आम बजट को लेकर वित्त मंत्रालय ने तैयारी शुरू कर दी है. आम बजट के जरिए सरकार पूरे साल की कमाई और खर्च का लेखा-जोखा पेश करती है. एक फरवरी 2023 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण वित्त वर्ष 2023-24 के लिए बजट पेश करेंगी. ये उनका लगातार पांचवां बजट होगा.
बजट का इतिहास
भारत में बजट परम्परा की शुरुआत प्रथम वायसराय लॉर्ड कैनिंग ने की थी लेकिन भारत के पहले बजट को प्रस्तुत करने का श्रेय 18 फरवरी, 1860 में गवर्नर जनरल की परिषद के तत्कालीन वित्त मंत्री जेम्स विल्सन (1805-1860) को जाता है. इस लिहाज से जेम्स विल्सन को भारतीय बजट का संस्थापक भी कहा जाता है. देश में बजट संविधान के अनुच्छेद 112 के अन्तर्गत प्रस्तुत किया जाता है. स्वतन्त्र भारत का पहला अंतरिम बजट 26 नवंबर, 1947 को आर.के षणमुखम शेट्टी ने प्रस्तुत किया गया था. यह बजट एक तरह की आर्थिक समीक्षा था.
सबसे ज्यादा बार बजट पेश करने वाले वित्त मंत्री
देश में सबसे ज्यादा बार बजट पेश करने का रिकॉर्ड मोरारजी देसाई के नाम है. मोरारजी देसाई ने आठ सालाना बजट और दो अंतरिम बजट पेश किए. मोरारजी देसाई ने अपने जन्मदिन (29 फरवरी) के दिन दो बार बजट पेश किया. मोरारजी जी देसाई के बाद इस मामले में दूसरा नाम पी चिदंबरम, तीसरा नाम प्रणब मुखर्जी और यशवंत सिन्हा और चौथा नाम मनमोहन सिंह (छह) का आता है.
अलग-अलग वित्त मंत्रियों ने पेश किए थे बजट
1987-88 में वीपी सिंह द्वारा सरकार से अलग हट जाने के बाद राजीव गांधी देश के तीसरे ऐसे प्रधानमंत्री बने जिन्होंने अपनी मां इंदिरा गांधी और नाना जवाहरलाल नेहरू के बाद बजट को प्रस्तुत किया. वर्ष 1991-92 में अंतरिम तथा फाइनल बजट अलग-अलग दलों के वित्त मंत्रियों के द्वारा प्रस्तुत किए गए थे. अंतरिम बजट यशवन्त सिन्हा ने प्रस्तुत किया जबकि मई 1991 में कांग्रेस के सत्ता में वापस आने के बाद मनमोहन सिंह देश के वित्त मंत्री बने और उन्होंने फाइनल बजट प्रस्तुत किया.
बजट में हुए बदलाव
1. वर्ष 1955 तक बजट को अंग्रेजी भाषा में ही पेश किया जाता था, लेकिन कांग्रेस सरकार ने इसे अंग्रेजी और हिंदी दोनों में ही पेश करना शुरू कर दिया था.
2. वर्ष 1999 तक बजट भाषण फरवरी के अंतिम कार्यदिवस को शाम पांच बजे पेश किया जाता था, लेकिन यशवंत सिन्हा ने 1999 में इसे बदलकर सुबह 11 बजे कर दिया था.
3. अरुण जेटली ने 2017 में बजट भाषण एक फरवरी को पेश किया और तब से हर साल 1 फरवरी को बजट पेश किया जाने लगा. इससे पहले बजट फरवरी की आखिरी तारीख 28 या 29 फरवरी को पेश किया जाता था.
4. वर्ष 2017 से पहले तक रेल बजट और आम बजट अलग-अलग हुआ करते थे, लेकिन 2017 में रेल बजट को आम बजट में समाहित कर दिया गया.
5. कोविड-19 महामारी आने के बाद पेपरलेस बजट की शुरुआत हुई. वर्ष 2021-22 का बजट पहली बार कागज-रहित पेश किया गया.