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Budget 2024: सरकार कहां से जुटाएगी पैसा... कहां और कितना करेगी खर्च... आसान भाषा में समझिए बजट का पूरा हिसाब-किताब

Union Budget 2024: केंद्र सरकार के पास टैक्स और नॉन-टैक्स दोनों तरह के सोर्सेज से पैसा आता है. सदन में मंगलवार को पेश हुए बजट के दस्तावेज में सरकार ने बताया है कि वो वित्त वर्ष 2024-25 में सबसे ज्यादा 27 फीसदी कमाई उधारी से करेगी.

Budget 2024 Budget 2024
हाइलाइट्स
  • वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मोदी सरकार 3.0 का पहला बजट किया पेश 

  • रक्षा पर 6.21 लाख करोड़ रुपए खर्च करेगी मोदी सरकार

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने मंगलवार को आम बजट 2024-25 (Union Budget 2024-25) पेश कर दिया है. ये बजट 48 लाख 20 हजार करोड़ रुपए का है. आइए जानते हैं सरकार के पास कहां से कितना पैसा आएगा और कहां व कितना खर्च होगा.

सरकार के पास कहां से आएगा पैसा
आपको मालूम हो कि सरकार किसी कंपनी की तरह मुनाफा नहीं कमाती है बल्कि वह पैसे को जुटाती है. सरकार पहले अपने खर्च का अनुमान लगाती है. इसके बाद उस हिसाब से पैसे जुटाती है.

सरकारी खजाने में आने वाले हर एक रुपए में सबसे बड़ा हिस्सा प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों का होता है. बजट दस्तावेजों में इसकी जानकारी दी गई है कि प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों 63 प्रतिशत और उधार और अन्य देनदारियों से 27 प्रतिशत पैसा जुटाती है. विनिवेश जैसे गैर-कर राजस्व से नौ प्रतिशत और गैर-ऋण पूंजी से 1 प्रतिशत पैसा जुटाती है. 

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टैक्स से इतना मिलेगा पैसा
बजट 2024-25 में वित्त मंत्री ने बताया कि सरकार को इनकम टैक्स से 11.87 लाख करोड़ मिलेंगे. इसकी मिलने वाले पैसों में कुल हिस्सेदारी 19 प्रतिशत है. जीएसटी से सरकार 10.62 लाख करोड़ रुपए जुटाएगी. इसकी कुल हिस्सेदारी 18 प्रतिशत है. कॉर्पोरेशन टैक्स से 10.20 लाख करोड़ रुपए मिलेंगे.

कुल पैसों में इसकी हिस्सेदारी 17 प्रतिशत है. उत्पाद शुल्क से 3.19 लाख करोड़, सीमा शुल्क से 2.38 लाख करोड़ रुपए सरकार जुटाएगी. अन्य टैक्स जैसे सर्विस टैक्स, केंद्र शासित प्रदेशों के टैक्स आदि से सरकार 0.14 लाख करोड़ जुटाएगी. अन्य गैर-कर राजस्व से 2.19 लाख करोड़ रुपए आएंगे. ब्याज और लाभांश से 3.27 लाख करोड़ रुपए आएंगे. इस तरह से कुल रेवेन्यू रिसीट 43.86 लाख करोड़ रुपए का है.

कर्ज से इतने लाख करोड़ रुपए जुटाएगी सरकार
केंद्र सरकार बैंकों, विदेश और अन्य जगहों से कर्ज के रूप में 16.13 लाख करोड़ रुपए जुटाएगी. इसकी कुल पैसों में 27 प्रतिशत हिस्सेदारी है. कर्ज के अलावा सरकार एसेट्स बेचकर, कर्ज की वसूली आदि से 0.78 लाख करोड़ रुपए आएंगे. इसकी कुल हिस्सादेरी 1 प्रतिशत है. इस तरह से कुल कैपिटल रिसीट्स 16.91 लाख करोड़ रुपए है.

सरकार के पास कुल जमा रुपए 
सरकार के पास कुल रेवेन्यू रिसीट्स के रूप में 43.86 लाख करोड़ रुपए और कुल कैपिटल रिसीट्स के रूप में 16.91 लाख करोड़ रुपए जमा हैं. आपको मालूम हो कि इस कुल जमा में 12.47 लाख करोड़ रुपए राज्यों का हिस्सा शामिल है. इसको हटाने के बाद सरकार के पास कुल जमा 48.21 लाख करोड़ रुपए रहेगा.

कहां और कितना पैसा होगा खर्च
राज्यों को टैक्स और शुल्कों में से 12.47 लाख करोड़ रुपए दिए जाएंगे. इसकी कुल प्राप्त रकम में 21 प्रतिशत हिस्सेदारी है. सरकार कर्ज का ब्याज चुकाने में 11.63 लाख करोड़ रुपए खर्च करेगी. इसकी कुल प्राप्त रकम में हिस्सेदारी 19 प्रतिशत है.

