महंगाई से आज हर कोई परेशान है. हर किसी के जेहन में सवाल है कि महंगाई कब कम होगी और आम आदमी को राहत कब मिलेगी. फिलहाल अच्छी खबर ये है कि सरकार ने महंगाई के मोर्चे पर बड़ा कदम उठाया है. मार्च 2024 तक कच्चे सोयाबीन और सूरजमुखी तेल के आयात को शुल्क मुक्त कर दिया है. इसके अलावा इनके आयात को कृषि सेस से मुक्त कर दिया है. इस कदम के बाद खाद्य तेलों की कीमतें कम होना तय है. यही नहीं लोगों को राहत के लिए सरकार पहले ही पेट्रोल डीजल पर लगने वाले एक्साइज ड्यूटी रविवार को घटा दी थी. जिसके बाद पेट्रोल डीजल के दामों में भी कमी आ गई थी. इतना ही नहीं कई राज्यों ने पेट्रोल डीजल पर वैट में कमी करके भी लोगों को महंगाई से कुछ राहत दी है. जाहिर है ये छोटी-छोटी राहतें आम आदमी के लिए किसी सौगात से कम नहीं हैं.
अब और नहीं बढ़ेगी महंगाई और आपकी जेब भी ढीली नहीं होगी, क्योंकि सरकार ने एक के बाद एक लगातार कई ऐसे फैसले लिए हैं. जिनसे आम लोगों को बड़ी राहत मिलने जा रही है। पहले पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी घटाई गई, फिर सोयाबीन और सूरजमुखी के तेल से कस्टम ड्यूटी खत्म की गई और 1 जून से चीनी के निर्यात पर भी पाबंदी लगने जा रही है और इससे पहले गेहूं का निर्यात भी रोक दिया गया यानी कुल मिलाकर सरकार ने महंगाई पर कर दी सर्जिकल स्ट्राइक. हम आपको एक-एक करके बताएंगे कि सरकार ने क्या फैसले लिए हैं और इसके क्या फायदे होने जा रहे हैं.
खाद्य तेलों पर कस्टम ड्यूटी घटी
बात खाद्य तेलों की करें तो खाद्य तेलों से कस्टम ड्यूटी घटाने का फैसला बेहद अहम है क्योंकि इससे आपके किचन का बजट नहीं बिगड़ेगा और रसोई में तड़का भी बरकरार रहेगा. सरकार ने देश के लाखों-करोड़ों गृहिणियों को वो सौगात दी है, जिसका लंबे समय से इंतजार हो रहा था. सरकार ने सोयाबीन और सूरजमुखी के तेल के आयात पर कस्टम ड्यूटी खत्म कर दी है. साथ ही एग्रीकल्चरल इंफ्रास्ट्रक्चर और डेवलपमेंट सेस भी नहीं लिया जाएगा. सरकार ने 25 मई 2022 से 31 मार्च 2024 तक यानी करीब 2 साल के लिए यह व्यवस्था की है. 2022-23 और 2023-24 में 20-20 लाख मीट्रिक टन खाद्य तेल के आयात को सरकार ने ड्यूटी फ्री कर दिया है. यानी साफ है कि सरकार ने 2024 यानी चुनावी साल तक खाद्य तेलों की कीमत पर राहत का इंतजाम कर दिया है. बता दें कि भारत दुनिया में सबसे अधिक खाद्य तेल आयात करता है. देश में जरूरत का 60 फीसदी से ज्यादा खाद्य तेल आयात करना पड़ता है. इसमें सबसे बड़ा हिस्सा सोयाबीन और सूरजमुखी के तेल का ही है. सरकार के फैसले से सोयाबीन और सूरजमुखी तेल की कीमतों में गिरावट तय मानी जा रही है.
