केंद्र सरकार ने 2021-22 के लिए कर्मचारी भविष्य निधि EPF के ब्याज दर पर मंजूरी दे दी है. जिसके बाद अब EPF की ब्याज दर 8.1 फीसद ब्याज दर को मंजूरी दे दी गई है. वहीं EPF ब्याज दर पिछले साल 8.5 फीसद थी. वहीं EPF ब्याज दर 1977-78 के बाद से कर्मचारियों द्वारा अपने रिटायरमेंट फंड में जमा की गई सबसे कम ब्याज दर है. उस वर्ष EPF की ब्याज दर 8% थी. केंद्रीय वित्त मंत्री की मंजूरी के बाद ब्याज दर अधिसूचित की जाती है. जिसके बाद ही ब्याज दर को ग्राहकों के खाते में जमा किया जाता है. सरकार के इस फैसले से करीब साढ़े 6 करोड़ लोगों को असर होगा.
EPF ब्याज दर की ऐसे होती है गणना
आपको बता दें कि कर्मचारी और नियोक्ता दोनों मिलकर कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) द्वारा संचालित कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) में मासिक आधार पर मूल वेतन और महंगाई भत्ता का 24 फीसद योगदान करते हैं. जब एक बार वित्तीय वर्ष के लिए ब्याज दर अधिसूचित हो जाती है, वहीं जब चालू वर्ष समाप्त हो जाता है तो EPFO हर महीने और पूरे वर्ष के लिए ब्याज की गणना की जाती है.
नियोक्ता के 12% योगदान में से 8.33% पेंशन कोष में जाता है
EPFO के अनुसार पेंशन योगदान पर कोई ब्याज की गणना नहीं की जाती है. क्योंकि क्योंकि लाभ सेवा की लंबाई और बाहर निकलने के समय औसत मजदूरी पर आधारित होते हैं. वहीं यह लाभ चाहे पेंशन या निकासी के माध्यम से हो. वहीं नियोक्ता के 12% योगदान में से 8.33% पेंशन कोष में जाता है. वहीं भविष्य निधि के कर्मचारी शेयर और नियोक्ता शेयर के लिए ब्याज की गणना अलग से की जाती है.