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Budget Confidentiality: बजट लीक न होने देना है सबसे बड़ी जिम्मेदारी, इंटेलिजेंस ब्यूरो रखती है निगरानी… जानें कैसे होती है इसकी सेफ्टी 

Budget Confidentiality: केंद्रीय बजट की प्रस्तुति देश के लिए एक बड़ी घटना. सावधानीपूर्वक और गोपनीय तैयारी प्रक्रिया यह सुनिश्चित करती है कि बजट तब तक गोपनीय रहे जब तक कि वित्त मंत्री इसे देश के सामने पेश न कर दें. बजट गोपनीयता रखने के तरीके पिछले कुछ साल में बदले हैं.

Nirmala Sitharaman (Photo: India Today Group) Nirmala Sitharaman (Photo: India Today Group)
हाइलाइट्स
  • इंटेलिजेंस ब्यूरो रखती है निगरानी

  • बजट लीक न होने देना है सबसे बड़ी जिम्मेदारी

केंद्रीय बजट भारत के इकोनॉमिक कैलेंडर की सबसे बड़ी और जरूरी घटनाओं में से एक है. 23 जुलाई को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण केंद्रीय बजट 2024 पेश कर रही हैं. यह बजट विशेष महत्व रखता है क्योंकि यह बीजेपी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट है. इसके अलावा, निर्मला सीतारमण लगातार सात बजट पेश करने वाली पहली वित्त मंत्री बनकर एक रिकॉर्ड बनाने वाली हैं. उन्होंने मोरारजी देसाई के छह के रिकॉर्ड को पीछे छोड़ दिया है.

हालांकि, बजट पेश करना इतना आसान नहीं होता है. इससे पहले एक बड़ी और काफी गोपनीय प्रक्रिया होती है. बजट के आसपास पूरी सुरक्षा और गोपनीयता बनाए रखना ही सबसे बड़ी जिम्मेदारी है. खासकर तब जब पहले ऐसी घटना हो गई हो.

पहले लीक हो चुका है बजट
अतीत में कई बजट लीक हो चुके हैं. सबसे बड़ी  घटनाओं में से एक स्वतंत्र भारत के पहले बजट (1947-1948) के दौरान घटी, जो केंद्रीय वित्त मंत्री सर आरके शनमुखम चेट्टी ने प्रस्तुत किया था. बजट की घोषणा से पहले, यूके के राजकोष के चांसलर (UK Chancellor of the Exchequer), ह्यूग डाल्टन ने एक पत्रकार को इसके बारे में कुछ जानकारी दे दी थी. जिसके बाद बजट की कई चीजें बजट भाषण से पहले ही अखबारों में प्रकाशित हो गई. ये एक बड़ा घोटाला था, जिसकी वजह से ह्यूग डाल्टन को इस्तीफा देना पड़ा था.

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एक और बार बजट लीक 1950 में हुआ था. तब बजट का एक हिस्सा राष्ट्रपति भवन में छपाई प्रक्रिया के दौरान लीक हो गया था. यह घटना तब घटी जब जॉन मथाई वित्त मंत्री थे. परिणामस्वरूप, बजट की छपाई को राष्ट्रपति भवन से नई दिल्ली में मिंटो रोड स्थित एक प्रेस में ट्रांसफर कर दी गई.

क्या होती है बजट तैयारी प्रक्रिया?
आज के डिजिटल युग में, यह सुनिश्चित करने के लिए कि बजट गोपनीय रहे, सख्त प्रोटोकॉल की जरूरत होती है. यहां बजट को गुप्त रखने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में जानिए- 

1. वित्त मंत्रालय के ऑफिस को क्वारंटाइन करना 
 -बजट घोषणा से कुछ हफ्ते पहले, वित्त मंत्रालय ऑफिस को क्वारंटाइन में डाल दिया जाता है. इसका मतलब यह है कि बजट पेश होने तक ऑफिस में विजिटर्स और मीडिया की एंट्री प्रतिबंधित होती है.

2. सुरक्षा उपाय
 -वित्त मंत्रालय के क्वारंटाइन के समय एंट्री और एग्जिट पॉइंट पर भारी सुरक्षा की जाती है. बजट बनाने की प्रक्रिया में शामिल अधिकारियों पर दिल्ली पुलिस की सहायता से इंटेलिजेंस ब्यूरो की कड़ी निगरानी रखी जाती है. किसी भी लीक को रोकने के लिए उनकी गतिविधियों पर नजर रखी जाती है.

3. बजट अधिकारियों का आइसोलेशन
-लगभग 100 अधिकारी कम से कम 10 दिनों तक आइसोलेशन में रहकर बजट पर काम करते हैं. इस अवधि के दौरान, उनका अपने परिवार सहित बाहरी दुनिया से कोई संपर्क नहीं होता है. इमरजेंसी मामले में, परिवार एक नंबर पर मैसेज छोड़ सकते हैं लेकिन अधिकारियों से सीधे बात नहीं कर सकते. 

4. इंटेलिजेंस ब्यूरो की निगरानी
 -जॉइंट सेक्रेटरी की अध्यक्षता में एक खुफिया टीम बजट बनाने वाले अधिकारियों की गतिविधियों की निगरानी करती है. सब कुछ सुरक्षित रहे यह सुनिश्चित करने के लिए इंटेलिजेंस ब्यूरो प्रमुख प्रिंटिंग प्रेस क्षेत्र का दौरा करते हैं.

5. हलवा सेरेमनी
-वित्त मंत्री की मौजूदगी में पारंपरिक हलवा समारोह के साथ अंतिम तैयारी शुरू होती है. मिठाई बांटने के बाद अधिकारी छपाई की प्रक्रिया शुरू करते हैं.

6. तकनीकी सावधानियां
 -साइबर चोरी को रोकने के लिए स्टेनोग्राफरों का उपयोग किए जाने वाले कंप्यूटरों को नेशनल इंफॉर्मेटिक्स सेंटर (NIC) सर्वर से डिस्कनेक्ट कर दिया जाता है. इसके अलावा, कॉल को ब्लॉक करने और सूचना लीक को रोकने के लिए वित्त मंत्रालय के अंदर मोबाइल फोन जैमर स्थापित किए जाते हैं.

7. मेडिकल तैयारी
-10 दिनों की आइसोलेशन के दौरान किसी भी मेडिकल इमरजेंसी को संभालने के लिए डॉक्टरों की एक टीम वित्त मंत्रालय के अंदर तैनात होती है.

बजट ब्रीफकेस है गोपनीयता का प्रतीक 
बजट की गोपनीयता बनाए रखने के लिए दस्तावेज छपने के बाद, उन्हें एक ब्रीफकेस में रखा जाता है. यह ब्रीफकेस बजट के दिन वित्त मंत्री अपने साथ लेकर चलते हैं. बजट ब्रीफकेस ले जाने की परंपरा औपनिवेशिक काल से चली आ रही है और इसे भारत के पहले वित्त मंत्री आरके शनमुखम चेट्टी ने अपनाया था. पिछले कुछ सालों में, अलग-अलग वित्त मंत्री विभिन्न ब्रीफकेस ले गए हैं, जिसमें निर्मला सीतारमण ने 2019 में पारंपरिक बही खाता का विकल्प चुना और अब एक टैबलेट का उपयोग कर रही हैं.