दुनिया भर में भारत अपने स्वादिष्ट और लाजवाब खाने के लिए प्रसिद्द है. हर साल बहुत से विदेशी पर्यटक भारत घूमने और यहां के तरह-तरह के व्यंजनों का लुत्फ़ उठाने आते हैं. और कहते हैं न कि अच्छा खाना किसी का भी दिल जीत सकता है.
अच्छी बात यह है कि खाने के मामले में हमारा देश एक-दो सालों से नहीं बल्कि 100 से भी ज्यादा सालों से लोगों का दिल जीत रहा है. इस बात को साबित करते हैं अलग-अलग शहरों में स्थित ऐसे कैफे, बकरी और रेस्टोरेंट जो पिछले 100 सालों से भी ज्यादा समय से ग्राहकों को सर्विस दे रहे हैं.
अगर रिसर्च की जाए तो देश के छोटे से छोटे शहर से लेकर बड़ी मेट्रो सिटीज तक, हर जगह कोई न कोई इतना पुराना फ़ूड पॉइंट आपको मिल जायेगा. आज कुछ ऐसे रेस्टोरेंट के बारे में हम आपको बता रहे हैं, जो 100 सालों से भी ज्यादा पुराने हैं.
टुंडे कबाबी, लखनऊ:
नवाबों के शहर लखनऊ की शान टुंडे कबाबी की कहानी बरसों पुरानी है. 1905 में शुरू हुआ यह रेस्टोरेंट अपने तरह-तरह के कबाबों के लिए दुनियाभर में मशहूर है. दूर-दूर से लोग टुंडे के कबाब खाने आते हैं. कहते हैं कि नॉन वेज के शौकीन लोगों के लिए यह जगह जन्नत है. इसलिए अगली बार लखनऊ जाइएगा तो एक बार टुंडे के कबाब जरूर खाइयेगा.
इंडियन कॉफी हाउस, कोलकाता:
इंडियन कॉफी हाउस की सबसे प्रसिद्ध ब्रांच ‘सिटी ऑफ़ जॉय’ कोलकाता में स्थित है जो अतीत की ढेरों यादों को समेटे हुए है. 1947 के पहले तक यह अल्बर्ट हॉल हुआ करता था और फिर इसका नाम कॉफी हाउस कर दिया गया. 1876 में स्थापित इस कॉफी हाउस के संरक्षकों में सत्यजीत रे, मृणाल सेन, अमेरिकी कवि एलन गिन्सबर्ग, जैसे कुछ महान नाम शामिल हैं.
लियोपोल्डस कैफ़े, मुंबई:
150 साल पुराना लियोपोल्ड कैफे मुंबई के सबसे लोकप्रिय रेस्तरां और बार में से एक है. 2008 के मुंबई हमलों के दौरान यह भी आतंकियों का टारगेट था और तब इसे इंटरनेशनल स्तर पर पहचान मिली. ईरानियों ने 1871 में इसे शुरू किया था. यह जगह न सिर्फ न सिर्फ पर्यटकों बल्कि मुंबईकरों के बीच भी प्रसिद्द है.
करीम्स, दिल्ली:
जामा मस्जिद के पास स्थित करीम्स, रेस्टोरेंट चेन का सबसे पुराना आउटलेट है और इसे 1913 में स्थापित किया गया था. यह मुग़लई व्यंजनों के लिए मशहूर है. जमा मस्जिद आने वाले लोग अक्सर करीम्स का स्वाद चखते हैं.
मित्र समाज, उडुपी:
यह जगह भी अपने ख़ास खाने के लिए मशहूर है. यहां पर मंदिरों में खाना पकाने की उडुपी परंपरा का पालन किया जाता है. जिसके तहत खाने में प्याज, लहसुन और मूली का उपयोग नहीं होता है. यह भी लगभग 100 साल पुराना है.
दोराबजी एंड संस, पुणे
दोराबजी सोराबजी ने 1878 में पुणे का यह मशहूर रेस्टोरेंट दोराबजी एंड संस शुरू किया था. शुरुआत में यह एक साधारण चाय की दुकान थी लेकिन बाद में उन्होंने पारंपरिक लंच भी देना शुरू किया. और देखते ही देखते यह फेमस हो गया और आज तक चल रहा है.
इनके अलावा और भी बहुत से रेस्टोरेंट, बेकरी या कैफे हैं जो 100 साल से भी ज्यादा पुराने हैं और बरसों का इतिहास समेटे हुए हैं. हो सकता है कि आपके अपने शहर में ऐसी कोई जगह हो, बस जरूरत है तो थोड़ा एक्स्प्लोर करने की.