कभी कभी बिना कारण के सारे बने हुए काम बिगड़ने लगते हैं. कुछ कामों के बिगड़ने के पीछे अपने कर्म होते हैं , कुछ के पीछे दूसरों के कर्म होते हैं. ये तमाम बातें ग्रहों के अध्ययन से जानी जा सकती हैं कि किस कारण से बने बनाये कार्य बिगड़ रहे हैं. अगर खुद के कर्मों से काम बिगड़ रहें हैं तो उसका निवारण और समाधान सरल होता है. परन्तु अगर दूसरा आपके काम बिगाड़ रहा है तो उसको ठीक करने के लिए खूब प्रयत्न करना पड़ेगा.
अपने किन कर्मों के कारण काम बिगड़ने लगते हैं ?
माता पिता या बुजुर्गों का अपमान करने से, बिना किसी उचित कारण के भ्रूण हत्या करवाने से, किसी व्यक्ति का अधिकार छीनने से , या उसको उसका सही हक न देने से, केवल निजी स्वार्थ के लिए हरे पेड़ कटवाने से , या नदियों को दूषित करने से - दूसरों को जानबूझकर मानसिक रूप से परेशान करने पर
दूसरों के किन कर्मों के कारण अपने काम बिगड़ने लगते हैं ?
जब दूसरे आपके लिए नकारात्मक ऊर्जा का प्रयोग करने लगे, जब दूसरे लोग आपको नुकसान पहुंचाने के लिए मंत्र शक्ति का प्रयोग करें, जब दूसरे लोग आपके साथ रहकर गलत काम करें , भले आप खुद न करें, जब कोई दूसरा व्यक्ति आपके द्वारा न निभाए दायित्वों को निभाता है, जब आप किसी ऐसे व्यक्ति की मदद करते हैं , जो अच्छा व्यक्ति नहीं है.
इन उपायों से मिलेगी सफलता
अगर खुद के कर्मों की वजह से बना बनाया काम बिगड़ रहा हो तो नित्य प्रातः सूर्य को जल अर्पित करें. माता पिता का चरण स्पर्श करें. ढेर सारे फूलों के पौधे लगाएं, उनकी देखभाल करें. पीपल के वृक्ष में नियमित रूप से जल अर्पित करें. इसके बाद "गजेन्द्र मोक्ष" का एक बार पाठ करें. महीने में एक बार किसी निर्धन व्यक्ति को भर पेट भोजन कराएं. भविष्य में किसी को जानबूझकर पीड़ा न पहुचाएं.
अगर दूसरे के कर्मों के कारण आपके काम बिगड़ रहे हों तो घर के मुख्य द्वार पर दोनो तरफ सिन्दूर से स्वस्तिक बनायें. घर के मुख्य द्वार पर या तो अशोक का वृक्ष लगाएं या अशोक के पत्तों का वन्दनवार लगाएं. रोज शाम को घर के मुख्य द्वार और पूजा स्थान पर दीपक जरूर जलाएं. अगर ऐसा लगता है कि किसी ने आपके लिए नकारात्मक ऊर्जा या मंत्र शक्ति का प्रयोग किया है , तो - "ॐ हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट" का रोज प्रातः 108 बार जाप करें. जाप के समय गूग्गल की धूपबत्ती जरूर जलाएं.