केंद्र सरकार की योजनाओं और प्रोजेक्ट्स पर 10.88 लाख करोड़ रुपए खर्च किए जाएगा. इसकी कुल प्राप्त रकम में हिस्सेदारी 18 प्रतिशत है. केंद्र और राज्य के बीच राजस्व का बंटवारा करने वाले वित्त आयोग को 5.24 लाख करोड़ रुपए दिए जाएंगे. इसकी कुल प्राप्त रकम में हिस्सेदारी 9 प्रतिशत है. राज्य और केंद्र की योजनाओं पर 5.06 लाख करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे. 

सब्सिडी और पेंशन पर इतने रुपए होंगे खर्च
उर्वरक, खाद्य, पेट्रोलियम और अन्य वस्तुओं पर सरकार की ओर से दी जा रही सब्सिडी पर 4.28 लाख करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे. केंद्र के मंत्रालयों, विभागों, संस्थानों की व्यवस्था पर 3.79 लाख करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे. रिटायर्ड केंद्रीय कर्मचारियों के पेंशन पर 2.43 लाख करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे. केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन पर 1.62 लाख करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे. अन्य खर्च के रूप में 3.28 लाख करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे. इस तरह से कुल खर्च 60.77 लाख करोड़  रुपए होगा.

किस राज्य को कितना मिला पैसा
बजट 2024-25 में यूपी को 2.23 लाख करोड़ रुपए, बिहार को 1.25 लाख करोड़, मध्य प्रदेश को 98 हजार करोड़, पश्चिम बंगाल को 93 हजार करोड़, महाराष्ट्र को 78 हजार करोड़, राजस्थान को 75 हजार करोड़, ओडिशा को 56 हजार करोड़, तमिलनाडु को 50 हजार करोड़, आंध्र प्रदेश को 50 हजार करोड़, कर्नाटक को 45 हजार करोड़, गुजरात को 43 हजार करोड़ रुपए मिले हैं. 

इसके अलावा छत्तीसगढ़ को 42 हजार करोड़ रुपए, झारखंड को 41 हजार करोड़, तेलंगाना को 26 हजार करोड़, केरल को 24 हजार करोड़, पंजाब को 22 हजार करोड़, उत्तराखंड को 14 हजार करोड़, हरियाणा को 13 हजार करोड़, हिमाचल प्रदेश को 10 हजार करोड़, गोवा को 5 हजार करोड़ रुपए मिलेगा. इसके अलावा पूर्वोत्तर के 8 राज्यों अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा को 1.07 लाख करोड़ रुपए आवंटित किए जाएंगे. इस तरह से राज्यों कुल 12.47 लाख करोड़ रुपए दिए जाएंगे. 

किस मंत्रालय पर सबसे ज्यादा रुपए होंगे खर्च 
इस बजट में सबसे अधिक वित्त मंत्रालय पर खर्च किया जाएगा. वित्त मंत्रालय पर 18.5 लाख करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे. इसके बाद रक्षा मंत्रालय पर 6.21 लाख करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे. सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय पर 2.78 लाख करोड़, रेल मंत्रालय पर 2.55 लाख करोड़ कंज्यूमर अफेयर्स फूड एंड पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन मंत्रालय पर 2.33 लाख करोड़ और गृह मंत्रालय पर 2.19 लाख करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे.

इन पांच योजनाओं पर सबसे अधिक होगा खर्च 
प्रधानमंत्री गरीब क्लायाण अन्न योजना पर 2.05 लाख करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे. इसके अलावा भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण पर 1.68 लाख करोड़, यूरिया सब्सिडी पर 1.19 लाख करोड़, सड़क निर्माण कार्य पर 1.15 लाख करोड़ और मनरेगा पर 86 हजार करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे.

सरकार कहां से जुटाती है कर्ज 
केंद्र सरकार कर्ज का ब्याज चुकाने में 20 प्रतिशत पैसा खर्च कर देती है. सरकार मौटे तौर पर चार माध्यों से कर्ज जुटाती है. देश के भीतर से यानी बीमा कंपनियों, रिजर्व बैंक व अन्य दूसरे बैंकों से सरकार कर्ज लेती है. विदेश से जो सरकार कर्ज लेती है उसमें मित्र देश, इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड, वर्ल्ड बैंक और अन्य अंतरराष्ट्रीय बैंक शामिल है.

सरकार बाजार से भी कर्ज लेती है. सरकार ट्रेजरी बिल, बॉन्ड, स्मॉल सेविंग स्कीम आदि को जारी करती है, जिन्हें लोग और कंपनियां खरीदती हैं. समय-समय पर सरकार इसका ब्याज लोगों और कंपनियों को देती है. इसके अलावा सरकार अपनी संपत्ति, गोल्ड आदि को गिरवी रखकर भी कर्ज लेती है.