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Retail Inflation: जुलाई में रिटेल महंगाई घटकर पहुंची 3.54% पर, 5 साल बाद 4 प्रतिशत से नीचे पहुंचा आंकड़ा, जानें क्या हुआ सस्ता और किसके बढ़े दाम

CPI Data July 2024: रिटेल महंगाई दर में गिरावट की बड़ी वजह खाद्य महंगाई दर में कमी है. जून 2024 में खाद्य महंगाई दर 9.26 फीसदी रही थी, जो जुलाई 2024 में घटकर 5.42 फीसदी पर आ गई. सब्जियों और दालों की महंगाई दर में कमी के चलते खाद्य महंगाई घटी है. 

Retail Inflation ( File Photo: PTI) Retail Inflation ( File Photo: PTI)
हाइलाइट्स
  • जून 2024 में 5.08% रही थी खुदरा महंगाई दर

  • जुलाई 2023 में खाद्य महंगाई दर थी 7.44 फीसदी 

Retail Inflation in July 2024: आम आदमी के लिए महंगाई को लेकर राहत भरी खबर है. खुदरा मुद्रास्फीति (Retail Inflation) में भारी गिरावट आई है. खाने-पीने की कई चीजों के दाम घटने से महंगाई नीचे आई है.

सोमवार की शाम जारी रिटेल महंगाई दर (CPI Inflation) के आंकड़े पिछले 59 महीने में सबसे कम रहे हैं. सरकार की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक जुलाई 2024 (July 2024) में खुदरा महंगाई दर 3.54 फीसदी रही है. ये अगस्त 2019 के बाद सबसे निचला स्तर है. उस समय रिटेल महंगाई दर 3.28 फीसदी पर थी. 

शहरी और ग्रामीण महंगाई भी घटी 
जून 2024 में खुदरा महंगाई दर 5.08 फीसदी और पिछले साल जुलाई में ये 7.44 फीसदी थी. सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MOSPI) ने ये डेटा जारी किया है. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के आंकड़ों के मुताबिक अनाज, फल, सब्जी, दाल, मसालों के दाम घटने से खाद्य महंगाई दर 9.36 प्रतिशत (जून 2024) से घटकर जुलाई में 5.42 प्रतिशत रही.

सम्बंधित ख़बरें

एक साल पहले जुलाई 2023 में खाद्य महंगाई 11.51 प्रतिशत रही थी. शहरी और ग्रामीण महंगाई भी घटी है. शहरी महंगाई जहां 4.39 प्रतिशत से घटकर 2.98 प्रतिशत पर आ गई है तो वहीं ग्रामीण महंगाई 5.66 प्रतिशत से घटकर 4.10 प्रतिशत पर पहुंच गई है.

इस साल कैसी रही महंगाई दर
1. जनवरी में रिटेल महंगाई 5.01%
2. फरवरी में 5.09% 
3. मार्च में 4.85%
4. अप्रैल में 4.83%
5. मई में 4.75% 
6. जून में 5.08% 
 
