अलीगढ़ के ताले देश और विदेशों में काफी मशहूर हैं. कहा जाता है कि अलीगढ़ के तालों की चाबी अगर खो जाए तो इनको तोड़ना आसान नहीं होता. इसलिए तो इनकी मजबूती की मिसाल हर तरफ दी जाती है. आइए जानते हैं कि अलीगढ़ के ताले आखिर कैसे बनते हैं.
अलीगढ़ के ताले का नाम आते ही हमारे दिमाग में एक ही बात आती है कि ये सबसे मजबूत ताले हैं. इनको तोड़ना आसान नहीं है. आखिर ये तालों के बनने की कहानी की बात करें तो इसका इतिहास काफी पुराना है. बताया जाता है कि करीब 130 साल पहले अलीगढ़ में जॉनसंस एंड कम्पनी ने ताले बनाने का काम शुरू किया था. आज देश के हर कोने में अलीगढ़ के तालों की डिमांड है.
अलीगढ़ अपने तालों की तरह-तरह की डिजाइन के लिए भी काफी मशहूर है. अलीगढ़ में करीब 5 हजार ताला बनाने वाली कंपनियां काम करती हैं, जिसमें लाखों लोग काम करते है. अब ये समझते हैं कि आखिर जिस ताले पर आपको इतना भरोसा है वो बनता कैसे है.
ताला बनाने के लिए इसे करीब 90 तरह के प्रोसेस से गुजरना पड़ता है. इसमें करीब 200 से ज्यादा कारीगर अलग अलग प्रक्रिया में ताले पर हाथ आजमाते हैं. अब ताले के इन छोटे छोटे पार्ट्स को कैसे असेम्बल किया जाता है जरा वो भी समझ लीजिए.
अलीगढ़ में ही एक ताला फैक्ट्री के मालिक सिद्धार्थ बताते हैं कि ये उद्योग हज़ारों लाखों लोगों को रोजगार देता है. एक ताला करीब 500 लोगों को रोजगार देता है. इस तरह ये रोजगार का बहुत बड़ा साधन है.
अलीगढ़ के ताला उद्योग ने देश और विदेश में भारत की पहचान बनाई हुई है. पुराने तालों की शक्ल अब नए हाईटेक तालों ने ले ली है. मगर सेफ्टी का भाव ये समझाता है कि इन तालों की वजह से ही हम अपने घरों को सुरक्षित बना पाते हैं.