विदेशी बाजारों में इस तरह होगा असर
वैसे, आपको बता दें कि इन तेलों का इस्तेमाल खाना बनाने के अलावा कई और कामों के लिए भी होता है. रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते खासतौर से सूरजमुखी के तेल के आयात पर असर पड़ा. भारत में 70 फीसदी से ज्यादा सूरजमुखी का तेल यूक्रेन से आता रहा है. जबकि इसका 20 प्रतिशत आयात रूस से और 10 प्रतिशत अर्जेंटीना और दूसरे देशों से होता है. जबकि सोयाबीन तेल का आयात ब्राजील और अर्जेंटीना से होता है. अब इन खाद्य तेलों के आयात से कस्टम ड्यूटी हटने से यूक्रेन को छोड़कर बाकी देशों से इन्हें मंगाने में कारोबारियों को सहूलियत होगी. लेकिन आम ग्राहकों को फायदा तभी मिलेगा, जब उनकी खुदरा कीमत पर नियंत्रण रहे. इससे पहले, इंडोनेशिया ने 23 मई से पाम ऑयल के निर्यात पर से रोक हटाने का ऐलान किया था, जिससे भारत में भी इस तेल की कीमतों में कमी की उम्मीद है. भारत इंडोनेशिया से सालाना करीब 80 लाख टन पाम ऑयल खरीदता है. जबकि, भारत में खाद्य तेलों के इस्तेमाल में पाम ऑयल की हिस्सेदारी करीब 40 फीसदी है. वहीं इंडोनेशिया को निर्यात पर रोक से नुकसान हो रहा था.
चीनी के निर्यात पर 1 जून से रोक रहेगी
अहम फैसला चीनी पर भी लिया गया है. भारत सरकार ने अब चीनी के निर्यात पर रोक लगाकर इसकी कीमतों को काबू में रखने की तैयारी कर ली है. DGFT के मुताबिक, चीनी के निर्यात पर 1 जून से रोक रहेगी।
ये रोक 31 अक्टूबर 2022 तक यानी दिवाली के बाद तक जारी रहेगी. इसके बाद चीनी के निर्यात के लिए सरकार से इजाजत लेनी होगी. भारत विश्व का सबसे बड़ा चीनी उत्पादक है माना जा रहा है सरकार कम से कम दो से तीन महीने का अतिरिक्त चीनी स्टॉक रखना चाहती है ताकि देश में इसकी बढ़ती मांग को पूरा किया जा सके और घरेलू बाजार में चीनी की कीमतों में उछाल को रोका जा सके, क्योंकि पिछले साल और इस साल तय लक्ष्य से ज्यादा चीनी का निर्यात तो किया ही जा चुका है. 6 साल में पहली बार सरकार ने चीनी के निर्यात पर रोक लगाई है.
16 मई से गेहूं के निर्यात पर रोक
इससे पहले, 16 मई को सरकार ने गेहूं के निर्यात पर भी रोक लगाने का फैसला किया था. माना जा रहा है कि इससे आम लोगों को भी फायदा होगा और सरकारी योजनाओं के लिए भी देश में अनाज की कमी नहीं होगी. बहरहाल, सबसे बड़ा मुद्दा महंगाई का है, जो हाल के दिनों में बेकाबू होती दिख रही थी. सरकार के ताजा कदमों से अगर महंगाई पर लगाम लगाने में मदद मिलती है, तो इससे अच्छी बात क्या हो सकती है.
महंगाई से राहत का रोडमैप
महंगाई का मुद्दा सियासत में छाया है. इसे लेकर सरकार भी दबाव में है. ऐसे में सरकार की कोशिश है कि महंगाई और ज्यादा न बढ़े और जहां तक हो सके लोगों को राहत दी जा सके. आम आदमी को राहत देने के लिए सरकार का एक्शन प्लान आखिर है क्या, ये जान लीजिए. सरकार इस बात पर भी गंभीरता से विचार कर रही है कि लोगों को कहां कहां और कैसे राहत दी जा सकती है. पेट्रोल डीजल पर एक्साइज ड्यूटी में पहले ही भारी कटौती की जा चुकी है. माना जा रहा है कि पेट्रोल डीजल के दामों में कमी का असर दूसरे तमाम उत्पादों पर दिख सकता है. सरकार की कोशिश महंगाई दर में 70 बेसिस प्वाइंट तक कटौती करने की है. महंगाई को लेकर वित्त मंत्रालय और पीएमओ एक दूसरे के संपर्क में है. वित्त मंत्रालय ने अधिकारियों से उन उत्पादों की लिस्ट मांगी है जिनको सस्ता करके लोगों को राहत दी जा सकती है. यही नहीं सरकार कुछ रॉ मैटेरियल के दामों में भी कटौती का प्लान भी बना रही है.