Who is Kash Patel: Al-Qaeda के खिलाफ लड़ा केस, भ्रष्टाचार के रहे हैं आलोचक.... जानिए कौन हैं ट्रम्प के चुने हुए नए FBI Director कश्यप काश पटेल

काश ने रिचमंड यूनिवर्सिटी में समय बिताने और न्यूयॉर्क में पेस यूनिवर्सिटी से कानून की डिग्री लेने के बाद यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन फैकल्टी ऑफ लॉज़ से अंतरराष्ट्रीय कानून में प्रमाण पत्र हासिल किया. इसके बाद उन्होंने फ्लोरिडा के मियामी-डेड काउंटी में एक सार्वजनिक वकील के तौर पर अपना करियर शुरू किया.

ट्रम्प के राष्ट्रपति चुनाव अभियान के दौरान एक रैली में बोलते हुए काश पटेल
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 01 दिसंबर 2024,
  • अपडेटेड 9:34 AM IST
  • पेशे से वकील हैं काश पटेल
  • एफबीआई की आलोचना में लिख चुके हैं किताब

अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारतीय मूल के कश्यप 'काश' पटेल (Kashyap Kash Patel) को फेडरल ब्यूरो ऑफ इनवेस्टिगेशन (FBI) का नया डायरेक्टर नियुक्त किया है. ट्रम्प ने अपने ट्रुथ सोशल अकाउंट पर रविवार को यह जानकारी दी.

ट्रम्प ने लिखा, "काश एक बेहतरीन वकील, जांचकर्ता, और अमेरिका को आगे रखने वाले योद्धा हैं जिन्होंने अपना करियर भ्रष्टाचार को उजागर करते हुए, सच की रक्षा करते हुए और अमेरिकियों को सुरक्षित रखते हुए गुजारा है. उन्होंने रूस-रूस के छल को हराने में अहम भूमिका निभाई और सत्य, जवाबदेही और संविधान के एक रक्षक बनकर खड़े रहे."

कश्यप इससे पहले अमेरिकी रक्षा मंत्री के चीफ ऑफ स्टाफ भी रह चुके हैं. ट्रम्प ने एफबीआई के डायरेक्टर जैसी बड़ी जिम्मेदारी जिस भारतीय मूल के व्यक्ति को दी है, आइए डालते हैं उनके करियर पर एक नजर.

ऐसा रहा है वकालत का करियर 
काश ने रिचमंड यूनिवर्सिटी में समय बिताने और न्यूयॉर्क में पेस यूनिवर्सिटी से कानून की डिग्री लेने के बाद यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन फैकल्टी ऑफ लॉज़ से अंतरराष्ट्रीय कानून में प्रमाण पत्र हासिल किया. इसके बाद उन्होंने फ्लोरिडा के मियामी-डेड काउंटी में एक सार्वजनिक वकील के तौर पर अपना करियर शुरू किया. साल 2014 में पटेल न्याय विभाग के राष्ट्रीय सुरक्षा प्रभाग में एक सरकारी वकील बन गए.

इस भूमिका में उन्होंने अल-कायदा, आईएसआईएस और अन्य आतंकवादी समूहों के सदस्यों के खिलाफ कार्रवाई का नेतृत्व किया. पटेल ने सरकार में कई भूमिकाएं निभाई हैं. वह हाल ही में रक्षा विभाग के चीफ ऑफ़ स्टाफ़ रहने के अलावा ट्रम्प के पहले कार्यकाल के दौरान उनके उप सहायक भी थे. पेंटागन में अपने कार्यकाल से पहले पटेल ने राष्ट्रीय खुफिया के उप निदेशक और राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद में राष्ट्रपति के उप सहायक के रूप में काम किया. 

'रूस-रूस-रूस के झूठ का पर्दाफाश...' 
ट्रम्प प्रशासन में शामिल होने से पहले पटेल राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और हाउस परमानेंट सेलेक्ट कमेटी ऑन इंटेलिजेंस (HPSCI) के वरिष्ठ वकील भी रहे. उस समय आरोप लगाए जाते थे कि ट्रम्प की 2016 की चुनावी जीत में रूस का हस्तक्षेप था. इस भूमिका में रहते हुए पटेल ने 2016 के चुनाव में रूसी हस्तक्षेप की हाउस जांच की देखरेख करने में मदद की. फॉक्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने ट्रम्प के चुनावी अभियान पर एफबीआई और न्याय विभाग की गैरकानूनी निगरानी का पर्दाफाश किया. 

एफबीआई अध्यक्ष के तौर पर क्या कर सकते हैं पटेल?
पटेल को बड़े तौर पर ट्रम्प के कट्टर वफादार के रूप में देखा जाता है. जो एजेंसी के भीतर ट्रम्प के वांछित सुधारों को लागू करेंगे. पहले ट्रम्प प्रशासन के दौरान उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद में आतंकवाद निरोध के लिए सीनियर डायरेक्टर के पद पर काम किया था. और बाद में 2020-2021 तक कार्यवाहक रक्षा सचिव क्रिस्टोफर मिलर के चीफ ऑफ स्टाफ के रूप में काम किया था. 

पटेल ब्यूरोक्रेसी में भ्रष्टाचार के कट्टर आलोचक भी रहे हैं. साल 2023 में उन्होंने "गवर्नमेंट गैंगस्टर्स: द डीप स्टेट, द ट्रुथ, एंड द बैटल फॉर अवर डेमोक्रेसी" (Government Gangsters: The Deep State, The Truth, and the battle for our Democracy" नाम से एक किताब लिखी थी. जो "स्थायी सरकारी नौकरशाही के भीतर प्रमुख खिलाड़ियों और रणनीति" पर गहराई से चर्चा करती है. 

मीडिया आउटलेट्स ने पटेल को "बेहद विवादास्पद चयन" करार दिया है. एमएसएनबीसी के मॉर्निंग जो ने उन्हें "न्याय विभाग और एफबीआई के बारे में अमेरिकी दक्षिणपंथियों के गुस्से का रूप" बताया है. पटेल ने कुछ समय पहले "द शॉन रयान शो" के साथ एक इंटरव्यू में कहा था, "मैं पहले दिन ही एफबीआई हूवर बिल्डिंग को बंद कर दूंगा और अगले दिन से उसे डीप स्टेट का म्यूजियम बनाकर फिर से खोल दूंगा."  

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