कौन है Myanmar का तानाशाह Min Aung Hlaing, जिसने 4 लोकतंत्र समर्थकों को फांसी पर लटकाया

म्यांमार की सैन्य सरकार ने 4 लोकतंत्र समर्थकों को फांसी पर लटका दिया है. फरवरी 2021 में तानाशाह मिन आंग ह्वाइंग ने म्यांमार में लोकतंत्र को खत्म कर दिया था और सत्ता पर कब्जा कर लिया था. उसके बाद से लगातार लोकतंत्र समर्थकों के खिलाफ हिंसा हो रही है.

Min Aung Hlaing
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 26 जुलाई 2022,
  • अपडेटेड 12:56 PM IST
  • तानाशाह मिन आंग ह्वाइंग की है कानून की पढ़ाई
  • हत्या, नरसंहार के लिए जाना जाता है तानाशाह

म्यांमार में लोकतंत्र के 4 समर्थनों को फांसी पर लटका दिया गया है. पचास सालों में पहली बार ऐसा हुआ है कि जब किसी कैदी को फांसी दी गई है. म्यामांर के सरकारी अखबार मिरर डेली के मुताबिक मिन आंग ह्वाइंग की सैन्य सरकार ने चार राजनीतिक बंदियों को फांसी दे दी है. जिसमें नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी के पूर्व सांसद फ्यो जेया थाव, 53 साल के क्वान मिन यू, ह्वा म्यो ओंग और ओंग थुरा जो फांसी दी गई है. 
इसको लेकर तानाशाह के खिलाफ आम लोगों में गुस्सा है. फरवरी 2021 में सेना ने तख्तापलट किया था और सत्ता पर कब्जा कर लिया था. म्यांमार की सत्ता जनरल मिन आंग ह्वाइंग के हाथों में आ गई है. सेना के जनरल 64 साल के मिन आंग ह्वाइंग जुलाई 2021 में रिटायर होने वाले थे. लेकिन इससे पहले ही फरवरी की शुरुआत में तख्तापलट कर दिया और म्यांमार में आपातकाल लगा दिया.

कौन है तानाशाह मिन आंग ह्वाइंग-
मिन ह्वाइंग यंगून यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की है. वो साल 1972 से 1974 तक कानून के छात्र रहे. मिन ह्वाइंग सेना में शामिल होने के दौरान दो बार असफल हो चुके थे. लेकिन तीसरी कोशिश में नेशनल डिफेंस एकेडमी में प्रवेश मिल गया. ह्वाइंग ने सेना में पैदल सैनिक से जनरल तक का सफर तय किया. साल 2009 में ह्वाइंग को ब्यरो ऑफ स्पेशल ऑपरेशन-2 के कमांडर बनाए गए. अगस्त 2010 में ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ बने. इसके कुछ दिनों बाद ही साल 2011 के मार्च में सेना की कमान अपने हाथों में ले ली. म्यांमार में सेना पहले भी बहुत ताकतवर रही है. लेकिन लोकतांत्रिक व्यवस्था लागू होने के बाद राजनीतिक बदलाव आया. ह्वाइंग के समय में ही म्यांमार में लोकतंत्र की स्थापना हुई थी. लेकिन ह्वाइंग ने म्यांमार की सेना तत्मडा की ताकत कम नहीं होने दी.

ह्वाइंग पर हत्या, रेप के भी लगे आरोप-
जब मिन आंग ह्वाइंग ब्यूरो ऑफ स्पेशल ऑपरेशन-2 के कमांडर बने तो उन्होंने पूर्वी म्यांमार में सैन्य अभियानों की अगुवाई की. उनके अभियानों की वजह से अल्पसंख्यक शरणार्थियों को पूर्वी शान प्रांत और कोकांग क्षेत्र छोड़कर भागना पड़ा. इस दौरान ह्वाइंग की सेना पर हत्या, रेप जैसे आरोप भी लगे. लेकिन उनपर इसका कोई असर नहीं हुआ. 

रोहिंग्या के खिलाफ खूनी अभियान-
साल 2016-117 में मिन ह्वाइंग की सेना ने उत्तरी रखाइन में रोहिंग्या के खिलाफ खूनी अभियान चलाया था. जिसमे हजारों रोहिंग्या मारे गए थे. इस अभियान की वजह से रोहिंग्या मुसलमानों को म्यांमार छोड़कर भागना पड़ा था. सेना पर मुसलमानों की बर्बर हत्या, रेप और लूटपाट जैसे आरोप लगे थे. मुसलमानों को घरों में बंद करके आग लगाने के भी आरोप लगे थे. रोहिग्या महिलाओं के साथ बर्बरता के भी आरोप लगे. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद तक ने ह्वाइंग के खिलाफ युद्ध अपराधों के लिए जांच की बात कही. इस नरसंहार की वजह से ह्वाइंग पर साल 2019 में अमेरिका ने बैन लगा दिया. इसके बाद साल 2020 में ब्रिटेन ने भी ह्वाइंग पर प्रतिबंध लगा दिए. 

ह्वाइंग ने कैसे किया सत्ता पर कब्जा-
साल 2020 में म्यांमार में आम चुनाव हुए. जिसमें नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी ने बड़ी जीत हासिल की. जबकि सेना समर्थक पार्टी यूएसडीपी को हार का सामना करना पड़ा. हार के बाद यूएसडीपी ने चुनाव में धांधली के आरोप लगाए. अभी नई सरकार ने शपथ ग्रहण भी नहीं किया था. इससे पहले ही 1 फरवरी को सेना ने स्टेट काउंसलर आंग सान सू ची और राष्ट्रपति विन म्यिंट को हिरासत में ले लिया और देश में आपातकाल लागू कर दिया. उसके बाद से अब तक आपातकाल लागू है.

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