देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल, Vocal for Local अब रंग ला रही है. इस मुहिम के जरिए हर शहर हर राज्य में लोग रोजगार सृजन कर रहे हैं. प्रधानमंत्री की इस मुहिम में हर राज्य आज अपनी भागीदारी निभा रहा है और बहुत से लोगों की किस्मत बदल रही है. इस पहल के तहत बिहार के रहने वाले मनीष आनंद ने मखाने की खेती करके अपनी जिंदगी बदली है.
हम सब जानते हैं कि बिहार के मिथिला क्षेत्र से दुनिया भर में मखाने एक्सपोर्ट होते हैं. यह भी कहा जाता है कि दुनिया भर में इस्तेमाल होने वाले मखानों का 80% हिस्सा बिहार से ही जाता है. मखाने की सबसे ज्यादा पैदावार होने की वजह है यहां पर्याप्त मात्रा में पानी का होना. क्योंकि मखाने की खेती के लिए सबसे महत्वपूर्ण पानी ही होता है.
विदेशों में काम कर चुके हैं मनीष
मनीष आनंद ने दुनिया भर के अलग-अलग देशों में रहकर काम किया और 20 साल बाहर रहने के बाद साल 2012 में वह अपने वतन लौट. पटना में पले-बढ़े मनीष ने भारत लौटने पर उन्होंने अपने पैतृक गांव में मखाने की खेती करना शुरू किया. दिलचस्प बात यह रही कि मधुबनी में देश की सबसे बड़ी मखाना फैक्ट्री- Mithila Naturals शुरू करने से पहले उन्होंने Farm-to-fork की इकोनॉमिक्स को समझा. अपनी फैक्ट्री में उन्होंने सैकड़ो की तादाद में लोगों को रोजगार दिया. सबसे खास बात यह है कि उनके यहां काम करने वालों में महिलाओं की संख्या पुरुषों से ज्यादा है.
मनीष आनंद का कहना है कि मखाने की मांग आज दुनिया भर में काफी ज्यादा है. क्योंकि मखाना को सुपरफूड कहा जाता है और यह हेल्दी फूड्स में गिना जाता है. हालांकि, इसकी मांग की तुलना में पैदावार बहुत कम है. यही वजह है कि चाहे राज्य सरकार हो या केंद्र सरकार, दोनों ही मखाने की खेती को लेकर काफी एक्टिव नजर आते हैं. मनीष आनंद का कहना है कि उन्होंने जब इस व्यवसाय की शुरुआत की तो उन्हें सरकार से बहुत ज्यादा सपोर्ट मिला.
मॉडर्न जमाने का स्नैक है मखाना
मनीष ने शुरुआत में बहुत सी परेशानियों का सामना किया लेकिन वह लगातार आगे बढ़ते रहे. और उन्होंने कुछ सालों में ही मिथिला नेचुरल्स को बाजार में एक प्रतिष्ठित ब्रांड के रूप में स्थापित कर दिया. उन्होंने "Makhana's Water to Platter" कॉन्सेप्ट को अपनाया. इसका मतलब है कि वाटर बॉडी से मखाने के कल्टीवेशन से लेकर इसे प्रोसेस करके ग्राहकों की प्लेट तक पहुंचाना. इस कॉन्सेप्ट में जल निकायों में मखाने की सस्टेनेबल खेती, कटाई, प्रोसेसिंग और पैकेजिंग से लेकर एक पौष्टिक और स्वादिष्ट फूड कंटेंट के तौर पर ग्राहकों की थाली तक पहुंचना शामिल है.
मिथिला नेचुरल्स की इको-फ्रेंडली खेती पर जोर देता है. साथ ही, मखानों की क्वालिटी पर फोकस किया जाता है. पारंपरिक तौर पर मखानों का इस्तेमाल लोग खीर बनाने में करते थे. लेकिन जैसे-जैसे लोगों के बीच मखाने के फायदों के बारे में जागरूकता बढ़ रही है वैसे ही इसे इस्तेमाल करने के तरीके बढ़ रहे हैं. अब इसे स्नैक्स, शेक, नमकीन और ड्राई फ्रूट आदि में भी इस्तेमाल किया जा रहा है. डॉक्टर भी अच्छी सेहत के लिए मखाने खाने की सलाह देते हैं.