दीपावली के बाद कार्तिक शुक्ल द्वितिया को भैया दूज का पर्व मनाया जाता है. इस तिथि से यमराज और द्वितिया तिथि का संबंध होने के कारण इसको यमद्वितिया भी कहा जाता है. इस दिन बहनें अपने भाई का तिलक करती हैं , उसका स्वागत सत्कार करती हैं और उनके लंबे आयु की कामना करती हैं. माना जाता है कि जो भाई इस दिन बहन के घर पर जाकर भोजन ग्रहण करता है और तिलक करवाता है , उसकी अकाल मृत्यु नहीं होती है.
पौराणिक मान्यता क्या है?
बता दें कि भैया दूज के दिन ही यमराज के सचिव चित्रगुप्त जी की भी पूजा होती है. पौराणिक मान्यता है कि यमराज ने अपनी बहन यमी यानी यमुना को इसी दिन दर्शन दिया था. यमी ने यम का खूब स्वागत-सत्कार किया था, जिससे प्रसन्न होकर यमराज ने वरदान दिया कि इस दिन जो बहन अपने भाई का सत्कार करेगी. मैं अकाल मृत्यु से उसके भाई की रक्षा करूंगा.
तिलक लगाते समय दिशा का रखें ध्यान
भाई दूज के दिन बहन भाई को रोली का तिलक लगाती हैं. लेकिन इस दौरान किस दिशा मुंह करके बैठना चाहिए ये भूल जाते हैं. वास्तु के मुताबिक तिलक करते समय भाई का मुंह उत्तर या फिर पश्चिम दिशा में होना चाहिए और बहन का मुख पूर्व या उत्तर-पूर्व में होना चाहिए.
इन खास बातों का रखना चाहिए ध्यान
कई बार ऐसा देखा जाता है कि घर दूर हो या किसी और वजह से बहनें अपने भाई के घर तिलक करने जाती हैं, लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए. भाई दूज के दिन भाई अपनी बहनों के घर जाएं.
बहन शुभ मुहूर्त में ही अपने भाई को तिलक करें
ये ध्यान रहे कि तिलक करते समय न तो बहन और ना ही भाई काले रंग का वस्त्र पहने.
भाई को तिलक करने तक बहनों को निर्जला यानि बिना पानी पीये ही रहना चाहिए. भाई का तिलक कर उसे मीठा जरूर खिलाना चाहिए. ऐसा करने से दोनों के बीच प्रेम बना रहेगा.
मान्यता ये भी है कि इस दिन भाई को अपने घर पर खाना नहीं खाना चाहिए. अपनी बहन के घर पर खाना खाना चाहिए.
आज के दिन भाई-बहन एक-दूसरे के साथ अच्छा व्यवहार करें और झगड़ा न करें.
इस दिन मांस और मदिरा का सेवन नहीं करें. ऐसा करने से यम देव के क्रोध का सामना करना पड़ सकता है.
बहनें इस दिन भाई की पसंद का खाना बनाएं.
बहनें अपने भाई से मिले गिफ्ट का निरादर ना करें.