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Cash Deposit Rule: अब बैंक में बिना Pan या Aadhaar दिखाए नहीं निकाल सकेंगे पैसे, 26 मई से बदल रहे हैं कैश डिपॉजिट रूल

एक वित्त वर्ष में कोई भी अगर बैंक में 20 लाख रुपये से ज्यादा की राशि जमा करवाना या निकलना चाहता है तो उसे आधार या पैन नंबर दिखाना होगा. 26 मई से ये नियम लागू हो रहा है. इसका मकसद पैसे के निकालने और जमा करने में होने वाली धोखाधड़ी को कम करना है.

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हाइलाइट्स
  • 20 लाख रु. से ज्यादा के लेन-देन के लिए है नियम 

  • धोखाधड़ी होगी कम 

बैंक से पैसे निकालने या जमा करवाने के लिए अब पैन कार्ड या आधार कार्ड अनिवार्य होगा. ये नियम गुरुवार यानि 26 मई से पूरे देश में लागू हो रहा है. हालांकि, केंद सरकार ने इसके लिए लिमिट रखी है. 20 लाख रुपये से ज्यादा की राशि जमा करने या निकालने पर ये नियम लागू होगा. 

बता दें, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने इसकी घोषणा 10 मई को अधिसूचना जारी करके की थी. अधिसूचना में कहा गया था कि नया नियम चालू खाता खोलने के दौरान लागू होगा. 

20 लाख रु. से ज्यादा के लेन-देन के लिए है नियम 

आसान शब्दों में समझें, तो अब एक वित्त वर्ष में अगर कोई लाभार्थी बैंक में 20 लाख रुपये से ज्यादा की राशि जमा करवाना या निकलना चाहता है तो उसे आधार या पैन नंबर दिखाना होगा. बिना इनके वह न ही तो पैसे निकाल सकेगा और न ही पैसे जमा कर सकेगा. इसके अलावा, चालू खाता खोलने के लिए भी आधार या स्थायी खाता संख्या (पैन) को अनिवार्य कर दिया गया है.

कौन से बैंक हैं शामिल?

नए नियम की घोषणा करते हुए केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने 10 मई को एक अधिसूचना में कहा, “एक बैंक अकाउंट से लेन-देन में एक वित्तीय वर्ष में ₹20 लाख या उससे ज्यादा की राशि ही जमा या निकाल सकेंगे. इसमें कमर्शियल बैंक से लेकर पोस्ट ऑफिस और कोपरेटिव बैंक भी शामिल हैं.”

किसके पास जमा होगा पैन या आधार?

सीबीडीटी अधिसूचना में यह भी कहा गया कि व्यक्ति का पैन या आधार इनकम टैक्स के डायरेक्टर जनरल, प्रिंसिपल डायरेक्टर या किसी अधिकारी के पास जमा होगा. प्रिंसिपल डायरेक्टर जनरल या डायरेक्टर जनरल या फिर कोई अधिकृत अधिकारी ही पैन या आधार के प्रमाणीकरण की प्रक्रिया को निर्धारित करेगा.

धोखाधड़ी होगी कम 

गौरतलब है कि पहले, पैन कार्ड की जरूरत केवल तब होती थी जब कोई व्यक्ति एक दिन में 50,000 रुपये से ज्यादा नकद जमा करता था. हालांकि, नकद जमा करने या निकालने की कोई वार्षिक सीमा तय नहीं की गई थी. 

दरअसल, इसका मकसद पैसे के निकालने और जमा करने में होने वाली धोखाधड़ी को कम करना है. इसके अलावा, इस नियम की मदद से पैसा कितना और कहां जा रहा है इसका पता लग सकेगा.