केंद्रीय बजट नजदीक आने के साथ पुरानी और नई कर व्यवस्थाओं के बीच बहस एक बार फिर सामने आ गई है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अगले सप्ताह 1 फरवरी को देश का बजट पेश करेंगी.
टैक्सपेयर्स को लंबे समय से अपने लिए नई छूट का इंतजार है और इनकम टैक्स स्लैब में भी बदलाव करने की गुंजाइश दिख रही है. एक्सपर्ट का मानना है कि इस बार टैक्सपेयर्स को लेकर कुछ बड़े ऐलान किए जा सकते हैं. इस बार सबसे ज्यादा चर्चा पुराने रेजीम में शामिल स्लैब को लेकर हैं.अभी 2.5 लाख तक तो सीधी टैक्स छूट मिलती है, जबकि 2.5 से 5 लाख तक की आमदनी पर 5 फीसदी की दर से टैक्स लगता है. हालांकि, यह करदाताओं को वापस कर दिया जाता है. यानी 5 लाख तक की कमाई पूरी तरह टैक्स फ्री हो जाती है. लेकिन, जैसे ही आपकी आमदनी 5 लाख से ऊपर जाती है, इस पर लगने वाले टैक्स की दर सीधे चार गुना बढ़कर 20 फीसदी पहुंच जाती है. कहां जा रहा है कि सबसे ज्यादा टैक्सेबल इनकम इसी सोर्स से आती है. अगर इसमें कोई बड़ा बदलाव होता है तो नौकरीपेशा वाले व्यक्तियों को बड़ी छूट मिल सकती है.
क्या हो सकता है बदलाव
खबर है कि सरकार केंद्रीय बजट 2023 से पहले कम लोकलुभावन, छूट-रहित नई कर व्यवस्था की समीक्षा कर रही है. इसके रोलआउट के बाद से केवल आधे मिलियन से भी कम करदाताओं ने नई कर व्यवस्था का विकल्प चुना है.एक्सपर्ट का अनुमान है कि सरकार इस बार नए रेजीम में बदलाव के साथ पुराने टैक्स रेजीम में भी नया स्लैब जोड़ सकती है. यह बदलाव 5 लाख से 7.5 लाख रुपये तक की आमदनी वाले टैक्सपेयर्स के लिए होगा. अनुमान है कि इस आमदनी पर लगने वाले टैक्स की दर को घटाकर 10 या 15 फीसदी किया जा सकता है, जो अभी 20 फीसदी है. ऐसा होता है लाखों नौकरीपेशा करदाताओं को टैक्स बचाने में बड़ी मदद मिलेगी.
छोटी और लंबी अवधि के लाभ को करेगा फोकस
सरकार छूट की मौजूदा सीमा 2.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 3.5 लाख रुपये या 4 लाख रुपये कर सकता है. नई टैक्स व्यवस्था के तहत 20 लाख रुपए तक की टैक्स योग्य आय वाले व्यक्तियों के लिए टैक्स की सीमा 20 प्रतिशत रखने की सिफारिश की जा रही है.
यह भी उम्मीद की जाती है कि आगामी बजट संपत्ति वर्गों में पूंजीगत लाभ के कराधान को युक्तिसंगत बनाएगा. स्क्रिपबॉक्स के निदेशक भारत पाठक ने कहा,“केंद्रीय बजट के लिए कुछ दिनों के साथ, पूंजीगत लाभ कर के युक्तिकरण और वेतनभोगी व्यक्तियों के लिए कर स्लैब में संशोधन की अपेक्षाओं के साथ इस वर्ष कराधान एक प्रमुख विचार होने की संभावना है. संपत्ति वर्ग के आधार पर पूंजीगत लाभ कर 10% से 20% तक होता है और यह सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध है या नहीं. पाठक का कहना है कि बजट 2024 छोटी और लंबी अवधि के लाभ पर विभिन्न परिसंपत्ति वर्गों पर करों को सरल बनाकर निवेशकों की दुविधा को कम कर सकता है.