Thailand connection to Ayodhya: थाईलैंड में भी है एक 'अयोध्या,' जानिए रामनगरी से इसका कनेक्शन

Thailand connection to Ayodhya: क्या आपको पता है कि थाईलैंड के एक शहर का राम की नगरी अयोध्या से बहुत ही गहरा संबंध है. और यह संबंध कई सदी पुराना है.

Ayutthaya in Thailand
gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 11 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 2:43 PM IST

अयुत्या, थाईलैंड में स्थित एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है, जो अपने आश्चर्यजनक मंदिरों, खंडहरों और थाई, खमेर और बर्मी वास्तुकला के प्रभावशाली मिश्रण के लिए सबसे प्रसिद्ध है. अयुत्या हमेशा से ही इतिहास प्रेमियों और यात्रियों के लिए एक आकर्षक डेस्टिनेशन रहा है. विशेष रूप से भारतीय टूरिस्ट्स के लिए, क्योंकि अयुत्या और भारत के प्राचीन भारतीय शहर अयोध्या, जिसका अपना इतिहास है, दोनों के बीच अविश्वसनीय संबंध मिलता है. 

1350 में हुई थी स्थापना 
अयुत्या के प्राचीन शहर की स्थापना 1350 में रामथिबोडी प्रथम ने की थी. चार शताब्दियों से ज्यादा समय तक, अयुत्या शहर ने सियामी साम्राज्य (वर्तमान थाईलैंड) की दूसरी राजधानी के रूप में कार्य किया, और समय के साथ, यह एक शक्तिशाली और महानगरीय व्यापारिक केंद्र के रूप में विकसित हुआ. चाओ फ्राया नदी के किनारे बसे इस शहर की रणनीतिक स्थिति ने निश्चित रूप से समुद्री व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को आसान बनाया. 

अयुत्या और अयोध्या न केवल सुनने में एक जैसे लगते हैं, बल्कि ये दोनों शहर सांस्कृतिक और धार्मिक संबंध भी साझा करते हैं. बहुत से विद्वान और इतिहासकारों ने दोनों शहरों के बीच संभावित संबंध का पता लगाने के लिए ऐतिहासिक आख्यानों पर शोध किया है. 

क्या है कनेक्शन
अयुत्या में, थेरवाद बौद्ध धर्म और हिंदू-ब्राह्मण परंपराओं का सुंदर मिश्रण देखा जा सकता है. यह मिश्रण क्षेत्र की सांस्कृतिक और धार्मिक विविधता को दर्शाता है. अयुत्या के प्राचीन शहर का नाम राम की जन्मस्थली अयोध्या के नाम पर रखा गया है, जो हिंदू धर्म और रामायण से संबंध स्थापित करता है. अयुत्या के पहले शासक राजा रामथिबोडी ने क्षेत्र की संस्कृति पर रामायण के प्रभाव को दर्शाते हुए शहर का नाम रखा. बाद के राजाओं, जिनमें चक्री वंश के राजा भी शामिल थे, ने राम नाम अपनाया, जिससे भगवान राम के साथ संबंध और भी मजबूत हो गया.

जो बात अयुत्या को आकर्षक बनाती है वह है रामकियेन. दरअसल, रामायण को बौद्ध मिशनरियों ने दक्षिण पूर्व एशिया में पेश किया था. इसे फिर थाई संस्करण में रूपांतरित किया गया था जिसे रामकियेन के नाम से जाना जाता है. यह अयुत्या साम्राज्य के दौरान हुआ था. इस प्रकार हम थाई संस्कृति पर राम के जीवन के प्रभाव को देखते हैं.

उत्तर प्रदेश के अयोध्या में होने वाले राम मंदिर के अभिषेक के लिए अयुत्या से मिट्टी लाई गई है. यह थाईलैंड के अयुत्या और भारत के अयोध्या के बीच संबंध को और मजबूत करता है.

 

Read more!

RECOMMENDED