Worldwide students Movement: छात्रों के आंदोलन से कई बार झुकी हैं दुनिया भर की सरकारें, बांग्लादेश समेत इन देशों में हो चुके हैं Students Protest

Worldwide students Protest: बांग्लादेश(Bangladesh) में सत्ता के तख्तापलट में छात्र आंदोलन की बड़ी भूमिका रही है. दुनिया भर में कई आंदोलन हुए हैं जिसमें छात्रों में अहम भूमिका निभाई है. आइए कुछ ऐसे ही छात्र आंदोलन के बारे में जानते हैं.

Bangladesh Student Protest(Photo Credit: Getty Images)
ऋषभ देव
  • नई दिल्ली,
  • 07 अगस्त 2024,
  • अपडेटेड 6:58 PM IST

Worldwide students Protest: बांग्लादेश(Bangladesh) में सत्ता का तख्तापलट हो गया है. बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना(Sheikh Hasina) देश छोड़कर भारत आ गई हैं. बांग्लादेश में अंतरिम सरकार(Bangladesh Interim Government) का गठन हो गया है. नोबेल पुरस्कार से सम्मानित मोहम्मद युनूस(Mohammad Yunus Bangladesh) को अंतरिम सरकार का मुखिया बनाया गया है. 

बांग्लादेश में कई हफ्तों से छात्र आंदोलन चल रहा था. स्टूडेंट्स सरकार के आरक्षण के फैसले का विरोध कर रहे थे. बांग्लादेश में छात्र आंदोलन में सैकड़ों लोगों की मौत हुई है. आरक्षण के विरोध में शुरू हुआ ये आंदोलन बाद में बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना हटाओ आंदोलन बन गया.

ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि बड़ी संख्या में स्टूडेंट्स सड़क पर उतरे हों. दुनिया भर के इतिहास में कई ऐसे मौके आए हैं जब छात्र क्लासरूम से निकल कर सड़क पर उतरे. छात्रों के विरोध के चलते दुनिया भर की कई सरकारों को झुकना पड़ा . आइए ऐसे ही कुछ छात्र आंदोलन के बारे में जानते हैं.

1. वियतनाम वॉर प्रोटेस्ट
अमेरिका में वियतनाम वॉर प्रोटेस्ट(Vietnam War Protests) को छात्रों के सबसे बड़े आंदोलन में से एक माना जाता है. साल 1955-1975 के बीच अमेरिका और वियतनाम के बीज जंग हुई थी.

अमेरिका(USA) में इस जंग का बड़े पैमाने पर विरोध हुआ था. इसमें सबसे बड़ी भूमिका स्टूडेंट्स की रही थी. अमेरिका के जंग में शामिल होने की वजह से साल 1960-70 के दौरान पूरे देश में स्टूडेंट्स ने टीचिंग इंस्टीट्यूट को बंद कर दिया था.

स्टूडेंट्स ने प्रशासन के साथ जुड़ी कंपनी जॉनसन और निक्सन को टारगेट किया. स्टूडेंट्स ने इन कंपनियों के ड्रॉफ्ट को जला दिया. छात्रों के इस एक्शन के चलते अमेरिका में युद्ध का विरोध होने लगा. इसके चलते अमेरिका ने साल 1973 में अपनी सेना को वापस बुला लिया.

2. सोवेटो विद्रोह
सोवेटो साउथ अफ्रीका का एक शहर है. इसी शहर में छात्रों का एक आंदोलन हुआ था. सोवेटो विद्रोह(Soveto Uprising) दक्षिण अफ्रीका का रंगभेद के खिलाफ एक आंदोलन है.

साल 1976 के जून में हजारों स्टूडेंट्स शिक्षा में रंगभेद विरोध में सड़क पर उतरे. इस दौरान पुलिस ने स्टूडेंट्स पर अटैक किया. इस आंदोलन में कई छात्रों की मौत हुई. माना जाता है कि छात्रों के इस मार्च ने दक्षिण अफ्रीका की शिक्षा में रंगभेद को खत्म करने में अहम भूमिका निभाई.

3. वेलवेट रेवोल्यूशन
वेलवेट रेवोल्यूशन चेकोस्लोवाकिया(Velvet Revolution) का एक ऐसा आंदोलन हैं जिसकी वजह से सत्ता में बदलाव हुआ था. वेलवेट रेवोल्यूशन को मखमली क्रांति के नाम से जाना जाता है. साल 1989 में बर्लिन की दीवार गिरने के बाद हजारों छात्र प्राग में इकट्ठा हुए थे. 

प्राग में हजारों स्टूडेंट्स एक आंदोलनकारी की मौत के 50वीं एनिवर्सिरी की लिए जमा हुए थे. बाद में ये जमावड़ा चेकस्लोवाकिया सरकार के खिलाफ विरोध में बदल गया.

पुलिस ने छात्रों के इस आंदोलन को दबाने का प्रयास किया. बाद में ये आंदोलन दूसरे शहरों में फैल गया. नतीजन, चेकोस्लोवाकिया कम्युनिस्ट लीडरशिप को सत्ता छोड़नी पड़ी. वेलवेट रेवोल्यूशन एक ऐसे मूवमेंट के रूप में जाना जाता है जिसने बिना हथियार के सत्ता में बदलाव ला दिया.

