टेस्ला के मालिक एलन मस्क ने ट्विटर के बाद अब कोका कोला को खरीदने का मन बना लिया है. हाल ही में मस्क ने एक ट्वीट ने सोशल मीडिया पर तहलका मचा दिया है. मस्क ने एक ट्वीट करते हुए लिखा कि, "अब मैं कोका-कोला खरीदूंगा, ताकि मैं उसमें फिर से कोकीन मिला सकूं." इस ट्वीट के बाद से एलन मस्क के कोका कोला कंपनी को खरीदने के कयास लगाए जा रहे हैं. कोका-कोला काफी पुरानी कंपनी है. आज तक दुनिया भर के कई सारे सेलेब्स ने इसकी ब्रांडिंग भी की है. लेकिन हमेशा से चीजें ऐसी नहीं थी. शुरुआत में कोका कोला को किसी और मकसद से बनाया गया था. आइए आपको इसके इतिहास के बारे में बताते हैं.
तो ऐसे बना कोका कोला...
इतिहास पर नजर डालें तो कोका कोला को एक फार्मेसी की खोज के दौरान बनाया गया था. लेकिन कई तरह के विज्ञापन और नए-नए आइडिया ने उसे नंबर वन ब्रांड बना दिया. अमेरिका में युद्ध चल रहा था. युद्ध के दौरान 1865 में जॉन पेम्बर्टन नाम एक लेफ्टिनेंट कर्नल बुरी तरह जख्मी हो गया. उसके घाव उसे बहुत तकलीफ दे रहे थे. जिससे बचने के लिए उसने नशे को अपना साथी बना लिया. धीरे-धीरे वो ड्रग्स का नशा करने लगा और फौज की नौकरी छोड़ दी. उसके जख्म तो समय के साथ ठीक हो गए, पर उसे ड्रग्स की लत लग गई. उसके बदले उसने शराब का विकल्प ढूंढना शुरू कर दिया. पेम्बर्टन ने फौज में नौकरी करने से पहले फार्मेसी का कोर्स किया था. जिस कारण वो इलाज के लिए लगातार रिसर्च करता रहा. लेकिन उसे कुछ खास नहीं मिला. थक हारकर पेम्बर्टन 1870 में एटलांटा मे जाकर बसा. अमेरिका में अब तक युद्ध भी समाप्त हो चुका था और जिंदगी पटरी पर लौट चुकी थी.
अमेरिका पहुंचकर पेम्बर्टन को फ्रैंक रॉबिन्सन का साथ मिला. उसके साथ मिलकर पेम्बर्टन ने एक केमिकल कंपनी खोली. इस कंपनी में फ्रैंक अकाउंट और मार्केटिंग देखने लगा. वहीं पेम्बर्टन अपने उस पेय पदार्थ पर दोबारा से काम करने लगा. पेम्बर्टन कई दिनों तक जूझता रहा, लेकिन सफलता उसके हाथ नहीं लगी. आखिरकार 1886 में मई की एक दोपहर में पेम्बर्टन ने एक तरल पदार्थ बनाया. जिसे बाद में जैकब फार्मेसी ले जाया गया. जिसे बाद में सोडा वाटर के साथ लोगों को टेस्ट कराया गया, तो लोगों को उसका स्वाद काफी पसंद आया.
ऐसे पड़ा नाम कोका-कोला...
फ्रैंक रॉबिन्सन ने इसका नाम कोका कोला रख दिया. इस मिक्सचर को कोरा अखरोट से कोका पत्ती और उसमें मिलाये गए कैफीन वाले सिरप के नुस्खे के नाम पर कोका-कोला रखा गया. फ्रैंक ने नाम में दो बार C इसलिए रखा, क्योंकि उनका मानना था कि नाम में दो बार C होने से ये नाम आसानी से लोगों की जुबान पर भी आ जायेगा. उसके बाद कोका-कोला को बेचने के लिए प्रति गिलास 5 सेंट का मूल्य तय किया गया. 8 मई, 1886 में पहली बार जैकब फार्मेसी ने कोका-कोला को बाजार में बेचा.
शुरू में 9 गिलास के हिसाब से बिकता था कोला
पहले साल में कोका कोला की बिक्री केवल 9 गिलास के हिसाब से हुई. एक साल में महज 25 गैलन की खपत हुई. जिससे 50 डॉलर के करीब की कमाई हुई. हालांकि इसकी लागत 70 डॉलर से ज्यादा थी. इस तरह कोका- कोला को शुरुआत में तो नुकसान उठाना पड़ा. लेकिन आज कोका कोला एक ऐसे मुकाम पर है, जब दुनिया भर में रोज करीब दो अरब से ज्यादा बोतलों की बिक्री होती है. कोका कोला की बिक्री बढ़ाने के लिए एक समय में कंपनी ने इसके फ्री कूपन देने भी शुरू किए थे. धीरे-धीरे लोगों का इसका स्वाद इतना अच्छा लगा, कि लोगों ने इसे खरीदकर पीना शुरू कर दिया. साल 1890 आते-आते अमेरिका में कोका कोला काफी पॉपुलर हो गया. उस वक्त सिर दर्द व थकान से छुटकारा पाने के लिए दवा के तौर पर इसका इस्तेमाल किया जाता था.
कोका कोला की भारत में दस्तक
समय के साथ-साथ कंपनी ने अपना विस्तार भी बड़ी तेजी के साथ किया. साल 1990 में जर्मनी में कंपनी ने अपनी ब्रांच खोली. फिर साल 1993 में पहली बार कंपनी ने भारत में दस्तक दी. ये वो समय था जब कोका कोला पेय पदार्थों के कई प्रोडक्टस बनाने में लगी थी. उसके बाद साल 1997 में कंपनी ने अरब में भी अपनी कंपनी खोली. आज कंपनी करीब 400 से अधिक ब्रांडों के साथ मिलकर अपने कई प्रोडक्ट्स को देश-विदेश में बेच रही है. आज कोला की ब्रैंडिंग इतनी मजबूत है कि छोटे शहरों और गावों में हर कोल्ड ड्रिंक और सोडा कोला के नाम से बिकने लगा है.
कई बार विवादों में आई कोला
नंबर वन ब्रांड होने के बावजूद भी कोका-कोला कई बार विवादों में भी आई. कई बार कंपनी को विरोध का भी सामना करना पड़ा. आज भी नॉर्थ कोरिया और क्यूबा में कोका कोला बैन है. साल 1950 में भी फ्रांस में इसका जबरदस्त विरोध हुआ. उस समय प्रदर्शनकारियों ने कोका कोला से भरी पूरी ट्रक को पलट दिया था. शुरुआत में सोवियत संघ ने भी इसका विरोध किया था. हालांकि तमाम विरोधों के बावजूद भी आज कोका-कोला करोड़ों लोगों की पसंद है.