बीते नौ दिनों में 170 से ज्यादा फ्लाइट्स को बम से उड़ाने की फर्जी धमकी मिली है. इनमें इंडिगो, विस्तारा और एयर इंडिया की डोमेस्टिक और इंटरनेशनल फ्लाइट्स शामिल हैं. इसकी वजह से एयरलाइंस कंपनियों को करीब 600 करोड़ का नुकसान होने का अनुमान है. सरकार ने भरोसा दिलाया है कि देश की सिक्योरिटी एजेंसियां एयरलाइंस को मिली सभी बम धमकियों की जांच कर रही हैं.
सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से पूछे सवाल
विमानों को मिली सभी धमकियां सोशल मीडिया के जरिए दी गई हैं. इस मामले में आईटी मिनिस्ट्री ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X, मेटा के साथ वर्चुअल मीटिंग की. इस मीटिंग में एयरलाइंस कंपनियों के भी लोग मौजूद थे. एयरलाइंस को मिली सबसे ज्यादा X के जरिए दी गई थीं. इसे लेकर सरकार ने X की खिंचाई की और कहा, आपने इन अफवाहों को फैलने से रोकने के लिए क्या किया. जो हालात हैं, इससे साफ है कि आप जुर्म को बढ़ावा दे रहे थे. दरअसल दिल्ली पुलिस ने फ्लाइट्स को धमकियां देने वाले कुछ X अकाउंट्स की जानकारी मांगी थी लेकिन X इनकी डिटेल्स नहीं दे पाया.
एयरलाइंस को कैसे होता है नुकसान?
1. ईंधन की बर्बादी से करीब 1 करोड़ का नुकसान
B777 (बोइंग 777) का अधिकतम लैंडिंग वजन 250 टन है. यह हर घंटे 7-8 टन ईंधन जलाता है. इस तरह की पूरी उड़ान का वजन यात्रियों, सामान और कार्गो के साथ उड़ान भरने पर लगभग 340-350 टन होता है. अगर दो घंटे के अंदर इसकी लैंडिंग कराई जाती है इसका मतलब है लगभग 100 टन ईंधन बर्बाद करना. क्योंकि विमान एक खास सीमा तक ही वजन उठाने की क्षमता रखते हैं. लैंडिंग के समय फ्लाइट का वजन कम होना चाहिए. ऐसे में लगभग एक लाख रुपये प्रति टन पर, अकेले ईंधन की बर्बादी की लागत 1 करोड़ रुपये बैठती है. धमकी मिलने के बाद एयरलाइंस को सबसे ज्यादा नुकसान फ्यूल की वजह से होती है.
2. फ्लाइट कैंसिल होने पर यात्रियों के रहने और खाने का खर्च
अगर बम की अफवाह होने पर कोई फ्लाइट कैसिंग या डिले की जाती है तो यात्रियों के रहने और खाने का खर्च एयरलाइन कंपनी को उठाना पड़ता है. मान लीजिए अगर किसी फ्लाइट की दिल्ली एयरपोर्ट पर इमरजेंसी लैंडिंग कराई जाती है तो दिल्ली-एनसीआर में होटल की व्यवस्था, एयरपोर्ट तक आने-जाने और खाने पीने का खर्च भी शामिल होता है. इसके अलावा, जिन यात्रियों की फ्लाइट मिस हो जाती है, उन्हें भी मुआवजा देना पड़ता है.
3. यात्रियों को अलग-अलग परिवहन से घर भेजने की लागत
बम की धमकी की वजह से अगर कोई फ्लाइट कैंसिल या डिले होती है तो यात्रियों के लिए दूसरी फ्लाइट, या किसी दूसरे साधन से उन्हें उनके मंजिल तक पहुंचाने के लिए भी व्यवस्था करनी पड़ती है. इसका खर्च करीबन 60-70 लाख बैठता है.
4. नॉन शेड्यूल फ्लाइट की लैंडिंग कॉस्ट
अगर इमरजेंसी सिचुएशन में किसी एयरपोर्ट पर नॉन शेड्यूल फ्लाइट की लैंडिंग कराई जाती है तो ये लैंडिंग कॉस्ट एयरक्रफ्ट और एयरपोर्ट के हिसाब से अलग-अलग हो सकते हैं. लैंडिंग फीस फ्लाइट के निकटतम मीट्रिक टन (MT) पर आधारित होते हैं. सुपरसोनिक एयरक्राफ्ट पर 25% सरचार्ज भी लगाया जाता है. इसमें क्रू मेंबर और विमान की दोबारा जांच करने इमरजेंसी सिचुएशन में बुलाए गए कर्मचारियों का खर्च, CISF, बम डिस्पोजल स्क्वाड और एयरलाइंस की बाकी एजेंसी के स्टाफ का एक्सट्रा खर्च भी शामिल होता है.
कुल मिलाकर यह पूरा खर्च 3 करोड़ के आस-पास बैठता है.
ऐसी घटनाएं रोकने के लिए सरकार क्या कर रही है?
सरकार जल्द ही इसे लेकर कानून बना सकती है. सरकार ने द सप्रेशन ऑफ अनलॉफुल एक्ट्स अगेंस्ट सेफ्टी ऑफ सिविल एविएशन एक्ट (SUASCA), 1982 में संशोधन का प्रस्ताव रखा है. इस कानून के मुताबिक अगर फर्जी धमकी के चलते किसी फ्लाइट की लैंडिंग कराई जाती है तो अदालत के आदेश के बिना ही आरोपी को गिरफ्तार किया जा सकता है और जांच शुरू की जा सकती है. इस कानून में धमकी देने वालों को सख्त सजा का प्रावधान भी किया जाएगा.