अमेरिका में दिख रहे चीनी स्पाई बैलून को अमेरिकी सेना ने मार गिराया है. राष्ट्रपति जो बाइडेन के कहने पर ये एक्शन लिया गया है. सेना ने बैलून गिराने को इस तरह से प्लान किया कि बलून का मलबा समुद्र में गिरे और आम लोगों को नुकसान न हो.
3 फरवरी को पेंटागन के ब्रिगेडियर जनरल पैट राइडर ने कहा था कि हमें मिली रिपोर्ट्स के मुताबिक एक और बैलून लैटिन अमेरिका की तरफ से आ रहा है. हमारा अंदाजा है कि यह एक और जासूसी बैलून है, जो चीन का ही है. जिसके बाद चीन के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा था कि चीन ने कभी किसी देश की सीमा या एयरस्पेस का उल्लंघन नहीं किया है. चीन ने आरोप भी लगाया था कि अमेरिका के कुछ नेता और मीडिया इस घटना की आड़ में चीन की छवि बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं.
तीन बसों जितना था बलून का साइज
अमेरिका ने अभी तक बैलून के साइज पर आधिकारिक तौर पर कोई बयान नहीं दिया है. हालांकि, इसका पता लगाने के लिए मिलिट्री ने अपने 2 F-22 फाइटर जेट भेजे थे. जिसके बाद रिपोर्ट्स में आया कि बैलून तीन बसों जितना बड़ा था. वहीं पेंटागन के प्रवक्ता पैट राइडर ने कहा- बैलून सिविलियन एयर ट्रैफिक के ऊपर है इसलिए फिलहाल हमने बैलून को तबाह करने या इसे नीचे गिराने का फैसला नहीं लिया है.
चीन-अमेरिका के बिगड़े रिश्ते
अमेरिका के आसमान में चीन का जासूसी बैलून आने से दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संकट पैदा हो गया है. वहीं खबरों की मानें तो अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने चीन के दौरे को रद्द कर दिया है. वो रविवार से दो दिन के चीन के दौरे पर जाने वाले थे. उधर, चीन ने शुक्रवार को अपने बयान में कहा था कि जिसे अमेरिका खुफिया जानकारी इकट्ठा करने वाला जासूसी बैलून कह रहा है वो केवल एक सिविलियन एयरशिप है, जो अपने तय रूट से भटक गया है. इसका इस्तेमाल मौसम की जानकारी लेने के लिए किया जा सकता है.
अमेरिका भी करेगा चीन की घेराबंदी
अमेरिकी रक्षा विभाग ने गुरुवार को ही फिलीपींस में सैनिक अड्डे बढ़ाने का फैसला किया. रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि चीनी सेना को घेरने और ताइवान पर हमले की स्थिति में एक्शन के लिए यह जरूरी है.