
बजट की तारीख धीरे -धीरे नज़दीक आ रही है, वक्त बीतने के साथ बजट को लेकर लोगों की उम्मीदें भी बढ़ती जा रही हैं. 1 फरवरी को बजट पेश होने वाला है. पिछले बजट में सरकार ने आयकर से संबंधित किसी बड़े फायदे का ऐलान नहीं किया था. उम्मीद जताई जा रही है कि सरकार इस बार टैक्स छूट की लिमिट को बढ़ाकर नौकरीपेशा को बड़ा तोहफा दे सकती है.
मांग को देखते हुए मिल सकती है राहत
सरकार से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि सरकार बजट 2022 में नौकरीपेशा और पेंशनर्स के लिए मौजूदा स्टैंडर्ड डिडक्शन (Standard deduction) की लिमिट को 30-35 फीसदी तक बढ़ा सकती है. गौरतलब है कि आयकर में बदलाव की बढ़ती मांग को देखते हुए कई उद्योग निकाय पहले ही सरकार से करदाताओं को कुछ राहत देने की अपील कर चुके हैं.
अकाउंटिंग फर्म डेलॉयट (Deloitte) के पार्टनर सुधाकर सेथुरमन (Sudhakar Sethuraman) का कहना है कि सरकार को हर साल स्टैंडर्ड डिडक्शन लिमिट पर विचार करना चाहिए. मेरे पास कोई तैयार आंकड़ा नहीं है. पर मुझे लगता है कि दो वजहों से स्टैंडर्ड डिडक्शन की लिमिट को कम-से-कम 20-25 फीसदी बढ़ाया जाना चाहिए. पहला, लगातार बढ़ रही महंगाई. दूसरा, वर्क फ्रॉम होम के कारण बढ़ा खर्च.
लिमिट बढ़ाने की खास वजह
टैक्स छूट की लिमिट को बढ़ाने की मांग ऐसे समय में हो रही है जबकि मुद्रास्फीति की वजह से घरेलू खर्च बढ़ गए हैं. बिजली से लेकर चिकित्सा खर्च समेत करदाताओं के कई खर्चों में तेज उछाल आया है. इस वजह से करदाताओं ने मानक कटौती सीमा में बढ़ोत्तरी की मांग की है. कई विशेषज्ञ भी इस बात से पूरी तरह सहमत हैं कि सरकार को बढ़ती महंगाई और कोविड -19 की वजह से बढ़े हुए खर्च के कारण मानक कटौती की सीमा बढ़ाने पर विचार करना चाहिए. यह मांग करने वाले उद्योग निकायों में एसोचैम और भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) भी शामिल हैं.
पर्सनल टैक्सेशन को लेकर कई सुझाव
वित्त मंत्रालय (Finance ministry) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि आगामी बजट के लिए सरकार को पर्सनल टैक्सेशन (Personal taxation) पर कई सुझाव मिले हैं. इनमें कॉमन है स्टैंडर्ड डिडक्शन की लिमिट बढ़ाना. कोविड-19 महामारी के दौर में बढ़े हुए मेडिकल खर्च को देखते इसकी मांग की जा रही है. इसके अलावा, वर्क फ्रॉम होम की वजह से नौकरीपेशा के इलेक्ट्रिसिटी, इंटरनेट और बाकी खर्चे बढ़ गए हैं. ऐसे में स्टैंडर्ड डिडक्शन लिमिट बढ़ाने से नौकरीपेश को कुछ राहत मिल सकती है. हालांकि, नया टैक्स स्लैब अपनाने वाले करदाताओं को इसका फायदा नहीं मिलेगा.