प्रभावशाली शिया धर्मगुरु मुक्तदा अल-सदर (Muqtada al-Sadr) के राजनीति से संन्यास लेने के ऐलान के बाद से इराक के हालात बिगड़ गए हैं. उनके इस फैसले से उनके समर्थकों में नाराजगी बढ़ गई और वे सड़कों पर उतर आए है. जगह-जगह उग्र प्रदर्शन हो रहे हैं. मुक्तदा अल-सदर ने सोमवार को एक ट्वीट करके राजनीति से संन्यास लेने और अपने पार्टी कार्यालयों को भी बंद करने का एलान किया था. शिया धर्मगुरू मुक्तदा अल-सदर के समर्थन में हो रहे विरोध प्रदर्शनों के बीच इराकी सेना ने सोमवार को चार बजे शाम से देशव्यापी कर्फ्यू की घोषणा कर दी है.
कौन हैं मुक़्तदा अल-सदर (Muqtada al-Sadr)
मुक़्तदा अल-सदर बेहद लोकप्रिय और सत्ता में दमखम रखने वाले धार्मिक नेता रहे हैं. ईरान विरोधी एजेंडे के साथ वे इराक के राजनीतिक परिदृश्य में एक शक्तिशाली व्यक्तित्व के रूप में उभरे हैं. वे ईरान की ओर से इराक में दखलंदाजी के खिलाफ रहे हैं. वह ग्रैंड अयातुल्ला सैय्यद मुहम्मद मुहम्मद-सादिक अल-सदर के बेटे हैं, जिनकी 1999 में सद्दाम हुसैन ने हत्या कर दी थी.
गुस्सैल स्वाभाव के हैं अल-सदर
1974 में जन्मे अल-सदर (Muqtada al-Sadr) के करीबियों का कहना है कि वे जल्दी ही नाराज हो जाते हैं. अल-सदर अपने पिता और अपने ससुर के विचारों से बहुत प्रभावित हैं. साल 2003 में सद्दाम हुसैन के पतन के बाद अल-सदर चर्चा में आए थे. अल-सदर ने अल-सद्रिस्ट आंदोलन की शुरूआत की थी, उन्हें पूरे इराक में शिया समुदाय के गरीबों का समर्थन प्राप्त है. अल-सद्रिस्ट आंदोलन में हिस्सा लेने वाले लोगों को मुक्तदा अल-सदर ने इराक के विभिन्न मंत्रालयों में वरिष्ठ पदों पर नियुक्त किया गया है. यहां तक कि इराक के केंद्रीय बैंक में भी उन्होंने अपनी पसंद के लोगों को नियुक्त किया है.
क्यों हो रहा बवाल
अक्टूबर 2021 के आम चुनाव में अल-सदर के गुट ने इराक के 73 सीटें जीती थीं, जिससे यह संसद में सबसे बड़ा गुट बन गया, लेकिन इराक का राष्ट्रपति बनने के लिए जरूरी बहुमत न जुटा पाने की वजह से मुक्तदा अल-सदर ने सरकार बनाने की बातचीत से खुद को बाहर कर लिया था. इराक में पिछले 10 महीने से कोई सरकार नहीं है. इस वजह से वहां राजनीतिक अराजकता की स्थिति बन गई है. इराक में नई सरकार के गठन को लेकर एक महीने से गतिरोध चल रहा है. सदर अब जल्द चुनाव कराने और संसद को भंग करने की मांग कर रहे थे.