Bangladesh Reservation Protest: बंग्लादेश में हजारों स्टूडेंट्स सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन कर रहे हैं. स्टूडेंट्स सरकारी नौकरियों में आरक्षण के फैसले का विरोध कर रहे हैं. प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा में अब तक 39 लोगों की मौत हो चुकी है और हजारों लोग घायल हैं.
बंग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना(Sheikh Hasina) ने लोगों से शांति की अपील की लेकिन हिंसा में कोई कमी नहीं आई. बंग्लादेश सरकार ने देश में कानून व्यवस्था को कायम रखने के लिए सभी यूनिवर्सिटीज और कॉलेज कैंपस को बंद करवा दिए हैं.
प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कहा कि जो लोग भी मौतों के जिम्मेदार हैं उनको सजा दी जाएगी. इससे पहले प्रधानमंत्री शेख हसीना ने प्रदर्शनकारियों को रजाकार कहा था. बंगलादेश में इसका मतलब- आतंकवादी है. 1971 की जंग में रजाकार उन लोगों को कहा जाता था जिन्होंने पाकिस्तान का साथ दिया था.
प्रधानमंत्री शेख हसीना ने सरकारी नौकरियों में आरक्षण को लेकर हो रहे प्रदर्शन को लेकर बीते रविवार को कहा- क्या स्वतंत्रता सेनानियों के बच्चे और पोते टैलेंटेड नहीं हैं? क्या सिर्फ रजाकारों के बच्चे और पोते ही प्रतिभाशाली हैं?"
बंग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस बयान के बाद से हिंसा और ज्यादा बिगड़ गई. आइए जानते हैं कि बंग्लादेश में हजारों स्टूडेंट्स सड़कों पर प्रदर्शन क्यों कर रहे हैं?
बंग्लादेश का आरक्षण सिस्टम
साल 1971 में पाकिस्तान से अलग होकर बंग्लादेश बना. साल 1972 में बंग्लादेश में रिजर्वेशन सिस्टम लागू हुआ. इस सिस्टम के मुताबिक, 56 फीसदी सरकारी नौकरियां अलग-अलग कैटेगरी के लिए रिजर्व थीं.
रिजर्वेशन सिस्टम में 30 प्रतिशत नौकरियां बंग्लादेश के स्वतंत्रता सेनानियों की फैमिली के सदस्यों के लिए रिजर्व थीं. इसमें 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध में शामिल हुए लोगों के परिवार भी शामिल हैं.
बंग्लादेश के इस रिजर्वेशन में से महिलाओं को 10 फीसदी आरक्षण मिलता था. वहीं आदिवासी समुदाय के लोगों को 5 प्रतिशत और विकलांग व्यक्तियों के लिए 1 फीसदी रिजर्वेशन रिजर्व था.
2018 में प्रदर्शन
बंग्लादेश में स्टूडेंट्स का मानना है कि सरकारी नौकरियों में पहली प्राथमिकता स्टूडेंट्स को मिलनी चाहिए. साल 2018 में स्टूडेंट्स और टीचर्स ने सरकारी नौकरियों में 56 प्रतिशत रिजर्वेशन को घटाकर 10 फीसदी करने की मांग को लेकर लंबा प्रदर्शन किया.
स्टूडेंट्स का ये प्रदर्शन चार महीने लंबा चला और हिंसा भी हुई. काफी लंबे प्रदर्शन के बाद 2018 में बंग्लादेश की शेख हसीना सरकार ने रिजर्वेशन को खत्म कर दिया था.
हाईकोर्ट का फैसला
बीती 5 जून 2024 को बंग्लादेश हाईकोर्ट ने हसीना सरकार के 2018 के फैसले को निरस्त कर दिया. इसका मतलब है कि बंग्लादेश में फिर से स्वतंत्रता सेनानियों के परिवार के सदस्यों को सरकारी नौकरियों में रिजर्वेशन मिलेगा.
शुरु में इस फैसले के खिलाफ छोटे-छोटे प्रदर्शन हुए. हाल ही में 7 जुलाई को बंग्लादेश बंद करने का ऐलान किया गया. इसके बाद से प्रदर्शन पूरे देश में फैलने लगा.
स्टूडेंट्स की मांग
बंग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना की अपील के बाद सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को आगामी 7 अगस्त तक निलंबित कर दिया. छात्रों की मांग है कि सरकारी नौकरियों में कुल रिजर्वेशन को सीमित कर 5 फीसदी किया जाए.
इस हफ्ते रिजर्वेशन विरोधी संगठनों और शेख हसीना की पार्टी आवाम लीग के स्टूडेंट विंग के बीच कई जगहों पर झड़प हुई.
हिंसा को देखते हुए सरकार ने सभी विश्वविद्यालयों को बंद करने का आदेश दिया है. इसके अलावा सरकार ने मोबाइल इंटरनेट पर भी पाबंदी लगा दी है.
भारत सरकार ने बंग्लादेश में रहने वाले अपने नागरिकों के लिए एडवाइजरी जारी की है.