Basij Militia of Iran: इराक से युद्ध लड़ने के लिए खड़ी की गई थी सेना, अब सुप्रीम लीडर के इशारे पर लागू करती है इस्लामिक कानून... जानिए क्या है ईरान बसीज मिलिशिया

इस मिलिशिया ने करीब दो साल पहले हुए महसा अमीनी विरोध प्रदर्शनों को काबू करने में भी अहम भूमिका निभाई थी. यह अर्धसैनिक बल फिलहाल सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह खामेनेई के इशारे पर काम करता है. क्या है बसीज का इतिहास, आइए जानते हैं.

A member of Basij paramilitary forces attends a rally in support of Palestinians, in Tehran, Iran, October 13, 2023. (Photo: Reuters)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 04 नवंबर 2024,
  • अपडेटेड 3:28 PM IST

तेहरान आज़ाद यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड रिसर्च में एक लड़की के इनरवियर में घूमते हुए वीडियो वायरल होने के बाद ईरान की बसीज मिलिशिया एक बार फिर चर्चा में आ गई है. 

सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि बिना कपड़ों के घूमती हुई एक लड़की को पुलिस अधिकारियों की एक कार घटनास्थल से ले जाती है. दरअसल ईरान में नैतिकता को लेकर कुछ विशेष कानून बने हैं, जिन्हें कायम रखने का जिम्मा यहां की बसीज सेना को भी दिया गया है.

क्या है बसीज सेना?
जिस वीडियो में उस गुमनाम लड़की को गिरफ्तार करते हुए देखा जा सकता है उसे कुछ दूरी से शूट किया गया है. वीडियो में देखकर कहना मुश्किल है कि लड़की को कौनसा सुरक्षा बल गिरफ्तार कर रहा है. लेकिन संभावना जताई जा रही है कि यह बसीज सेना (Basij Militia) है. बसीज फारसी का शब्द है, जिसका अर्थ है 'जुटाना' या संगठित करना. बसीज इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) के भीतर एक अर्धसैनिक स्वयंसेवक मिलिशिया है और इसकी पांच शाखाओं में से एक है. इस सेना के एक सदस्य को बसीजी कहा जाता है. 

बसीज का पूरा नाम दरअसल साज़मान-ए-बसीज-ए-मोस्ताज़अफ़ीन है. यानी पीड़ितों को संगठित करने वाली ऑर्गेनाइजेशन. यह सेना 1979 में, यानी ईरानी क्रांति के एक साल बाद अस्तित्व में आई थी. खामेनेई ने उस समय इस सेना में शामिल गरीब और पिछले हुए ईरानियों से ईरान-इराक युद्ध में लड़ने का आह्वान किया था. हालांकि 1981 में इसे रेवोल्यूशनरी गार्ड में शामिल कर लिया गया.

सुप्रीम लीडर की है खास
बसीज इस मायने में भी खास है कि यह सीधा ईरान के सुप्रीम लीडर से आदेश लेती है. इसका गठन ईरान के तत्कालीन सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह खुमैनी ने किया था. ईरान और इराक के बीच 80 के दशक में हुए युद्ध में खुमैनी बसीज को 'दो करोड़ लोगों' की सेना भी कहा करते थे. इससे मुराद थी कि बसीज में ईरान के 75 प्रतिशत लोग हैं. 

खुमैनी कहा करते थे कि जिस देश की आबादी के दो करोड़ लोग उसकी सेना में हों उसे हराया नहीं जा सकता. वर्तमान में बसीज सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह खामेनेई से आदेश लेती है. और अब इसके काम करने का तरीका भी बहुत हद तक बदल गया है. 

अब कैसे काम करती है 'ताकतवर' बसीज
करीब चार दशक बाद बसीज की सूरत बदल चुकी है. आज इस बल में प्रमुख रूप से युवा ईरानी शामिल हैं. ये आमतौर पर ईरान के समाज के पारंपरिक रूप से धार्मिक और राजनीतिक तबकों से आते हैं. ये युवा अक्सर बसीज का हिस्सा बनने के साथ मिलने वाले फायदों के बदले में स्वेच्छा से काम करते हैं. 

बसीज की ताकत का इस बात से लगाया जा सकता है कि ईरान के लगभग हर शहर और कस्बे में इनकी मौजूदगी है. बसीज का प्रमुख काम है समाज को ईरानी शासन के काबू, या लॉ एंड ऑर्डर को बरकरार रखना. ये सामाजिक जगहों पर एक नैतिकता पुलिस के तौर पर भी काम करते हैं. खास तौर पर ये सरकार के खिलाफ होने वाले किसी भी प्रोटेस्ट को दबाने में खास भूमिका निभाते हैं.

साल 2009 के इलेक्शन प्रोटेस्ट (Iranian Election Protest 2009), 2017-18 के विरोध प्रदर्शन और 2022-2023 के महसा अमिनी प्रोटेस्ट (Mahsa Amini Protest 2022-23) के खिलाफ भी बसीज की अहम भूमिका रही थी. 

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