वित्त वर्ष 2022-23 के लिए आम बजट (Union Budget 2022-23) की तैयारियां जोरों से चल रही है. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण वित्त वर्ष 2022-23 के लिए 1 फरवरी 2022 यानी मंगलवार को बजट पेश करने जा रही हैं. पिछले साल की ही तरह इस बार भी पेपरलेस तरीके से आम बजट पेश किए जाने की तैयारी है. पहले बजट फरवरी के तीसरे सप्ताह तक बनकर तैयार होता था लेकिन अब इससे पहले बनाया जाता है क्योंकि पिछले कुछ वर्षों से इसे 1 फरवरी को पेश किया जाने लगा है.
आम बजट में देश के हर राज्य और हर मंत्रालय को ध्यान में रखकर साल भर का खर्च का ब्यौरा तैयार करना होता है. इस तरह यह कोई साधारण काम नहीं होता है. यह लगातार चलते रहने वाली एक ऐसी प्रक्रिया होती है जो सालभर की जाती है. तब जाकर बजट तैयार होता है और इसे संसद में पेश किया जाता है. इस तरह एक लंबी और जटिल प्रक्रिया से गुजर कर देश के सामने बजट पेश किया जाता है.
आइए, जानते हैं बजट बनाने की पूरी प्रक्रिया क्या है...
आम बजट में देश के सभी विभागों और मंत्रालयों के साल भर के खर्च और राजस्व प्राप्ति का ब्यौरा लिखा होता है. किन किन मदों पर कितना खर्च करना है और कितना राजस्व प्राप्त करना है यह सब लिखा जाता है.
बेहद गोपनीय होती है प्रक्रिया
देश में बजट बनाने की प्रक्रिया पूरी तरह से गोपनीय होती है. बजट बनाने के लिए वित्त मंत्रालय के अधिकारी गोपनीयता के साथ रात दिन मेहनत करके बजट का प्रारूप तैयार करते हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि बजट को जब अंतिम रूप दिया जाता है तो इन अधिकारियों के पास उनके मोबाइल रखने की भी इजाजत नहीं होती.
बजट की गोपनीयता को बनाए रखने के लिए बजट बनाने में शामिल अधिकारियों को हर साल बजट से पहले हलवा सेरेमनी के बाद लॉक इन में रहना होता है. इन अधिकारियों को नॉर्थ ब्लॉक के अंदर स्थित बजट प्रेस में रखा जाता है. एक बार वित्त मंत्री द्वारा केंद्रीय बजट को संसद में पेश करने के बाद ही ये अधिकारी और कर्मचारी अपने परिवारजनों से मिल पाते हैं.
यहां पूरी तरह बंद रहता कोर स्टाफ
कोरोना वायरस के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन के खतरे को देखते हुए वित्त मंत्रालय ने परंपरागत 'हलवा सेरेमनी' को इस बार नए तरीके से मनाया है. कोविड प्रोटोकॉल फॉलो करते हुए इस बार बजट टीम में शामिल कोर स्टाफ को मिठाई दी गई. इस सेरेमनी के बाद ये कोर स्टाफ लॉक इन में भेजे जाते हैं.
इन संगठनों की भी ली जाती है सलाह
बजट बनाने के लिए विभिन्न चैंबर्स, संस्थाओं और संगठनों से भी सलाह ली जाती है. इसके अलावा सचिव व्यय, नीति आयोग के सदस्य सचिव, राष्ट्रीय सलाहकार परिषद भी बजट का प्रारूप बनाने में मदद करता है. बजट बनाने वाली टीम को प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री, योजना आयोग के उपाध्यक्ष और आर्थिक सलाहकार परिषद का सहयोग मिलता है.