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Success Story: सीए ड्रॉपआउट ने कचरे में ढूंढा कमाई का जरिया, मंदिरों के फ्लोरल वेस्ट से बना रहे हैं प्रोडक्ट्स, सालाना टर्नओवर दो करोड़ से ज्यादा

Success Story: सीए ड्रॉपआउट ने कचरे में भी कमाई का जरिया ढूंढ लिया है. भरत बंसल मंदिरों के फ्लोरल वेस्ट से अलग-अलग प्रोडक्ट्स बना रहे हैं. आज उनकी कंपनी का सालाना टर्नओवर दो करोड़ से ज्यादा का है.

मंदिरों का फ्लोरल वेस्ट मंदिरों का फ्लोरल वेस्ट
हाइलाइट्स
  • 2020 में भरत ने बदला अपना करियर  

  • हर महीने कई टन फूल रिसाइकल होते हैं

नए सिरे से करियर शुरू करना अपने आप में एक चैलेंज है. लेकिन 34 साल के भरत बंसल इससे डरे नहीं और सीए की पढ़ाई ड्रॉप कर कचरे में अपनी कमाई का जरिया ढूंढ लिया. जब उन्होंने यमुना नदी को साल-दर-साल तेजी से प्रदूषित होते देखा तो उन्होंने इसमें डाले जा रहे फ्लोरल वेस्ट को काम का बना रहे हैं.

दरअसल, फूल, एक बार धार्मिक संस्थानों में चढ़ाए जाने के बाद, पवित्र हो जाते हैं, और अनादि काल से, उन्हें निपटाने का एकमात्र तरीका पवित्र नदियों में फेंकना है. भरत शुगरमिंट को दिए एक इंटरव्यू में बताते हैं कि बचपन में वे भी नदी में फूल फेंकते थे. लेकिन दशकों बाद ही उन्हें एहसास हुआ कि इन फूलों को उगाने के लिए कीटनाशकों और रासायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल किस तरह नदी के पानी को प्रदूषित करता है, जिससे यह अत्यधिक जहरीली हो जाती है. 

2020 में भरत ने बदला अपना करियर  

सीए ड्रॉपआउट और पेशे से वकील, भरत ने 2020 में अपने चार साल के लंबे करियर को छोड़ दिया था और उसी साल उन्होंने अपनी पत्नी सुरभि और दोस्त राजीव के साथ निर्मलाया शुरू किया. दिल्ली स्थित यह सामाजिक उद्यम शहर में 300 से अधिक मंदिरों के साथ काम करता है, जो फूलों के कचरे को जैविक अगरबत्ती और शंकु, और हवन कप आदि में बदल देते हैं. 

भरत अपने इंटरव्यू में कहते हैं, “निर्मलाया की शुरुआत 2020 में हुई थी. संस्थापकों में से एक राजीव ने शिरडी का दौरा किया, जहां उन्होंने फूलों को धूप में बदलने की प्रक्रिया देखी. चूंकि हम लगभग 30 साल से दिल्ली में रह रहे हैं, हमने यमुना को प्रदूषित होते देखा है. राजीव को वेस्ट मैनेजमेंट का शौक था और मुझे और सुरभि को फ्रेगरेंस का शौक था, ब्रांड बनाना और बेचना, हम सब ने हाथ मिलाया और निर्मलाया को शुरू किया. हमने अगरबत्ती, कोन और धूप की छड़ें और हवन कप में 6 फ्रेग्रेंस के साथ शुरुआत की और आज हमारे पास 15+ फ्रेग्रेंस हैं, जिसमें हवन कप हमारा स्टार प्रोडक्ट है.”

हर महीने कई टन फूल रिसाइकल होते हैं

वर्तमान में निर्मलाया हर महीने 40 टन बेकार फूलों को रिसाइकिल कर रहा है. इनका टर्नओवर करोड़ों में है. निर्मलाया दिल्ली एनसीआर में 300 मंदिरों से हर दिन फूलों का कचरा इकट्ठा किया जाता है और 100 से अधिक महिला वर्कर इसके लिए काम करती हैं. भरत कहते हैं, “हम निर्मलाया का निर्माण इस तरह से कर रहे हैं कि जैसे ही कोई व्यक्ति सुबह उठेगा, उसे अपने रूम से लेकर घर के चारों ओर निर्मलाया की महक आने लगेगी जिससे आपको शांति मिलेगी.”