China Private Army: क्यों एक बार फिर से चीनी कंपनियां बना रही हैं प्राइवेट आर्मी?

1970 के दशक के बाद से ये काफी हद तक बंद हो गई थी. लेकिन अब फिर से प्राइवेट आर्मी का बनना चीन की सामाजिक स्थिरता और राष्ट्रीय सुरक्षा के ऊपर सवाल उठा रहा है. 

China Army
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 22 फरवरी 2024,
  • अपडेटेड 12:10 PM IST
  • पीपुल्स आर्म्ड फोर्सेज की स्थापना 
  • चीन में बढ़ रही है लोगों के बीच अशांति

चीन फिर से अपने पुराने तौर-तरीकों पर लौट रहा है. एक बार फिर से चीन में कंपनियां कथित तौर पर वालंटियर आर्मी बना रही हैं. ये 1970 के दशक में काफी आम थी. देश की कई प्राइवेट फर्म ने पिछले साल में इन-हाउस फाइटिंग फाॅर्स की स्थापना की है. फाइनेंशियल टाइम्स (FT) की रिपोर्ट के अनुसार, ऐसी प्राइवेट मिलिट्री यूनिट माओत्से तुंग युग के समय में बनाई जाती थीं. लेकिन अब एक बार फिर से ऐसा किया जा रहा है. 

पीपुल्स आर्म्ड फोर्सेज की स्थापना 

बता दें, इन प्राइवेट मिलिट्री यूनिट्स को पीपुल्स आर्म्ड फोर्सेज (PAF) के रूप में जाना जाता है. 1970 के दशक के बाद से ये काफी हद तक बंद हो गई थी. लेकिन अब फिर से प्राइवेट आर्मी का बनना चीन की सामाजिक स्थिरता और राष्ट्रीय सुरक्षा के ऊपर सवाल उठा रही है. 

पीपुल्स आर्म्ड फोर्सेज क्या है?

दरअसल, अमेरिका के नेशनल गार्ड के समान ही पीपुल्स आर्म्ड फोर्स सिविलियन वॉलंटियर होते हैं. ये वॉलंटियर चीन की सेना के लिए रिजर्व सेनिकों के रूप में काम करते हैं. मूल रूप से माओ जेडॉन्ग के शासन (Mao Zedong's rule) के दौरान इन्हें बनाया जाता था. इन सैनिकों को ग्रामीण और शहरी समुदायों से लाया जाता था. इनका काम कम्युनिस्ट पार्टी के निर्देशों का पालन करना और आम जनता से उन नियमों का पालन करवाना होता था. 

चीन में बढ़ रही है लोगों के बीच अशांति

चीन की आर्थिक मंदी और बढ़ते सामाजिक असंतोष ने घरेलू स्थिरता और भूराजनीतिक तनाव को लेकर कम्युनिस्ट पार्टी के अंदर चिंताओं को बढ़ा दिया है. कॉर्पोरेट सैनिकों का फिर से आना राष्ट्रपति शी जिनपिंग के नियंत्रण को मजबूत करने और कोविड​​​​-19 महामारी, आर्थिक मंदी से बढ़ी सामाजिक अशांति को संबोधित करने के प्रयासों को दिखाता है. 

बता दें, चीन लोगों के बीच अशांति का माहौल है. आर्थिक अनिश्चितता की वजह से श्रमिक हड़ताल कर रहे हैं. दिन प्रतिदिन लोगों का ये विरोध प्रदर्शनों बढ़ता जा रहा है. चीन लेबर बुलेटिन के अनुसार, 2023 में श्रमिक हड़तालें दोगुनी से ज्यादा हो गई हैं. ये संख्या अब बढ़कर 1,794 तक हो गई है. 

क्या है इन सेनाओं का काम?
 
ऐसे में इन प्राइवेट सेनाओं को देश की आंतरिक शांति के लिए बनाया जाता है. ये सेनाएं सुनिश्चित करती है कि सभी लोग सरकार के निर्देशों का पालन करें. साथ ही विरोध प्रदर्शनों और श्रमिक हड़तालों के खिलाफ इन सेनाओं को तैनात किया जाता है.

विशेषज्ञों का मानना ​​है कि इन प्राइवेट सेनाओं की प्राथमिक भूमिका घरेलू स्थिरता बनाए रखना और कंपनियों, समाज और सुरक्षा बलों के बीच एक माध्यम के रूप में काम करना होता है. हालांकि बाहरी संघर्षों से निपटने का इनका कोई इरादा नहीं है. इन सेनाओं को केवल आंतरिक मसलों को हल करने के लिए ही बनाया जाता है. 

 

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