4. अंब्रेला मूवमेंट
अंब्रेला मूवमेंट हॉन्गकांग(Umbrella Protest Hongcong) का एक आंदोलन है जो प्रत्यर्पण कानून के खिलाफ था. इस कानून के तहत हॉन्गकांग के लोगों पर चीन में केस चलाया जा सकता था और कोर्ट में भी पेश किया जा सकता था.

प्रत्यर्पण बिल के खिलाफ हॉन्गकांग में जगह-जगह लोग छाता लेकर सड़क पर उतरे. इस वजह से इसे अंब्रेला मूवमेंट के नाम से भी जाना जाता है.

हॉन्गकॉन्ग के अंब्रेला मूवमेंट में सबसे अहम भूमिका स्टूडेंट्स की रही थी. स्टूडेंट्स के इस आंदोलन की वजह से हॉन्गकांग प्रशासन को इस बिल को सस्पेंड करना पड़ा था. ये छात्रों की एक बड़ी जीत थी.

5. जैस्मीन क्रांति
जैस्मीन रेवोल्यूशन(Jasmine Revolution) ट्यूनीशिया का एक बड़ा आंदोलन था जिसमें छात्रों की अहम भूमिका रही. जैस्मीन क्रांति को ट्यूनीशियाई क्रांति और अरब स्प्रिंग के नाम से भी जाना जाता है. जैस्मीन क्रांति में हजारों छात्र समेत लोग सरकार के खिलाफ सड़क पर उतर आए. 

जैस्मीन आंदोलन लगभग 28 दिन तक चला. आखिरकार सत्ता से तानाशाह जीन अल अबिदीन बेन अली को पद से हटा दिया गया. इस आंदोलन की बड़ी वजह देश आर्थिक और राजनीतिक रूप से पिछड़ना था. हालांकि ये आंदोलन तब बड़ा बन गया जब मोहम्मद बौअजीजी नाम के शख्स ने खुद को आग लगा ली.

6. यूरो-मैदान प्रोटेस्ट
यूरो-मैदान यूक्रेन(Euro Maidan Protest) का एक आंदोलन है जिसमें स्टूडेंट्स की अहम भूमिका थी. यूरो-मैदान आंदोलन साल 2013 में यूक्रेन के कीव में शुरू हुआ.

इस प्रोटेस्ट शुरू होने की वजह ये थी कि यूक्रेन के राष्ट्रपति विक्टर यानुकोवय्च ने यूरोपीय संघ-यूक्रेन एसोसिएशन अग्रीमेंट पर साइन करने की बजाय रूस के साथ संबंध अच्छे करने का फैसला लिया. यूक्रेन के राष्ट्रपति के इस फैसले के बाद कीव शहर में आंदोलन शुरू हो गया.

यूरो-मैदान आंदोलन में अहम भूमिका स्टूडेंट्स की रही. स्टूडेंट्स ने कीव के इंडेपेंडेंस स्क्वायर में बैरिकेड और टेंट लगाए. छात्रों के इस विरोध के बाद राष्ट्रपति विक्टर यानुकोवय्च को प्रेसीडेंट पद से हटा दिया गया.

7. सनफ्लॉवर मूवमेंट
सनफ्लॉवर आंदोलन(Sunflower movement Taiwan) साल 2014 में ताइवन में हुआ था. ताइवान के स्टूडेंट्स और कुछ समूह साथ मिलकर ताइवान की सरकार के खिलाफ सड़क पर उतरे थे. दरअसल, ताइवान की सरकार ने चीन के साथ सर्विस अग्रीमेंट में कारोबार करने का प्रस्ताव पेश किया था. 

आंदोलनकारियों का मानना था कि इससे ताइवान की इकॉनोमी कमजोर होगी. प्रोटेस्ट करने वाले स्टूडेंट्स ने ताइवान की संसद पर कब्जा कर लिया. इस विरोध के बाद सरकार ने चीन के साथ बिजनेस करने का प्रस्ताव स्थगित कर दिया. इसी आंदोलन ने साल 2016 में ताइवान में सरकार बदलने में बड़ी भूमिका निभाई.

8. अरागलया आंदोलन
साल 2022 में श्रीलंका में एक आंदोलन हुआ था जिसकी वजह से देश के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को अपना पद छोड़ना पड़ा था. श्रीलंका की लोकल इकॉनोमी के हालात अच्छे ना होने से अरागलया आंदोलन(Aragalaya Movement Srilanka) शुरू हुआ.

श्रीलंका के इस आंदोलन में हजारों छात्र सड़क पर उतर आए थे. स्टूडेंट्स के इस आंदोलन का नतीजा ये हुआ कि राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने अपना पद छोड़ दिया और श्रीलंका में अंतरिम सरकार का गठन हुआ.

श्रीलंका में नई सरकार के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे बने. हालांकि, छात्रों का ये आंदोलन देश की इकॉनोमी और पॉलिसी में कोई बड़ा बदलाव नहीं ला पाया.

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