इस समय देश-दुनिया पर मंदी (recession) के बादल छाए हुए हैं. दुनियाभर की कंपनियों ने इसको लेकर अपनी तैयारी भी शुरू कर दी है. दुनिया की कुछ अर्थव्यवस्थाएं मंदी के बीचो-बीच खड़ी हैं तो कहीं अभी इसके बादल मंडरा रहे हैं. लेकिन मंदी कब तक आएगी और बिजनेस पर इसका कैसा असर होगा, इसको लेकर फिलहाल चर्चा कम हो रही है. हाल ही में आए एक सर्वे में आपको इन सवालों के जवाब मिल सकते हैं. हालांकि मंदी को लेकर अनुमान ही लगाया जा सकता है, इसके समय और असर के बारे में सटीकता से बताना बिल्कुल असंभव सा है. लेकिन इस सर्वे के नतीजों से ये आइडिया मिल सकता है कि देश-दुनिया के बिजनेस जगत के दिग्गज मंदी के बारे में क्या सोच रहे, इसको लेकर कितने चिंतित हैं और कितने तैयार हैं.
क्या कहता है सर्वे? (KPMG 2022 CEO Outlook survey)
KPMG 2022 CEO Outlook ने तीन साल के बिजनेस और आर्थिक हालातों को लेकर देश और दुनियाभर के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों यानि CEOs के साथ एक सर्वे किया. केपीएमजी 2022 इंडिया सीईओ आउटलुक के सर्वे के अनुसार, दुनियाभर के 86% CEOs के मुकाबले लगभग 66% भारतीय CEOs अगले 12 महीने में मंदी के आने का अनुमान लगा रहे हैं. भारत और दुनिया के लगभग 58% मुख्य कार्यकारी अधिकारियों (CEOs) को लगता है कि अगले बारह महीनों में वैश्विक अर्थव्यवस्था में जो मंदी दिखाई देगी वह हल्की और बहुत कम अवधि की होगी. वहीं भारत के लगभग 55% CEOs के पास इस मंदी से निपटने की योजना तैयार है.
मंदी को लेकर भारतीय CEOs कम चिंतित (Indian CEOs on recession)
आर्थिक चुनौतियों के बावजूद भारत और वैश्विक अर्थव्यवस्था में CEOs का विश्वास फरवरी 2022 में 52% से बढ़कर अगस्त में 57% हो गया है. भले ही भारत में CEOs कंपनी और देश में विकास की संभावनाओं में गिरावट देखते हैं, लेकिन वे बेहद कम समय में ही वापसी की उम्मीद करते हैं. सर्वे में ये भी सामने आया कि मंदी और बिजनेस पर उसके असर को लेकर भारतीय CEOs तुलनात्मक रूप से कम चिंतित हैं. हालांकि भारतीय CEOs के अनुसार बढ़ती ब्याज दरें, मुद्रास्फीति (Inflation) और प्रत्याशित मंदी, ज्यादा चिंता का विषय हैं. भारतीय CEOs का ये भी मानना है कि जियो पॉलिटिकल अनिश्चितताएं अगले तीन साल तक रणनीतियों और सप्लाई चेन को प्रभावित करती रहेंगी.