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बच्चे संस्कारी कैसे बनते हैं? जन्म से 21 साल की उम्र तक रखें इन बातों का ध्यान

जन्म से लेकर 21 वर्ष तक मुख्य रूप से संस्कारों का निर्माण होता है. इस अवस्था में पड़ी हुई आदतें ही आगे चलकर संस्कार का रूप ले लेती हैं.

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हाइलाइट्स
  • जन्म से लेकर 21 वर्ष तक मुख्य रूप से संस्कारों का निर्माण होता है.

  • बच्चे के ऊपर माता-पिता के संस्कारों का प्रभाव भी पड़ता है.

कहते हैं बच्चे के संस्कार उसके खुद के जीवन की ही नहीं बल्कि पूरे समाज की दिशा और दशा तय करते हैं. बच्चों में ज्यादातर संस्कार उनके मां-बाप से आते हैं और संस्कारों को विकसित करने में उनकी बहुत बड़ी भूमिका होती है. बचपन में दिए गए संस्कार व्यक्ति के साथ आजीवन रहते हैं. इसलिए बच्चों को सही संस्कार देना अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाता है. मां-बाप के अलावा कई और भी ऐसी चीजें हैं जों बच्चे के संस्कार तय करती हैं.   

बच्चे संस्कारी कैसे बनते हैं? 
जन्म से लेकर 21 वर्ष तक मुख्य रूप से संस्कारों का निर्माण होता है. इस अवस्था में पड़ी हुई आदतें ही आगे चलकर संस्कार का रूप ले लेती हैं. खान-पान से लेकर , मित्रता और पूजा-उपासना तक , हर छोटी बड़ी चीज का अपना महत्व होता है. बच्चे के ऊपर माता-पिता के संस्कारों का प्रभाव भी पड़ता है. 

जन्म से लेकर 5 वर्ष तक इन बातों का ध्यान रखें 
इस उम्र में बच्चे के आहार और खान-पान का विशेष ख्याल रखना चाहिए. इस उम्र में जो खाने-पीने की आदतें पड़ जाती हैं, वो जीवन भर नहीं छूटती. चूँकि खान-पान से ही सोच और विचार बनते हैं, अतः सोच समझकर आहार देना चाहिए. मांसाहार , फ़ास्ट फ़ूड , बासी और तेल मसाले वाले भोजन से बच्चों को बचाना जरूरी होगा.  

6 से 10 वर्ष तक इन बातों का ध्यान रखें 
इस उम्र में बच्चे के अन्दर शुभ और अशुभ आदतें आने लगती हैं. बच्चे को धर्म , ईश्वर और व्यवहार के बारे में ज्ञान होने लगता है. इस समय घर का माहौल शुद्ध और सात्विक रखें. घर के लोग अपने व्यवहार और आचरण को दुरुस्त रखें. बच्चे को सही और गलत के बीच का फर्क सिखाएं. 
 
11 से 16 वर्ष तक तक इन बातों का ध्यान रखें 
इसी उम्र में बच्चा शिक्षा और ज्ञान के बारे में सजग होता है. बच्चे को विषय, करियर और सफलता की चिंता होने लगती है. इस समय बच्चे को मन्त्रों और आसन आदि के बारे में बताना चाहिए. ताकि बच्चा शिक्षा में एकाग्र हो और उसका शारीरिक और मानसिक विकास ठीक तरीके से हो. बच्चे पर अपनी रूचि न थोपें , उसकी इच्छानुसार विषय लेने दें.  

17 से 21 वर्ष तक तक इन बातों का ध्यान रखें 
यह उम्र बच्चों के अन्दर बड़े रासायनिक परिवर्तन की होती है. सारे संस्कार और अच्छी बुरी आदतें इस उम्र में दिखाई देने लगती हैं. इस उम्र में बच्चों को जिम्मेदारी खुद लेने दें, उनकी सहायता करें. उनके कपड़ों, उनकी जीवनचर्या और उनकी संगति का ध्यान रखें. उन्हें बुजुर्गों के साथ रहने की सलाह दें साथ ही व्रत उपवास रखने की आदत डालें.