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FPO vs IPO: आईपीओ नहीं, एफपीओ से 20,000 करोड़ रुपये जुटाने की तैयारी में अडानी, समझें दोनों में क्या है अंतर

अडानी इंटरप्राइजेज का 20,000 करोड़ रुपये का ये देश का अब तक का सबसे बड़ा एफपीओ होगा. अभी तक यस बैंक लिमिटेड के पास सबसे बड़े एफपीओ का रिकॉर्ड है, जिसने जुलाई 2020 में एफपीओ से 15,000 करोड़ रुपये जुटाए थे.

Adani Enterprises Adani Enterprises
हाइलाइट्स
  • शेयरों को डिस्‍काउंट पर खरीदने का ये अच्छा मौका है

अडानी ग्रुप की फ्लैगशिप कंपनी अडानी इंटरप्राइजेज लिमिटेड फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर (FPO)के जरिए निवेशकों से 20,000 करोड़ जुटाने की तैयारी में है.  Adani Enterprises का एफपीओ 27 से 31 जनवरी तक सब्सक्रिप्शन के लिए खुला रहेगा.  रिटेल निवेशकों के पास कंपनी के शेयरों को डिस्‍काउंट पर खरीदने का ये अच्छा मौका है. कंपनी ने FPO का प्राइस बैंड Rs 3,112-3,276 per share फिक्स किया है. जबकि गुरुवार (19 Jan) को मार्केट बंद होते समय कंपनी का प्रति शेयर भाव 3,463.55 रुपए था. आपको बता दें,  बीते एक साल में अडानी इंटरप्राइजेज ने निवेशकों को मालामाल कर दिया है. एक साल में शेयर ने 94 फीसदी रिटर्न दिया है. 

अडानी इंटरप्राइजेज का 20,000 करोड़ रुपये का ये देश का अब तक का सबसे बड़ा एफपीओ होगा. अभी तक यस बैंक लिमिटेड के पास सबसे बड़े एफपीओ का रिकॉर्ड है, जिसने जुलाई 2020 में एफपीओ से 15,000 करोड़ रुपये जुटाए थे.              
      
कंपनी इस फंड का इस्तेमाल कर्ज चुकाने, ग्रीन एनर्जी प्रोजेक्ट्स और एयरपोर्ट के कारोबार को बढ़ाने के लिए करेगी. एफपीओ से जुटाई गई कुल धनराशि में से, कंपनी 10,869 करोड़ रुपये ग्रीन हाइड्रोजन सिस्टम, हवाई अड्डों और ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे को फंड करने के लिए इस्तेमाल करेगी. 4,165 करोड़ रुपये का उपयोग कंपनी अपनी सहायक कंपनियों, अडानी एयरपोर्ट होल्डिंग्स लिमिटेड, अडानी रोड ट्रांसपोर्ट लिमिटेड और मुंद्रा सोलर लिमिटेड द्वारा लिए गए कर्ज को चुकाने के लिए करेगी.  सितंबर 2022 के आंकड़ों के मुताबिक अडानी इंटरप्राइजेज पर कुल 40,000 करोड़ रुपये का कर्ज है. 
  
FPO और IPO में अंतर: (FPO vs IPO)
इनिशियल पब्लिक ऑफर (IPO) और फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर (FPO) दो बुनियादी मूलभूत तरीके हैं जिससे कोई कंपनी इक्विटी मार्केट से पैसा जुटाती है. इन दो के अलावा पैसे जुटाने के और भी तरीके हैं.  

जब कोई कंपनी पहली बार पब्लिक होती और बड़े पैमाने पर जनता को अपने शेयरों की पेशकश करती है तो उसे आईपीओ या इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग कहते हैं. किसी कंपनी के पब्लिक होने का मतलब है कि उसने जनता को अपने शेयरों की पेशकश की है और देश के स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट होने के लिए तैयार है. बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई)- इन दो स्टॉक एक्सचेंज में से कंपनी किसी एक पर या फिर दोनों पर लिस्ट हो सकती है. पहली बार जब कोई कंपनी बीएसई, एनएसई, या दोनों में लिस्ट होती है और सार्वजनिक रूप से कारोबार करने के लिए अपने शेयरों की पेशकश करती है तो उसे आईपीओ कहा जाता है.          

जब कोई कंपनी शुरू होती है तो कई तरीकों से निवेशकों, एंजेल निवेशकों, पूंजीपतियों, कभी-कभी सरकार से भी धन प्राप्त कर कारोबार शुरू करती है. जब कंपनी के पास ये फंड खत्म हो जाता है और कारोबार को चलाने और बढ़ाने के लिए कंपनी को और फंड की जरूरत होती है. फिर वो आईपीओ लॉन्च करती है, एक्सचेंज पर लिस्ट होती है और अपने शेयर बेचकर निवेशकों से पैसा जुटाती है.    
 
फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर (FPO) IPO का फॉलो अप प्रोसेस है. जब कोई पहले से स्टॉक एक्सचेंज लिस्टिड कंपनी फंड जुटाने के लिए बड़े पैमाने पर शेयर की पेशकश करती है उसे फॉलो ऑन पब्लिक ऑफर (एफपीओ) कहा जाता है. दूसरे शब्दों में कहें तो एफपीओ एक अतिरिक्त इशू है जबकि आईपीओ एक प्रारंभिक या पहला इशू है. यानि कब कोई कंपनी पहली बार एक्सचेंज पर लिस्ट होकर बड़े पैमाने पर शेयर की पेशकश करे तो उसे IPO और जब पहले से लिस्ट हुई कंपनी अतिरिक्त फंड जुटाने के लिए दूसरी/तीसरी या कितनी भी बार शेयर की पेशकश करे तो उसे फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर (FPO) कहते हैं.