
बीते दिनों डिजिटल अरेस्ट एक गंभीर समस्या बन कर उभरा है. इससे लोगों की न सिर्फ जीवनभर की पूंजी जा रही है बल्कि यह भावनात्मक सदमा भी है. आगरा में हुई एक घटना में तो एक शिक्षिका की मौत भी ऐसे ही मामले में हो गई. हालांकि, साइबर फ्रॉड, डिजिटल अरेस्ट जैसे मामलों में सरकार, प्रशासन और पुलिस सचेत होकर काम कर रहे हैं. साथ ही, लगातार प्रयास करके मनी रिकवरी में सफलता भी मिल रही है.
लेकिन स्कैमर्स हर बार एक नया रास्ता बना लेते हैं और पुलिस को बाईपास करने की कोशिश करते हैं. ऐसा ही एक अपनी तरह का नया मामला बिहार के सीतामढ़ी में देखने को मिला. हाल ही में, सीतामढ़ी के एक गांव में रहने वाले विजय कुमार नामक शख्स ने साइबर थाने में फ्रॉड की रिपोर्ट दर्ज कराई.
पीएम किसान निधि के पैसे देने के बहाने ठगी
विजय कुमार ने रिपोर्ट में बताया है कि उनके भाई को किसी ने फोन करके कहा कि आपके पीएम किसान निधि के 6000 रुपए आए हैं. फोनपे नंबर दे दीजिए तो आपको ट्रांसफर कर देंगे. उनके भाई ने अपनी बेटी का नंबर दे दिया. बाद में, उस कॉलर ने उनकी बेटी से वीडियो कॉल करने को कहा ताकि आगे की प्रोसेस वह कॉलर उन्हें समझा सके. उस कॉलर ने फिर व्हाट्सएप पर वीडियो कॉल किया. वीडियो कॉलर पर आधार-पैन वेरिफाई किया. फिर कहा कि पैसे ट्रांसफर नहीं हो रहे हैं तो आप कोई दूसरा खाता नंबर दे दीजिए.
तब लड़की ने विजय कुमार का नंबर दिया. इसके बाद, कॉलर ने विजय कुमार को व्हाट्सएप पर वीडियो कॉल की. उसने उनका बैंक अकाउंट नंबर भी लिया. विजय कुमार ने रिपोर्ट में बताया कि कॉलर ने उनसे कई अलग-अलग एप डाउनलोड करवाए, जिनमें कुछ वॉलेट पेमेंट एप थे जैसे Amazon Pay, Mobikwik, NABI, Paytm आदि. कॉलर न किसी ऐप के माध्यम से उनके फोन का रिमोट एक्सेस ले लिया और फिर उन्हीं के फोन नंबर से इन सभी एप्स पर अकाउंट बनाया. उसे फोन पर रिमोट एक्सेस के कारण OTP आदि सब मिल रहे थे.
कॉलर ने फिर उनसे उनके दूसरे बैंक अकाउंट के ATM Card का फोटो मांगा. विजय कुमार बताते हैं कि इस पूरी प्रक्रिया में दो घंटे से ज्यादा समय हो गया था. एक तरह से वह डिजिटल अरेस्ट में थे. एटीएम कार्ड फोटो देने के कुछ समय बाद उन्हें अकाउंट से पैसे कटने का मैसेज आया. अकाउंट में एक लाख 90 हजार रुपये थे जो 20 हजार रह गए. विजय कुमार का कहना है कि इस पूरी कॉल के दौरान कॉलर यही कहता रहा कि वह ऑनलाइन पैसे ट्रांसफर की कोशिश कर रहा है.
इस तरह के मामले में मुश्किल होता है पता लगाना
इस पूरे मामले के बारे में Lex Cyber Attorneys firm के साइबर एक्सपर्ट, अंकित देव अर्पण ने GNT Digital से बात करते हुए कहा कि पूरे मामले में देखें तो विक्टिम को डिजिटल अरेस्ट करने के साथ ही उसका फोन रिमोट एक्सेस मोड में अपने साथ लिया गया. साथ ही, सभी ट्रांजेक्शन पहले वॉलेट में किए गए और फिर इसका इस्तेमाल ईकॉमर्स में किया गया हो. ऐसे में समस्या यह है कि विक्टिम को यह सिद्ध करना होगा कि उक्त घटना उसकी बिना सहमति के की गई है, क्योंकि पूरे प्रकरण में सभी डिजिटल रिसोर्स विक्टिम के ही हैं. ऐसे फाइनेंशियल फ्रॉड का इन्वेस्टिगेशन मुश्किल होगा और इसमें कई चुनौतियां आएंगी.
कैसे इसकी जांच करें:
अंकित कहते रहैं कि पुलिस ऐसे मामलों में रिवर्स इंजीनियरिंग का इस्तेमाल कर सकती है. सबसे पहले यह सिद्ध करना जरूरी है कि ट्रांजेक्शन विक्टिम के द्वारा नहीं बल्कि किसी दूसरे ग्रुप (जो स्कैमर्स का है) द्वारा किया गया है. इसके लिए ट्रांजेक्शन के समय इस्तेमाल हुए नेटवर्क एवं डिवाइसेज की जांच करनी होगी. हालांकि, ऐसे मामलों में स्कैमर्स VPN या TOR का यूज़ करते हैं. यह गोपनियता और नेटवर्क मैनिपुलेशन के लिए उपयोग किया जाता है, लेकिन इससे यह सिद्ध जरूर होगा कि यह ट्रांजेक्शन विक्टिम के बिना सहमति के किसी और ने किया है.
इस तरह के मामलों में पैसे को वॉलेट जैसे एयरटेल मनी, अमेजन पे, MobiKwik इत्यादि में ऐड किया जाता है और इसका उपयोग ज्यादातर ई-कॉमर्स में किया जा सकता है. ऐसी स्थिति में पुलिस विक्टिम के वॉलेट की जांच और वहां हुए परचेज हिस्ट्री से संबंधित जानकारी जुटा सकती है. साथ ही, ई कॉमर्स एक्टिविटी में डिलीवरी एड्रेस का इस्तेमाल होता है, जो जांच में मदद कर सकता है. पहले ऐसे मामलों में बैंक की मदद लेकर मनी ट्रेल एवं स्कैमर्स की जानकारी ली जाती थी, लेकिन वॉलेट ट्रांजेक्शन वॉलेट ऐप के पदाधिकारियों से जुड़कर मोबाइल नेटवर्क एवं इत्यादि संबंधित सूचना मांगी जा सकती है.
ऐसे डिजिटल फ्रॉड से कैसे बचें