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Exclusive: CA और UPSC में असफलता के बाद शुरू किया चाय का बिजनेस, आज है 100 करोड़ से ज्यादा का टर्नओवर

Chai Sutta Bar Success Story: कई बार लोग अपने फेलियर से डरकर हार मान लेते हैं और जीवन में कुछ बड़ा करने की कभी सोचते ही नहीं हैं. लेकिन आज हम आपको बता रहे हैं एक ऐसे शख्स की कहानी जिसने असफलता को अपनी सफलता की सीढ़ी बनाया.

Chai Sutta Bar Success Story Chai Sutta Bar Success Story
हाइलाइट्स
  • 3 लाख रुपए की इंवेस्टमेंट से शुरू हुई यह ब्रांड

  • आज 100 करोड़ रुपए से ज्यादा है टर्नओवर

अक्सर कॉलेज में दोस्तों के साथ हम प्लान बनाते हैं अपना कोई काम करेंगे. और कुछ नहीं तो चाय की टपरी खोलेंगे. हालांकि, ये प्लान पढ़ाई पूरी होते ही फुर हो जाते हैं और सब नौकरी की भाग-दौड़ में लग जाते हैं. पर आज हम आपको बताएंगे एक ऐसे युवा की कहानी, जिसने सिर्फ प्लान नहीं बनाया बल्कि प्लान को हकीकत और फिर सफलता में बदला. 

यह कहानी है अनुभव दुबे की. मध्य प्रदेश के रीवा से ताल्लुक रखने वाले अनुभव अपने दो दोस्तों, आनंद नायक और राहुल के साथ मिलकर, अपनी कंपनी, चाय सुट्टा बार (Chai Sutta Bar) चला रहे हैं. साल 2016 में 3 लाख रुपए की इंवेस्टमेंट से शुरू हुई इस ब्रांड का टर्नओवर आज 100 करोड़ रुपए से ज्यादा है. 

GNT Digital से बात करते हुए अनुभव दुबे ने अपने इस सफर के बारे में बताया. 

Anubhav Dubey

CA और UPSC का परीक्षा में मिली असफलता
अनुभव ने बताया कि वह कक्षा 8 के बाद अपनी स्कूली शिक्षा के लिए एमपी के रीवा से इंदौर आए. स्कूल के बाद उन्होंने CA की परीक्षा दी लेकिन असफल रहे. साल 2014 में, वह यूपीएससी परीक्षा की तैयारी के लिए दिल्ली चले गए. लेकिन जल्द ही उन्हें एहसास हो गया कि वह इसके लिए नहीं बने हैं. 

अनुभव कुछ अलग करना चाहते थे. उनका मन हमेशा से बिजनेस करने का था. और कहते हैं न कि किसी चीज को सिद्दत से चाहो तो उस तक पहुंचने का राह बन ही जाती है. अनुभव के साथ कुछ ऐसा ही हुआ. साल 2016 में, वह अपने स्कूल के एक दोस्त आनंद नायक से मिले और आनंद ने उन्हें बताया कि वह बिजनेस करना चाहते हैं. 

गर्ल्स हॉस्टल के पास शुरू किया पहला आउटलेट 
आनंद और अनुभव ने मन बना लिया कि वे बिजनेस ही करेंगे. खुद पर भरोसा करके आनंद ने रिस्क लिया और 2016 में बिना अपने परिवार को बताए इंदौर चले गए. इंदौर में उन्होंने देखा और सोचा कि वे क्या कर सकते हैं और आखिरकार चाय पर आकर तलाश खत्म हुई. 

अनुभव बताते हैं, "आनंद के पास 3 लाख रुपए की सेविंग्स थीं और वही हमारी इंवेस्टमेंट थी. इतने लिमिटेड फंड थे कि हम कहीं भी फिजूल खर्च नहीं कर सकते थे. इसलिए हमने बहुत सोच-समझकर सब चीजें कीं." उन्होंने अपना पहला आउटलेट एक गर्ल्स हॉस्टल के पास खोला. उनका कहना है कि आप माने या न माने लेकिन गर्ल्स हॉस्टल के पास लड़कों का आना तय है और हमें उन्हीं को अपना ग्राहक बनाना था. 

