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The Ambuja Story: कैसे कपास के एक कारोबारी ने बना दी 'अंबुजा सीमेंट की मजबूत दीवार...'

गौतम अडाणी ने सीमेंट कंपनी अंबुजा और एसीसी (एसोसिएटेड सीमेंट कंपनीज ) को खरीद लिया है. होल्सिम ग्रुप के पास अंबुजा सीमेंट की 63.1 फीसदी और एसीसी में 54.53 फीसदी हिस्सेदारी है. भारत का कोई गांव या कस्बा ऐसा नहीं होगा जहां लोग अंबुजा सीमेंट के बारे में न जानते हों.

Ambuja cement Ambuja cement

एशिया के सबसे अमीर बिजनेसमैन गौतम अडाणी ने सीमेंट कंपनी अंबुजा और एसीसी (एसोसिएटेड सीमेंट कंपनीज ) को खरीद लिया है. अडाणी ग्रुप की ये डील करीब 81 हजार करोड़ रुपये में हुई है. होल्सिम ग्रुप के पास अंबुजा सीमेंट की 63.1 फीसदी और एसीसी में 54.53 फीसदी हिस्सेदारी है. भारत में होल्सिम की पहचान अंबुजा सीमेंट और एसीसी लिमिटेड के जरिए ही है. इस सौदे के साथ ही अडानी ग्रुप का सीमेंट के क्षेत्र में भी प्रवेश हो गया है.

भैया ये दीवार टूटती क्यों नहीं...टूटेगी कैसे, अंबुजा सीमेंट से जो बनी है

भारत में अंबुजा सीमेंट को किसी पहचान की जरूरत नहीं है. पूरे विश्व में अंबुजा का नाम सीमेंट कारोबार में बहुत बड़ा माना जाता है. भारत का कोई गांव या कस्बा ऐसा नहीं होगा जहां लोग अंबुजा सीमेंट के बारे में न जानते हों. इसकी मार्केटिंग इतनी मजबूत रही है कि बच्चा-बच्चा भी इसके बारे में जानता होगा. आपने अंबुजा का वो विज्ञापन तो देखा ही होगा, जिसमें दो भाई घर में बनी दीवार इसलिए नहीं तोड़ पाते क्योंकि वह अंबुजा सीमेंट से बनी होती है. अंबुजा सीमेंट के साथ लोगों का 39 साल पुराना विश्वास है.

कपास व्यापारी ने खड़ी की सीमेंट कंपनी

नरोत्तम सेखसरिया  ने अपने जीवन में कभी सीमेंट का प्लांट नहीं देखा था. न ही उन्हें गुजरात में चूना पत्थर या सीमेंट उद्योग की कोई जानकारी थी. साल था 1983. एक कपास व्यापारी जिसका एक ही सपना था बड़ा बिजनेसमैन बनना. वो जो काम शुरू करने जा रहा था उसके बारे में उसे कुछ पता नहीं था. लाइसेंस राज में, जहां उत्पादन से लेकर खपत तक सब कुछ सरकार द्वारा नियंत्रित किया जाता था. नरोत्तम सेखसरिया ने अपनी मेहनत के बलबूते दुनिया की सबसे सफल सीमेंट कंपनियों में से एक का निर्माण किया.
 

दो साल में बनकर तैयार हुआ पहला सीमेंट प्लांट

साल 1983 में नरोत्तम सेखसरिया और सुरेश नियोतिया ने अंबुजा सीमेंट की स्थापना की थी. दोनों सीमेंट के कारोबार में बिल्कुल नए थे लेकिन उन्हें पता था कि भारत जैसी विकासशील अर्थव्यवस्था के लिए सीमेंट का कारोबार सोने की तरह फलफूल सकता है. ऐसे में उन्होंने गुजरात में एक सीमेंट संयंत्र में निवेश किया. अंबुजा का पहला सीमेंट प्लांट दो साल में ही बनकर तैयार हो गया था. 1986 में 7 लाख टन प्रति वर्ष की क्षमता वाले एक प्लांट से आज अंबुजा ने 5 प्लांट का सफर तय किया है. इसकी देशभर में 8 सीमेंट ग्राइंडिंग यूनिट है.

दुनिया के कोने-कोने में सीमेंट एक्सपोर्ट करती है कंपनी

आज ये कंपनी दुनिया के हर कोने में भारत में बना सीमेंट पहुंचा रही है. शुरुआत में इस कंपनी का नाम गुजरात अंबिजा सीमेंट लिमिटेड था. इसे 2006 में अंबुजा सीमेंट लिमिटेड नाम दिया गया. यह कंपनी हजारों लोगों को रोजगार भी देती है. अंबुजा को क्वालिटी और स्ट्रेंथ दोनों में काफी अच्छा माना जाता है. अंबुजा सीमेंट और एसीसी लिमिटेड ने 2006 में होल्सिम सीमेंट (दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी सीमेंट कंपनी) के साथ साझेदारी की. होल्सिम ने 2005 में भारत आई थी. जब सड़क मार्ग से सीमेंट एक्सपोर्ट महंगा हो रहा था, तब यह पहली भारतीय कंपनी बनी, जिसने सीमेंट के निर्यात के लिए समुद्र का रास्ता अपनाया.

द अंबुजा स्टोरी

अंबुजा सीमेंट कहानी है धैर्य की, दृढ़ संकल्प, ईमानदारी और अखंडता की...अंबुजा सीमेंट ने उन रूढ़ियों को तोड़ दिया है, जिसमें कहा जाता था सीमेंट उत्पादन पर्यावरण के अनुकूल नहीं है.. अच्छा सीमेंट सस्ता नहीं हो सकता है...
 

किफायती आवास तथा ग्रामीण सड़क एवं सिंचाई परियोजनाओं जैसी नीतियों से आगे आने वाले समय में सीमेंट उद्योग को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है. सरकार इन्फ्रास्ट्रक्चर और गरीबों के लिए सस्ते घर बनाने पर जोर दे रही है. इससे सीमेंट की मांग बढ़ रही है. इस वक्त आदित्य बिड़ला समूह की अल्ट्राटेक सीमेंट भारत की सबसे बड़ी कंपनी है. वहीं भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सीमेंट का बाजार है.