पूरे देश में अक्षय तृतीया का पर्व 22 अप्रैल 2023 को धूमधाम से मनाया जा रहा है. यह दिन हर कार्य के लिए शुभ होता है. इस दिन सोना-चांदी खरीदने का रिवाज है. व्यापारी वर्ग इस दिन का खास इंतजार करते हैं. आइए जानते हैं इस दिन क्यों सोना खरीदा जाता है.
धार्मिक मान्यता
धार्मिक मान्यता के अनुसार जो लोग अक्षय तृतीया के दिन सोने-चांदी के आभूषण खरीदते हैं उन्हें वर्ष भर रुपए की कमी नहीं होती है. ज्योतिषों की माने तो इस दिन आभूषण खरीदने से परिवार में पूरे साल तक सुख-समृद्धि रहती है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन सोना घर पर लाने से सोने के रूप में माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु घर पर हमेशा के लिए निवास करने लगते हैं. 22 अप्रैल को सोना खरीदने का शुभ मुहूर्त सुबह 7 बजकर 49 मिनट से शुरू होकर 23 अप्रैल को सुबह 5 बजकर 48 मिनट तक है.
सोने की खरीदारी करते समय इन बातों का रखें ख्याल
हॉलमार्क चेक करें, सर्टिफाइड गोल्ड ही खरीदें: सोने के गहने खरीदने से पहले हॉलमार्क जरूर चेक करें. यह ध्यान रखें कि एक अप्रैल से सिर्फ छह डिजिट वाले अल्फान्यूमेरिक हॉलमार्किंग ही मान्य हैं. हॉलमार्क से सोने की शुद्धता का पता चलता है. सोने के गहने, गिन्नी, सिक्के या बिस्किट खरीदते वक्त यह चेक कर लें कि उस पर सही हॉलमार्क है या नहीं. हॉलमार्क की संख्या को बिल में जरूर लिखवाएं. हमेशा ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (BIS) का हॉलमार्क लगा हुआ सर्टिफाइड गोल्ड ही खरीदें.
सोने की कीमत जरूर क्रॉस चैक करें: सोने की कीमत कई स्रोतों (जैसे इंडिया बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन की वेबसाइट) से क्रॉस चेक करें. सोने का भाव 24 कैरेट, 22 कैरेट और 18 कैरेट के हिसाब से अलग-अलग होता है. 24 कैरेट सोने को सबसे शुद्ध सोना माना जाता है. सोने के गहने खरीदते समय बनवाई या मेकिंग चार्ज का जरूर ध्यान रखें.
कैश में पेमेंट नहीं करें: हमें सोना की खरीदारी करते समय कैश में पेमेंट नहीं करनी चाहिए. UPI और डिजिटल बैंकिंग के माध्यम से पेमेंट करें. डेबिट या क्रेडिट कार्ड के माध्यम से भी रुपए का भुगतान कर सकते हैं. इसके बाद बिल लेना जरूर लें. यदि ऑनलाइन ऑर्डर किया है तो पैकेजिंग जरूर चेक करें.
बहुत ज्यादा नक्काशी किए गए गहने नहीं खरीदें: सोने के गहने पर कई बार बहुत ज्यादा नक्काशी किए होते हैं. ऐसे आभूषणों को खरीदने से हमें बचना चाहिए. ये देखने में भले ही सुंदर लगते हैं लेकिन यह मीनाकारी आपकी जेब पर भारी पड़ती है. क्योंकि मीनाकारी करते वक्त जिन रंगों का इस्तेमाल होता है उनका वजन भी सोने के साथ ही जुड़ जाता है. सामान्य रूप से ये वजन 5 से 12% तक होता है, जिसका कोई मूल्य गहने बेचते या बदलते समय वापस नहीं मिलता है. इतना ही नहीं सोने के दाम पर नगीने खरीदने से हमें बचना चाहिए.
रिसेलिंग पॉलिसी को जान लें: कुछ लोग सोने को निवेश की तरह देखते हैं. ऐसे में सोने की रिसेल वैल्यू के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए. इसके साथ ही संबंधित ज्वेलर की बायबैक पॉलिसी पर भी स्टोर कर्मचारियों से बातचीत कर लें. अगर आपने सोना खरीदने के तीन साल के अंदर बेचा है तो इसे शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन माना जाता है. इस बिक्री से होने वाले फायदे पर आपके इनकम टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स लगता है. यदि सोने को तीन साल के बाद बेचा है तो इसे लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन माना जाता है. इस पर 20.8% टैक्स देना होता है.