One Belt One Road Project: SCO मीटिंग में OBOR के समर्थन से India का इनकार... क्या है China का वन बेल्ट वन रोड प्रोजेक्ट

One Belt One Road Project: शंघाई सहयोग संगठन (Shanghai Cooperation Organisation) की मीटिंग में भारत ने वन बेल्ट, वन रोड (OBOR) का समर्थन करने से इनकार कर दिया. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि एससीओ के तहत कनेक्टिविटी और कारोबार का सहयोग, क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता को मान्यता देना चाहिए और ये एकतरफा एजेंडे पर आधारित नहीं होना चाहिए. वन बेल्ट वन रोड परियोजना साल 2013 में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने शुरू की थी. इसके जरिए एशिया, यूरोप और अफ्रीका को जोड़ने का प्लान है.

S Jaishankar with other leaders during the 23rd meeting of the SCO CouncilS Jaishankar with other leaders during the 23rd meeting of the SCO Council
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 17 अक्टूबर 2024,
  • अपडेटेड 1:36 PM IST

भारत ने एक बार फिर शंघाई सहयोग संगठन (SCO) में चीन के वन बेल्ट, वन रोड (OBOR) प्रोजेक्ट का समर्थन करने से इनकार कर दिया. भारत का मानना है कि यह प्रोजेक्ट भारतीय कंपनियों के लिए समान मौके प्रदान नहीं करती है. भारत ने पहले भी एससीओ बैठकों में ओबीओआर प्रोजेक्ट के समर्थन से परहेज किया है.

भारत काफी समय से चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे का विरोध करता रहा है. CPEC ओबीओआर का ही हिस्सा है. चीन ने कई बार आमंत्रित किया है, इसके बावजूद भारत ने कभी OBOR पर सिग्नेचर नहीं किया है.

संप्रभुता को मान्यता देना चाहिए- जयशंकर
बैठक में पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ ने BRI, CPEC और इटरनेशनल साउथ कॉरिडोर जैसे प्रोजेक्ट का विस्तार कर एससीओ कनेक्टिविटी ढांचे के निर्माण का आह्वान किया. इसके बाद भारतीय विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि SCO के तहत कनेक्टिविटी और कारोबार पर सहयोग, क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता को मान्यता देना चाहिए और एकतरफा एजेंडे पर आधारित नहीं होना चाहिए.

क्या है वन बेल्ट वन रोड प्रोजेक्ट-
वन बेल्ट वन रोड परियोजना साल 2013 में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने शुरू की थी. इसे सिल्क रोड इकोनॉमिक बेल्ट और 21 सदी के समुद्री सिल्क रोड के तौर पर भी जाना जाता है. यह कनेक्टिविटी पर केंद्रित विकास परियोजना है. इस परियोजना के तहत एशिया, यूरोप और अफ्रीका को सड़क, रेल, बंदरगाह से जोड़ने का प्लान है.

भारत क्यों करता है इस प्रोजेक्ट का विरोध-
वन बेल्ट, वन रोड चीन का सबसे महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है. इसका बजट 10 खरब अमेरिकी डॉलर है. भारत इस प्रोजेक्ट का विरोध करता रहा है. चलिए आपको बताते हैं कि भारत के विरोध का क्या कारण है.

वन बेल्ट, वन रोड का एक हिस्सा चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा है, जो पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से गुजरता है. जबकि कश्मीर भारत का हिस्सा है. इसलिए इस इलाके में चीन के शामिल होने पर भारत को ऐतराज है.

लद्दाख के एक बड़े हिस्से पर चीन का कब्जा है. उसके पश्चिम में पाकिस्तान ने अपने कब्जे वाले हिस्से का बड़ा इलाका चीन को दे दिया है. उसके बाद से ही पाकिस्तान वाले कश्मीर में चीन का दखल बढ़ता गया है. PoK विवाद में चीन की भूमिका बढ़ती जा रही है.

चीन दुनिया की दो तिहाई आबादी को अपनी अर्थव्यवस्था से जोड़ना चाहता है. ऐसे में जब चीन का घरेलू डिमांड घट रहा है तो उसे अपनी विकास की सोच को पूरा करने के लिए दूसरे देशों की तरफ तेजी से बढ़ना ही होगा. वन बेल्ट वन रोड के जरिए चीन सस्ते उत्पादों को दुनिया के बाजारों तक पहुंचा पाएगा. इसके जरिए चीन अपना आर्थिक साम्राज्य बढ़ाना चाहता है.

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