Neelam Gemstone: ज्योतिषशास्त्र में रत्नों का बहुत महत्व है. योग कारक ग्रह कमजोर होने पर उसका रत्न पहनने की सलाह दी जाती है. वैसे तो रत्न और उपरत्न बहुत से होते हैं लेकिन कुछ ऐसे खास रत्न हैं जो आपकी किस्मत की दरवाजा खोल सकते हैं. ऐसा ही एक रत्न है नीलम.
सफलता के सारे द्वार खोल सकता है नीलम!
नीलम के बारे में यह कहा जाता है कि यह बहुत ही शक्तिशाली रत्न है. शनि के शुभ प्रभाव को पाने के लिए इस रत्न को धारण किया जा सकता है. ज्योतिषाचार्य नागेंद्र पांडेय बताते हैं कि ये चमत्कारी रत्न है और अपना असर भी जल्द दिखाता है. जिसे नीलम सूट करता है उसे पॉजिटिव असर दिखाता है लेकिन अगर यह किसी को सूट नहीं किया तो उल्टा असर भी दिखाता है. जिसे नीलम सूट कर गया उसे धीरे-धीरे ऊंचाइयों पर ले जाता है और खूब धन दौलत प्राप्त होते हैं.
कौन नीलम पहन सकते हैं?
अगर कुंडली में शनि वक्री अवस्था में है तो नीलम धारण किया जा सकता है. लेकिन, अगर शनि उच्च राशि में या नीच राशि में वक्री हो तो नीलम नहीं पहनें. अगर शनि योगकारक होकर वक्री हो तो ही नीलम पहनें. शनि लग्नेश होकर नीच की राशि में वक्री है तो भी नीलम धारण किया जा सकता है. नीलम वृषभ, तुला, मकर और कुंभ लग्न के लोग धारण कर सकते हैं. कन्या लग्न के लोग भी नीलम धारण कर सकते हैं लेकिन उन्हें विशेष लाभ नहीं मिलता.
नीलम धारण करने को लेकर खास बातें-
नीलम धारण करने की विधि
शुक्ल पक्ष के शनिवार को सूर्योदय के बाद और सूर्यास्त से दो घंटे पहले समय के बीच किसी भी वक्त नीलम धारण कर सकते हैं. नीलम धारण करने से पहले अंगूठी की प्राण प्रतिष्ठा करें. अंगूठी को सबसे पहले पंचामृत(गंगा जल, दूध, घी, केसर और शहद) में 15 से 20 मिनट डालकर रखें. नीलम को सोना या फिर पंच धातु में ही धारण करें. 11 बार शनि देव का मंत्र-"ऊं शं शनैश्चाराय नमः" का जाप करें.
किस उंगली में पहनें नीलम
सभी रत्नों को अलग-अलग उंगली में ही धारण करना चाहिए तभी उसके अच्छे परिणाम मिलते हैं. पुरुष दाएं हाथ के मध्यमा उंगली में और स्त्रियां बाएं हाथ के मध्यमा उंगली में ही नीलम धारण करें. नीलम का प्रभाव चार से पांच साल तक रहता है.