3 लाख रुपयों को उन्होंने बहुत ध्यान से खर्चा. ज्यादा से ज्यादा काम खुद करने की कोशिश की. जगह के रेंट और फर्निशिंग के बाद उनके पास अपने ब्रांड नाम का बोर्ड लगाने तक के पैसे नहीं थे. इसलिए उन्होंने बस एक लकड़ी के फट्टे पर कलर्ड स्प्रे से लिख दिया- Chai Sutta Bar 

बिल्कुल खिलाफ हैं सुट्टा के 
बात अगर ब्रांड नाम की करें तो अनुभव का कहना है कि उन्हें कोई अलग नाम चाहिए था. इसलिए उन्होंने यह नाम रखा लेकिन उन्होंने कभी भी सुट्टा या शराब को प्रमोट नहीं किया. न ही ऐसा कोई प्रॉडक्ट आपको उनके आउटलेट्स में मिलेगा. यहां तक कि उनके आउटलेट्स में सिगरेट पीने पर मनाही है. 

अनुभव का कहना है कि यह उनकी मार्केटिंग एप्रोच थी. क्योंकि उनके पास मार्केटिंग पर खर्च करने के लिए कोई पैसे नहीं थे. इसलिए उन्होंने खुद ही अपने कैफे की मार्केटिंग की. अनुभव ने कहा, "हमने कुछ दिन अपने दोस्तों को ऐसे ही आउटलेट पर चाय पीने बुलाया ताकि लोगों को भीड़ दिखे. इसके अलावा कहीं भी जाते थे तो खुद ही तेज-तेज बातें करते कि चाय सुट्टा बार गए हो. बड़ा अच्छा कैफे हैं ताकि लोगों को पता चले और इस सबका फायदा हमें मिला."

दिव्यांगों और कुम्हारों को दिया रोजगार 
अनुभव बताते हैं कि अपना बिजनेस शुरू करने के दो महीने बाद ही उनका दूसरा आउटलेट शुरू हो गया था. तब से लगतार उनका बिजनेस बढ़ा है. लॉकडाउन का समय मुश्किल भरा था लेकिन उन्होंने किसी तरह मैनेज कर लिया. लेकिन अब वह अच्छा कर रहे हैं. आज उनके 195+ शहरों में कुल 400+ आउटलेट हैं. भारत के अलावा, उनके दुबई, नेपाल और पोर्ट ब्लेयर में भी आउटलेट हैं. 

सबसे खास बात यह है कि अपने इन आउटलेट्स के जरिए वह लगभग 400 कुम्हार परिवारों को काम दे रहे हैं. उनके आउटलेट्स की खासियत है कि चाय कुल्हड़ में मिलती है. जिसके लिए वह लगातार कुल्हड़ बनवाते हैं और इससे 400 कुम्हार परिवारों का घर चल रहा है. बात अगर उनके आउटलेट्स में काम करने वाले स्टाफ की करें तो दिव्यांग और जरूरतमंद लोगों को वे प्राथमिकता देते हैं. 

'फेलियर से घबराना नहीं चाहिए'
अंत में, अनुभव बस यही कहते हैं कि कोई भी, कभी भी अपने काम की शुरूआत कर सकता है. आपको कभी भी फेलियर से घबराना नहीं चाहिए. क्योंकि फेलियर आपके पांव जमीन पर रखते हैं और आपको पता होता है कि आपको अपने काम पर फोकस करना है. 

उनका कहना है कि उन्होंने हमेशा अपने प्रॉडक्ट और इसकी क्वालिटी पर काम किया है. अपने प्रॉडक्ट यानी कि चाय को अपनी पहचान बनाया है और आज उनके पास 7 फ्लेवर्स की चाय हैं और इनमें से चॉकलेट चाय खूब मशहूर है. इसलिए अगर आपको अपने आस-पास चाय सुट्टा बार दिख जाए तो एक पल की भी देरी न करें, यहां जाकर कुल्हड़ की चाय पीने में.