Rishi Sunak के PM बनते ही UK-India FTA deal पर जोर-शोर से बढ़ा काम, जानिए क्या होगा फायदा

UK-India FTA deal: ब्रिटिश सरकार का अनुमान है कि एफटीए होने से दोनों देशों के बीच 2035 तक कुल व्यापार में करीब 2,310 अरब रुपये का इजाफा हो सकता है. 2019 में भारत और ब्रिटेन के बीच द्विपक्षीय व्यापार करीब 23 अरब यूरो यानी 1,900 अरब रुपये था.

ब्रिटेन ने कहा सबसे अच्छा एफटीए बनाने की तैयारी
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 28 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 2:40 PM IST
  • FTA लागू होने पर 2030 तक दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार दोगुना हो सकता है

इस साल ब्रिटेन ने 3 प्रधानमंत्रियों को देख लिया है. इसकी वजह रही है वहां पर जारी राजनीतिक और आर्थिक संकट जिसने देश की कमान को अलग अलग हाथों में जाते देखा है. इन सियासी समीकरणों से केवल ब्रिटेन पर ही असर नहीं पड़ा है, बल्कि भारत तक भी इसका प्रभाव आया है. दरअसल, इस साल दिवाली तक भारत और ब्रिटेन के बीच में फ्री-ट्रेड एग्रीमेंट यानी एफटीए पूरा होना था. लेकिन वहां की घरेलू राजनीति कुछ दूसरी प्राथमिकताओं में इस कदर उलझी रही कि जनवरी में शुरु हुई एफटीए की ये प्रक्रिया दिवाली के लक्ष्य के भी पार निकल गई है. लेकिन अब एक भारतवंशी के हाथ में ब्रिटेन की कमान आते ही ब्रिटेन ने बयान जारी किया है कि वो भारत के साथ सबसे अच्छा एफटीए बनाने में जुटा हुआ है.

ब्रिटेन ने भारत को ‘आर्थिक महाशक्ति’ बताया

ब्रिटेन का कहना है कि वो ऐसे सबसे अच्छे एफटीए के लिए काम कर रहा है, जो दोनों देशों के लिए फायदेमंद हो. दरअसल, भारत और ब्रिटेन ने इस साल जनवरी में एफटीए के लिए बातचीत शुरू की थी. दीपवाली तक इस बातचीत को पूरा करके एफटीए लागू करने की योजना बनाई गई थी. लेकिन इस बीच ब्रिटेन के सियासी संकट और कई मुद्दों पर सहमति ना बन पाने की वजह से ये संभव नहीं हो पाया. लेकिन अब सुनक के पीएम बनने के अगले ही दिन ब्रिटेन के अंतरराष्ट्रीय व्यापार सचिव ग्रेग हैंड्स ने कहा है कि हमने ज्यादातर बातचीत को पूरा कर लिया है और अब जल्दी ही अगले दौर की वार्ता शुरू की जायेगी. उन्होंने कहा कि भारत एक ‘आर्थिक महाशक्ति’ है जो 2050 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति बन सकती है.

एफटीए से मजबूत होगी ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था

ब्रिटेन के अंतरराष्ट्रीय व्यापार सचिव ग्रेग हैंड्स के मुताबिक एक मजबूत एफटीए ब्रिटेन और भारत के आर्थिक रिश्तों को भी ताकतवर बनाएगा. हैंड्स ने कहा कि एफटीए ब्रिटेन की कंपनियों के लिए भारत के तेजी से बढ़ते बाजार में बिक्री को सस्ता बना सकता है. इससे आर्थिक ग्रोथ को बढ़ाने और नौकरियों का बढ़ाने में भी मदद मिल सकती है. माना जा रहा है कि ब्रिटेन में राजनीतिक स्थिरता से अब एफटीए लागू करने की प्रक्रिया में तेजी आएगी. जिससे 2030 तक दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार दोगुना हो सकता है.

सुएला ब्रेवरमैन के गृह सचिव बनने से चिंता!

भारतीय मूल की सुएला ब्रेवरमैन को भारतवंशी ऋषि सुनक की कैबिनेट में फिर से गृह सचिव बनाया गया है. ये पूर्व प्रधानमंत्री लिज ट्रस की समर्थक थीं और उनकी सरकार में भी गृह सचिव थीं, लेकिन सबसे पहले इस्तीफा देने वालों में भी वो शामिल थीं. इसके बाद ये सुनक का समर्थन कर रही थीं. लेकिन ट्रस सरकार में रहते हुए उनके कुछ बयानों को भारत के साथ जारी एफटीए की प्रक्रिया का विरोध माना गया था. उनका कहना था कि ब्रिटेन में ज्‍यादा दिन तक रहने वाले वीजा की बड़ी संख्‍या की वजह से भारतीय शरणार्थियों की संख्‍या बढ़ सकती है. उन्‍होंने भारत के साथ होने वाले इस समझौते का खुला विरोध किया था. उन्होंने अपने से पहले देश की गृहमंत्री रहीं प्रीति पटेल पर गैरकानूनी अप्रवासियों की संख्‍या बढ़ाने की मंशा रखने का आरोप भी लगाया था. उनकी मानें तो यह समझौता कोई आवश्यक नहीं है और यह सही तरह से काम करेगा, इसकी भी गारंटी नहीं है.

क्या होता है एफटीए?

एफटीए दो देशों के बीच एक ऐसा कारोबारी समझौता है, जिसके तहत दोनों देशों के बीच आयात-निर्यात पर टैक्स नहीं लगता है. ये दो या दो से ज्यादा देशों और समूहों के बीच भी हो सकता है. भारत ने सबसे पहले पूर्वी एशिया के देशों के साथ एफटीए किया था. बाद में भारत ने आसियान और सार्क देशों के साथ भी एफटीए किया.

ब्रिटेन के साथ एफटीए का फायदा

एफटीए होने से भारत से चमड़ा, कपड़ा, आभूषण और प्रासेस्ड एग्री प्रॉडक्ट्स के एक्सपोर्ट में इजाफा हो सकता है. दोनों देशों के बीच मुक्त व्यापार समझौता होने से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार में बढ़ोतरी होगी. इस समझौते से ब्रिटेन के निर्माताओं और उत्पादकों के लिए नया बाजार खुलेगा जिसमें खाने पीने से लेकर नई तकनीक, ऑटोमोबाइल और सर्विस सेक्टर तक भी शामिल है.

स्कॉच और कारों का बढ़ेगा कारोबार

एफटीए में ब्रिटेन खासतौर से स्कॉच व्हिस्की और कारों पर लगने वाली इम्पोर्ट ड्यूटी में कटौती चाहता है. भारत में स्कॉच व्हिस्की पर करीब 150 और कारों पर 125 फीसदी इम्पोर्ट ड्यूटी लगती है. ऐसे में अगर इस आयात शुल्क में छूट मिलती है तो फिर ब्रिटिश व्हिस्की और कारों की बिक्री भारत में बढ़ सकती है.

(रिपोर्ट- आदित्य के राणा)

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