17 साल में कम्युनिस्ट बनने वाले टीचर के हाथ में आई नेपाल की सत्ता की चाबी, जानिए पुष्प कुमार दहल उर्फ प्रचंड की कहानी

नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के अध्यक्ष पुष्पा कमल दहल प्रचंड को संघीय लोकतांत्रिक गणराज्य नेपाल के पहले प्रधानमंत्री थे और इस बार भी बताया जा रहा है कि नेपाल की सत्ता उनके हाथ आ सकती है.

Pushpa Kamal Dahal
gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 21 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 1:25 PM IST
  • शिक्षक रहे हैं पुष्प कमल दहल
  • खत्म की 237 साल पुरानी राजशाही

नेपाल के सत्तारूढ़ गठबंधन के सहयोगी सीपीएन-माओवादी सेंटर के अध्यक्ष पुष्प कमल दहल "प्रचंड" ने हाल ही में दावा किया कि उनकी पार्टी के पास अगली सरकार बनाने की चाबी है. प्रचंड ने सीपीएन-एमसी से संबद्ध वर्किंग जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन, प्रेस सेंटर नेपाल द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि उनकी पार्टी राष्ट्रीय राजनीति में प्रमुख एक्टर्स में से एक है. 

प्रचंड ने यह भी दावा किया कि उनकी पार्टी के पास 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा (HOR) में 60 सीटों पर कमांड करने की शक्ति है।.सीपीएन-एमसी को कुल मिलाकर 32 सीटें मिली हैं, 18 सीधे चुनाव से और 14 आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति से मिली हैं. 

कौन हैं पुष्प कमल दहल "प्रचंड"
पुष्प कमल दहल नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री होने के साथ-साथ विद्रोही नेता भी रहे हैं. उन्होंने माओवादी विद्रोह का नेतृत्व किया और नेपाल की राजशाही को समाप्त कर देश को एक लोकतांत्रिक गणराज्य के रूप में स्थापित किया. इस लोकतांत्रिक देश के वह पहले प्रधानमंत्री बने थे. पहले वह 2008-09 और फिर 2016-17 तक प्रधानमंत्री रहे. 

प्रचंड का जन्म मध्य नेपाल के पहाड़ी कास्की जिले में एक गरीब किसान परिवार में हुआ था. 11 साल की उम्र में वह अपने परिवार के साथ चितवन जिले में चले गए और वहां एक स्कूली शिक्षक ने उन्हें कम्यूनिज्म की तरफ आगे बढ़ाया. साल 1975 में उन्होंने चितवन जिले के रामपुर में कृषि और पशु विज्ञान संस्थान से स्नातक किया. 

शिक्षक रहे हैं पुष्प कमल दहल
राजनीति में आने से पहले प्रचंड शिक्षक थे. साल 1972 में, उन्होंने चितवन के शिव नगर के एक स्कूल में पढ़ाया और फिर 1976 से 1978 तक नवलपरासी के डंडा हायर सेकेंडरी स्कूल और गोरखा के भीमोडाया हायर सेकेंडरी स्कूल में शिक्षक थे. 1975 में वह यूएसएआईडी के लिए काम कर रहे थे.

साल 1981 में पुष्प कमल दहल नेपाल की अंडरग्राउंड कम्युनिस्ट पार्टी (चौथा सम्मेलन) में शामिल हो गए. वह 1989 में नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी (मशाल) के महासचिव बने और यह पार्टी बाद में नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) बन गई. 1990 में लोकतंत्र की बहाली के बाद भी प्रचंड अंडरग्राउंड थे. उन्हें ज्यादा लोग नहीं जानते थे और वह पार्टी के गुप्त विंग को नियंत्रित कर रहे थे. और बाबूराम भट्टाराई ने संसद में यूनाइटेड पीपुल्स फ्रंट का प्रतिनिधित्व किया.

खत्म की 237 साल पुरानी राजशाही
सीपीएन (माओवादी) ने 13 फरवरी, 1996 को कई पुलिस स्टेशनों पर हमले के साथ राजशाही को खत्म करने के लिए अपना विद्रोही अभियान शुरू किया. विद्रोह के 10 वर्षों के दौरान, प्रचंड अंडरग्राउंड रहे और तब 8 साल उन्होंने भारत में बिताए. उनके अभियान ने नेपाल की 237 साल पुरानी राजशाही को समाप्त कर दिया. 

जून 2006 में प्रधान मंत्री गिरिजा प्रसाद कोइराला और विपक्षी नेताओं के साथ देश की नई सरकार के निर्माण पर बातचीत करने के लिए एक बैठक में प्रचंड ने अपनी सार्वजनिक उपस्थिति दी. और उनकी लोकप्रियता बढ़ने लगी. नवंबर 2006 में व्यापक शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने से, सीपीएन (माओवादी) ने प्रचंड को नई सरकार के प्रमुख के रूप में स्थापित करने के लिए काम किया. 

लोकतांत्रिक देश के पहले पीएम 
प्रचंड के नेतृत्व में, सीपीएन (माओवादी) ने 10 अप्रैल, 2008 के चुनावों में 220 सीटें जीतीं और 601 सदस्यीय संविधान सभा में सबसे बड़ी पार्टी बन गई. अगले महीने नई विधानसभा ने नेपाल को एक लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित करने के लिए मतदान किया, जिससे राजशाही समाप्त हो गई और 15 अगस्त को प्रचंड प्रधान मंत्री चुने गए. 

हालांकि, वह ज्यादा दिन इस पद पर न रह सके. उन्होंने 2009 में इस्तीफा दे दिया. इसके बाद वह साल 2016 में एक बार फिर प्रधानमंत्री बने. उनकी पार्टी ने नेपाली कांग्रेस पार्टी के साथ सत्ता-साझाकरण समझौता भी किया. उस समझौते की शर्तों के अनुसार, मई 2017 में प्रचंड ने पद छोड़ दिया और नेपाली कांग्रेस के नेता शेर बहादुर देउबा ने उनका स्थान लिया. हालांकि, अब आगे देखना यह है कि इस बार नेपाल की सत्ता किसके हाथ जाएगी. 

 

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