Cipher Case: पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को सिफर मामले में कोर्ट ने सुनाई 10 साल की सजा, राजनीतिक करियर का क्या होगा

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान और पूर्व विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी को मंगलवार को इस्लामाबाद की एक विशेष कोर्ट ने सिफर मामले में 10-10 साल जेल की सजा सुनाई. ये सजा डिप्लोमैटिक केबल मामले में सुनाई गई है जिसे सिफर केस के नाम से जाना जाता है.

Imran Khan
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 31 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 6:58 PM IST

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान और पूर्व विदेश मंत्री शाह महमूद कुरेशी को मंगलवार (30 जनवरी) को Cipher मामले में एक विशेष अदालत ने 10-10 साल की जेल की सजा सुनाई. इमरान और शाह महमूद दोनों को दस्तावेज़ को सार्वजनिक करने का दोषी पाया गया है. हालांकि अभी उनके पास ऊपरी अदालत में अपील करने के रास्ता है. लेकिन जिस तरह से सेना और उनका झगड़ा चल रहा है, माना जा रहा है कि अदालतों से उन्हें कोई खास राहत नहीं मिलेगी. पाकिस्तान की संघीय जांच एजेंसी (FIA) ने मामले में चार्जशीट दायर की थी.

सिफर मामला 2022 की शुरुआत में वाशिंगटन में पाकिस्तान के राजदूत द्वारा इस्लामाबाद भेजे गए एक वर्गीकृत केबल के खुलासे से संबंधित है. इमरान ने दावा किया है कि यह केबल 2022 में संसदीय चुनाव में उन्हें बाहर करने के लिए पाकिस्तानी सेना पर दबाव डालने की अमेरिकी साजिश का सबूत है, उन्होंने इसकी सामग्री को सार्वजनिक रूप से प्रकट करने से इनकार कर दिया है. 

क्या है सिफर मामला?
71 साल के इमरान खान को पिछले साल मार्च में वाशिंगटन में पाकिस्तान के दूतावास द्वारा भेजे गए एक गुप्त राजनयिक केबल (सिफर) को लीक करने के मामले में आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया था, जिसके बाद इसी साल अगस्त में पूर्व पीएम को गिरफ्तार किया गया था. बता दें कि सिफर या डिप्लोमैटिक केबल वह संवाद होता है जो विदेशी मिशन की तरफ से अपने देश को भेजा जाता है. इसमें सभी तरह की बातचीत की जानकारी होती है, जिसको डिकोड कर उसको पढ़ा जाता है.

कब दर्ज हुआ मामला
सिफर मामला पहली बार 27 मार्च, 2022 को सामने आया था. अप्रैल, 2022 में इमरान खान को सत्ता से हटाए जाने के बाद उन्होंने एक सार्वजनिक रैली की थी. इस दौरान उन्होंने रैली को संबोधित करते हुए भीड़ के सामने एक पत्र को लहराते हुए दावा किया था कि विदेशी ताकतों ने उन्हें सत्ता से हटाने के लिए साजिश रची थी. इस दौरान उन्होंने आरोप लगाया था कि उनके राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों ने साजिश के तहत पीटीआई सरकार को उखाड़ फेंका है. संघीय जांच एजेंसी ने 71 वर्षीय खान और 67 वर्षीय पूर्व विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी के खिलाफ पिछले साल 15 अगस्त को मामला दर्ज किया था, जिसमें दोनों पर मार्च 2022 में वाशिंगटन में पाकिस्तान दूतावास द्वारा भेजे गए केबल को संभालने के दौरान गोपनीयता कानूनों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया था.

अभी जेल में हैं इमरान
हालांकि इमरान ने खुद को निर्दोष बताने की कोई कोशिश नहीं छोड़ी. खान ने अपनी बेगुनाही बरकरार रखते हुए कहा कि उन्होंने दस्तावेज़ की सटीक सामग्री का खुलासा नहीं किया है. अमेरिका और पाकिस्तान सरकार ने आरोपों से इनकार किया है. पार्टी के एक वरिष्ठ नेता शाह महमूद क़ुरैशी को भी राजनीतिक लाभ हासिल करने के लिए राजनयिक केबल की सामग्री में हेरफेर करने के लिए दोषी ठहराया गया और 10 साल की सज़ा मिली. यह फैसला 8 फरवरी को होने वाले आम चुनाव से पहले सुनाया गया. इमरान खान, वर्तमान में रावलपिंडी जेल में बंद हैं. उनके खिलाफ 150 से अधिक अन्य मामले अभी भी लंबित हैं.

पूर्व प्रधान मंत्री के खिलाफ अन्य आरोपों में अदालत की अवमानना ​​से लेकर आतंकवाद और हिंसा भड़काना शामिल है.पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी ने मुकदमे को दिखावा बताकर खारिज कर दिया और उनकी कानूनी टीम बुधवार को इस्लामाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष सजा के खिलाफ अपील करने की योजना बना रही है.

राजनीतिक करियर का क्या होगा
बता दें कि इमरान खान पहले से ही तोशाखाना भ्रष्टाचार मामले में 3 साल की सजा काट रहे हैं. इसके साथ ही उनपर 5 साल तक उनके चुनाव लड़ने की भी पाबंदी है. उन्होंने आगामी चुनाव (8 फरवरी) के लिए नामंकन किया था जिसे अयोग्य करार देते हुए रद्द कर दिया गया. हालांकि, तोशाखाना मामले में सजा निलंबित है और उनको जमानत भी मिल गई थी. हालांकि उनके जेल से बाहर आने के पहले ही उन्हें सिफर केस में गिरफ़्तार कर लिया गया.


 

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