Manisha Rupeta: कहानी उस महिला की जिसने घरवालों से छुपकर की परीक्षा की तैयारी...बनीं पाकिस्तान की पहली हिंदू महिला DSP

एक महिला का डीएसपी बनना वो भी पाकिस्तान में वाकई अपने आप में बड़ी बात है. मनीषा के परिवार में जहां हर कोई मेडिकल लाइन में है वहां उन्होंने हमेशा से पुलिस ऑफिसर बनने का सपना देखा. अपनी मेहनत और लगन के दम पर उन्होंने आज ये मुकाम हासिल किया.

gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 28 जुलाई 2022,
  • अपडेटेड 3:25 PM IST
  • कराची के सबसे दुर्गम इलाके में ली ट्रेनिंग
  • आयोग की परीक्षा की तैयारी में करती हैं मदद

पाकिस्तान के पिछड़े और छोटे इलाके की एक हिंदू लड़की ने वो कारनामा कर दिखाया जिसके बारे में शायद ही कोई सोच सकता था.लडकी का नाम मनीषा रूपेता है और वो देश की पहली हिंदू लड़की है जो डीएसपी बनी हैं. सिंध लोक सेवा आयोग की परीक्षा पास करना और डीएसपी बनना अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है.

13 साल की उम्र में पिता का निधन
मनीषा रूपेता को ये उपलब्धि हासिल करने के लिए काफी संघर्ष से गुजरना पड़ा. छोटे और पिछड़े जिले जाकूबाबाद निवासी मनीषा के पिता का 13 साल की उम्र में निधन हो गया था. जाकूकाबाद में बच्चों की पढ़ाई के लिए उतने मौके नहीं थी. मां ने तब हिम्मत की और और अपने पांच बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए कराची आ गईं.

मेडिकल प्रोफेशन में हैं सभी भाई-बहन
अपने संघर्ष के दिनों को याद करते हुए मनीषा कहती हैं कि जकूबाबाद में लड़कियों को अपने अनुसार पढ़ने-लिखने की अनुमति नहीं थी. अगर किसी को पढ़ना ही था तो उसे सिर्फ मेडिसिन की पढ़ाई करने की इजाजत थी, लेकिन मनीषा का दिल हमेशा पुलिस की नौकरी करने का था. मनीषा की तीन बहनें एमबीबीएस डॉक्टर हैं, जबकि उनका इकलौता और छोटा भाई भी मेडिकल मैनेजमेंट की पढ़ाई कर रहा है.

छुप के की परीक्षा की तैयारी
बहनों की तरह मनीषा ने भी एमबीबीएस की परीक्षा दी, लेकिन नंबर कम आए और वो पास नहीं हुईं. इसके बाद उन्होंने डॉक्टर ऑफ फिजिकल थैरेपी की डिग्री ली. लेकिन पुलिस की वर्दी से अधिक लगाव होने के कारण उन्होंने चुपचाप सिंध लोक सेवा आयोग की परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी. अपनी मेहनत के दम पर उन्होंने लोक सेवा आयोग की परीक्षा में सफलता हासिल कर 16वीं रैंक प्राप्त की. 

थाने में नहीं जाती थीं महिलाएं
मनीषा ने बताया कि पाकिस्तान में आमतौर पर महिलाएं थानों और अदालतों के अंदर नहीं जाती हैं. वहां महिलाएं अगर आती भी थीं तो उनके साथ हमेश कोई न कोई पुरुष होता था. वहां यह धारणा थी कि अच्छे परिवारों की लड़कियां थाने नहीं जातीं, जिसे मुझे बदलना था. पुलिस के पेशे ने मुझे हमेशा आकर्षित और प्रेरित किया. मैंने हमेशा महसूस किया है कि यह पेशा महिलाओं की स्थिति को और अधिक सशक्त बनाता है.

कराची के सबसे दुर्गम इलाके में ली ट्रेनिंग
मनीषा ने कहा, 'मेरा मानना ​​है कि ज्यादातर पीड़ित महिलाएं होती हैं, इसलिए उनकी सुरक्षा के लिए महिलाएं भी होनी चाहिए. यही वह प्रेरणा है जो मैं हमेशा से पुलिस बल का हिस्सा बनना चाहता था." स्वतंत्र रूप से डीएसपी का प्रभार संभालने से पहले मनीषा ने कराची के सबसे दुर्गम इलाके ल्यारी में ट्रेनिंग ली थी. मनीषा इस क्षेत्र में पुलिस विभाग में अधिकारी बनने वाली पहली महिला हैं. उन्होंने एएसपी आतिफ आमिर की देखरेख में ट्रेनिंग ली. आमिर का मानना ​​है कि महिला पुलिस अधिकारियों की संख्या बढ़ने से पुलिस विभाग की छवि बदलने में मदद मिलेगी.उन्होंने कहा, 'इससे ​​हमें पुलिस की मानव विरोधी छवि को मिटाने का मौका मिलेगा. मनीषा जैसे पुलिस अधिकारी समाज में पुलिस की अच्छी छवि बनाने में मदद करेंगे.

आयोग की परीक्षा की तैयारी में करती हैं मदद
मनीषा नौकरी के अलावा एक अकादमी में लोक सेवा आयोग की परीक्षा की तैयारी भी करवाती हैं. इस बारे में उन्होंने कहा, "यह मेरे लिए बहुत प्रेरणादायी है, क्योंकि मुझे लगता है कि मेरा मार्गदर्शन कुछ लड़कियों को आगे बढ़ने में मदद कर सकता है." मनीषा का मानना ​​है कि पुलिस एक ऐसी सेवा है जो लिंग और धर्म से परे जाती है. उन्होंने उम्मीद जताई कि आने वाले दिनों में अल्पसंख्यक समुदाय की अधिक से अधिक महिलाएं पुलिस विभाग में शामिल होंगी.

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