक्टिविटीज उनकी जिंदगी का हिस्सा हैं.
नीदरलैंड्स में 16 हफ्ते मैटरनिटी लीव जरूरी है. इसकी पूरी सैलरी भी मिलती है. इसके अलावा पिता को सैलरी के साथ 6 हफ्ते तक छुट्टी मिलती है. इसके अलावा इस देश में नियम है कि जब तक बच्चा 8 साल का ना हो जाए, तब तक पैरेंट्स बिना सैलरी के छुट्टी पर जा सकते हैं.
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