किसकी कीमत में कितनी आई गिरावट
1. एनएसओ की ओर से जारी खुदरा महंगाई दर के आंकड़ों के मुताबिक जुलाई 2024 में जून के मुकाबले सब्जियों और दालों की कीमत में भारी कमी आई है. 
2. जुलाई में सब्जियों की महंगाई दर घटकर 6.83 फीसदी रही है, जो जून में 29.32 फीसदी थी. 
3. दालों की महंगाई दर जुलाई में 14.77 फीसदी रही है, जो जून में 14.77 फीसदी थी. 
4. अनाज और उससे जुड़े प्रोडक्ट्स की महंगाई दर जुलाई में 8.14 फीसदी रही है, जो जून में 8.75 फीसदी रही थी. 
5. चीनी की महंगाई दर जुलाई 5.22 फीसदी रही, जो जून में 5.83 फीसदी थी. 
6. अंडों की महंगाई दर जुलाई बढ़ी है और ये 6.76 फीसदी रही. जून में 3.99 फीसदी थी. 
7. मीट और मछली की महंगाई जुलाई में 5.97 फीसदी रही, जून में 5.39 फीसदी थी.
8. दूध, मिल्क प्रोडक्ट्स की महंगाई दर जुलाई में 2.99 फीसदी रही, जो जून में 3 फीसदी थी.
9. हाउसिंग की महंगाई जुलाई में 2.68 फीसदी रही, जो जून में 2.69 फीसदी थी. 
10. खाने का तेल जून में -2.68 प्रतिशत और जुलाई में -1.17 प्रतिशत.
11. फल की महंगाई दर जून में 7.15 प्रतिशत और जुलाई में 3.84 प्रतिशत रही.
12. मसाले की महंगाई दर जून में 2.06 प्रतिशत और जुलाई में -1.43 प्रतिशत रही. 
13. सॉफ्ट ड्रिंक्स की महंगाई दर जून 2.36 में प्रतिशत और जुलाई में 2.29 प्रतिशत रही.
14. पान-तंबाकू की महंगाई दर जून में 3.08 प्रतिशत और जुलाई में 3.02 प्रतिशत रही.
15. कपड़े और फुटवियर की महंगाई दर जून में 2.73 प्रतिशत और जुलाई में 2.67 प्रतिशत रही.
16. फ्यूल एंड लाइट की महंगाई दर जून में -3.66 प्रतिशत और जुलाई में -5.48 प्रतिशत रही. 

औद्योगिक उत्पादन इतना प्रतिशत बढ़ा
1. जून में औद्योगिक उत्पादन 4.2 प्रतिशत बढ़ा. 
2. एक साल पहले इसी अवधि में इसमें 4 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई थी. 
3. अप्रैल-जून तिमाही में औद्योगिक उत्पादन 5.2 प्रतिशत बढ़ा.
4. एक साल पहले इसमें 4.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी.

महंगी EMI से मिल सकती है राहत
महंगाई दर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के टारगेट 4 प्रतिशत से नीचे आ गई है. सरकार ने रिजर्व बैंक को खुदरा मुद्रास्फीति को दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत रखने की जिम्मेदारी दी हुई है. जुलाई में खुदरा महंगाई दर घटकर 3.54 फीसदी पर आ गई है, जो पिछले 5 सालों में सबसे कम है. ऐसे में ये माना जा रहा है कि अक्टूबर 2024 में जब भारतीय रिजर्व बैंक पॉलिसी रेट्स की समीक्षा करेगा तब महंगी ईएमआई (EMI) से राहत मिल सकती है. 

मुद्रास्फीति से मतलब महंगाई
आम बोलचाल की भाषा में मुद्रास्फीति से मतलब महंगाई से है. जब उपभोक्ता वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में स्थाई या अस्थाई बढ़ोतरी होती है तो उसे मुद्रास्फीति या महंगाई कहते हैं. मुद्रास्फीति वो स्टेज है, जिसमें मुद्रा की मूल्य गिरता है. इसका मतलब कीमतें बढ़ती रहती हैं.

कैसे तय होती है महंगाई
महंगाई को थोक मूल्य सूचकांक (WPI) और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) के जरिए मापकर तय किया जाता है. इनसे पता चलता है कि वस्‍तुओं के थोक और खुदरा मूल्यों में कितना बदलाव हुआ है. हम सामान और सर्विसेज के लिए जो औसत मूल्य चुकाते हैं, CPI उसी को मापता है. खुदरा मूल्‍य सूचकांक को 299 चीजों की कीमतों के आधार पर मापा जाता है.

खुदरा महंगाई दर तय करने में क्रूड ऑयल, कमोडिटी प्राइस, उत्पादन लागत के अलावा कई चीजों की भूमिका होती है. आपको मालूम हो कि महंगाई बढ़ने में लगभग 50 फीसदी योगदान खाने-पीने की चीजों का होता है. कई देशों में CPI मतलब कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स के जरिए महंगाई मापी जाती है. सीपीआई एक खास समय अवधि में सामान की कीमतों में बदलाव की माप है. इसे जीवन-यापन के खर्च और आर्थिक बढ़ोतरी दोनों के इंडिकेटर के तौर पर यूज किया जाता है.