युद्ध की आग में फूल खिलाने की करते हैं कोशिश, भारत लेता है बढ़-चढ़कर हिस्सा... जानिए कौन होते हैं UN Peacekeepers, जिनपर इजराइल के हमले की हो रही है निंदा

UN Peacekeeping Force: शांति रक्षक उर्फ पीसकीपर्स (Peacekeepers) संयुक्त राष्ट्र के दूत हैं जो युद्ध से जूझ रहे देशों में मदद देने का काम करते हैं. इजराइल ने हाल ही में लेबनान में यूएन शांति सैनिकों को अपने हमलों का निशाना बनाया है. ये पीसकीपर्स कौन हैं और लेबनान में क्यों हैं, पढ़िए.

900 से ज्यादा लेबनान में यूएन के शांति रक्षक बनकर तैनात हैं.
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 16 अक्टूबर 2024,
  • अपडेटेड 4:52 PM IST

लेबनान में संयुक्त राष्ट्र के शांति रक्षकों पर हमला करने के लिए इजराइल अंतरराष्ट्रीय समुदाय के निशाने पर आ गया है. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (United Nations Security Council) ने तो शांति रक्षकों की सुरक्षा की मांग की ही है. भारत सहित 35 देशों ने भी इजराइल के इस कदम की कड़ी निंदा की है. खास बात यह है कि इन सभी देशों के नागरिक संयुक्त राष्ट्र की शांति सेना का हिस्सा हैं. यानी इस तरह के हमलों से भारतीय नागरिकों की जान को भी संभावित खतरा है. 

कौन हैं ये शांति सैनिक?
शांति रक्षक उर्फ पीसकीपर्स (Peacekeepers) संयुक्त राष्ट्र के दूत हैं जो युद्ध से जूझ रहे देशों में मदद देने का काम करते हैं. शांति रक्षक नागरिक भी हो सकते हैं, सैनिक भी और पुलिस कर्मी भी. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, जैसे-जैसे शांतिरक्षा के काम मुश्किल होते जा रहे हैं, वैसे ही शांतिरक्षकों की भूमिकाएं और जिम्मेदारियां भी बढ़ती और बदलती जा रही हैं. 

शांति सेना का अभियान सिर्फ युद्धविराम की निगरानी तक ही सीमित नहीं है. बल्कि नागरिकों की रक्षा करना, पूर्व लड़ाकों को निहत्था करना, मानवाधिकारों की रक्षा करना, कानून के शासन को बढ़ावा देना और स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनावों का समर्थन करना भी इनके काम का हिस्सा है. बीते वर्षों में जरूरतों को ध्यान में रखते हुए यूएन शांति सेना ने कई भूमिकाएं निभाई हैं. 

शांति सेना में आगे रहा है भारत का नाम
भारत हमेशा उन देशों में रहा है जिन्होंने सबसे ज्यादा सैनिक और नागरिक शांति सेना में भेजे हैं. जुलाई 2024 के आंकड़ों के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र की शांति सेना में भारत के 5,427 सैनिक, नागरिक, पुलिसकर्मी और विशेषज्ञ मौजूद हैं. भारत इस समय सबसे ज्यादा यूएन शांति रक्षक दुनियाभर में भेजने के मामले में चौथे नंबर पर है. लिस्ट में सबसे ऊपर नेपाल (6119), दूसरे नंबर पर रवांडा (5876) और तीसरे नंबर पर बांग्लादेश (5866) है. 

कुछ समय पहले संयुक्त राष्ट्र ने भारत सरकार के साथ मिलकर शांति सेना में जान गंवाने वाले भारतीयों को सम्मानित भी किया था. उप सेना प्रमुख, लेफ्टिनेंट जनरल राकेश कपूर और भारत में संयुक्त राष्ट्र की अंतरिम रेजिडेंट समन्वयक एंड्रिया वोज्नार ने अंतरराष्ट्रीय शांति की खोज में मारे गए भारत के 179 संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों को श्रद्धांजलि देने के लिए राष्ट्रीय युद्ध संग्रहालय में पुष्पांजलि अर्पित की थी.

लेबनान में क्यों हैं शांति रक्षक?
लेबनान में मौजूद शांति रक्षक संयुक्त राष्ट्र अंतरिम लेबनान बल (United Nations Interim Lebanon Force) उर्फ यूनिफिल (UNIFIL) का हिस्सा हैं. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने मार्च 1978 में लेबनान पर इजराइल के हमले के बाद यूनिफिल को तैनात किया था. यूएन का लक्ष्य था क्षेत्र इजराइल को लेबनान से हटाना और इलाके में शांति स्थापित करना. 

लेबनान में यूनिफिल का गठन 1978 में किया गया था.

यूएन के अनुसार, यूनिफिल को तीन उद्देश्यों को पूरा करने के लिए लेबनान में तैनात किया गया था, "इजरायली सेना की वापसी की पुष्टि करना, अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बहाल करना, क्षेत्र में अपने प्रभावी अधिकार की वापसी सुनिश्चित करने में लेबनान सरकार की सहायता करना." यूनिफिल इजराइल के बॉर्डर के पास दक्षिणी लेबनान में मौजूद है इसलिए इसकी मौजूदगी हिजबुल्लाह से जुड़े कई स्थानों पर भी है. 

खास बात यह है कि शांतिरक्षक सैनिक नहीं होते. भले ही वे अपने देश में सैनिक रहे हों लेकिन शांति मिशनों पर वे युद्ध में शामिल नहीं हो सकते. शांतिरक्षकों को निष्पक्ष रहना होता है और वे केवल किसी देश की सहमति से ही वहां उपस्थित हो सकते हैं. बात करें यूनिफिल की तो यह फोर्स 1982 और 2006 के लेबनान युद्धों में भी नागरिकों की सुरक्षा में अहम भूमिका निभा चुका है. 

क्या इनकी सुरक्षा के लिए है कोई कानून?
अंतरराष्ट्रीय क्रिमिनल कोर्ट (ICC) के रोम कानून और प्रथागत अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानूनों के अनुसार जब तक शांति मिशन में शामिल वर्कर सुरक्षा के हकदार हैं तब तक उनके खिलाफ हमले का निर्देश नहीं दिया जा सकता. इजराइल के हालिया हमलों ने इसी अंतर्राष्ट्रीय कानून का उल्लंघन किया है. 

गौरतलब है कि यूनिफिल में 50 देशों के 10,000 से ज्यादा शांति सैनिक शामिल हैं. दो सितंबर तक 903 भारतीय इस दल का हिस्सा थे. दुनियाभर में 1948 के बाद से अब तक 4,398 शांति रक्षक मारे जा चुके हैं. अगर इजराइल दक्षिणी लेबनान में यूनिफिल हेडक्वार्टर पर हमले जारी रखता है तो इन सैनिकों की जान को खतरा हो सकता है. 

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