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अर्जेंसी के नाम पर तो कभी बास्केट स्नीकिंग के जरिए..डार्क पैटर्न के जाल में फंस रहे भोले-भाले ग्राहक, जानिए क्या है यह स्कैम

ग्राहकों को सामान खरीदने पर मजबूर करना या अपनी मर्जी से कुछ थोपना डार्क पैटर्न कहलाता है. बेंगलुरु के एक कस्टमर ने फ्री में उनकी मर्जी के बिना टमाटर देने को लेकर Swiggy Instamart पर डार्क पैटर्न का आरोप लगाया है.

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हाइलाइट्स
  • अपनी मर्जी से कुछ थोपना डार्क पैटर्न कहलाता है.

  • डार्क पैटर्न की रोकथाम के लिए क्या कहती है गाइडलाइन

बेंगलुरु बेस्ड एक प्रोडक्ट डिजाइनर रामानुजन ने फ्री में टमाटर देने को लेकर स्विगी इंस्टामार्ट को फटकार लगाई और इसे "डार्क पैटर्न" बताया. दरअसल रामानुजन के ऑर्डर में फ्री के टमाटर अपने आप एड हो गए और इन्हें हटाने का कोई ऑप्शन भी नहीं था.

रामानुजन ने एक्स पर अपने ऑर्डर का स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए लिखा "स्विगी इंस्टामार्ट का डिजाइन बेहद खराब है, इसमें कोई भी आइटम मेरे कार्ट में जुड़ जाता है. मुझे टमाटर नहीं चाहिए, लेकिन मैं इसे अपने कार्ट से हटा भी नहीं सकता. भले ही यह फ्री है, लेकिन यह बास्केट स्नीकिंग है जो एक डार्क पैटर्न है."

ग्राहकों को सामान बेचने के लिए मैनिपुलेट करना डार्क पैटर्न
दरअसल कई ऑनलाइन रिटेल कंपनियां ग्राहकों को सामान खरीदने को मजबूर करने के लिए डार्क पैटर्न्स अपनाती हैं. कई बार पहले आओ पहले पाओ जैसी अर्जेंसी जिखाकर तो कभी बास्केट स्नीकिंग के जरिए. अपना प्रोडक्ट बेचने के लिए डार्क पैटर्न का इस्तेमाल ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीकों में किया जाता है.

डार्क पैटर्न क्या हैं?
ऑनलाइन ग्राहकों को धोखा देने या उनकी पसंद में हेरफेर करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली रणनीति को ‘डार्क पैटर्न’ कहते हैं. ये इस तरह से डिजाइन किए जाते हैं कि ग्राहक गुमराह हो जाए. ये वेबसाइट यूजर को जानबूझकर ऐसे प्रोडक्ट के पेज पर ले जाते हैं जिसे आमतौर पर वह खरीदना नहीं चाहता. ई-कॉमर्स कंपनियां अपने प्लेटफॉर्म पर कई प्रोडक्ट के डिटेल्स को लेकर कुछ चीजें हाइड करती हैं या ऐसी जगह रखती हैं जहां यूजर्स को दिखता नहीं है. डार्क पैटर्न में कंपनियां ग्राहकों को मैनिपुलेट करती हैं, जिससे वो उनका प्रोडक्ट खरीद लेते हैं और बाद में खुद को ठगा हुआ महसूस करते हैं. क्स्टमर को लगता है कि उसे एक की कीमत में दो प्रोडक्ट मिल रहे हैं लेकिन असल में ऐसा नहीं होता है.

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कैसे अंजाम दिया जाता है डार्क पैटर्न

बास्केट स्नीकिंग: इसमें बिना बताए ग्राहक के कार्ट में एक सामान एड कर दिया जाता है, ये आपको दिखने में मुफ्त लगता है लेकिन बाद में इसकी कीमत भी ग्राहक के बिल में जोड़ दी जाती है.

अर्जेंसी: इसमें ग्राहक से झूठ बोला जाता है कि सामान खत्म होने वाला है या रेट बढ़ने वाला है जल्दी खरीद लें.

हिडन कॉस्ट: ई कॉमर्स कंपनी की तरफ से पहले कीमत की जानकारी नहीं दी जाती, बाद में बिल में उसकी कीमत जोड़ दी जाती है.

नैनिंग: इसमें कस्टमर को किसी प्रोडक्ट को खरीदने के लिए मजबूर किया जाता है.

डार्क पैटर्न के लिए थर्ड पार्टी एप्स की सर्विस
मान लीजिए आप कोई प्रोडक्ट सर्च कर रहे हैं. ठीक उसी समय डार्क पैटर्न के जरिए ऑनलाइन वेबसाइट्स अच्छी तस्वीरों और झांसा देने वाले मैसेजेस के जरिए आपको उन प्रोडक्ट के बारे में बताते हैं जिनके बिकने से उन्हें ज्यादा फायदा होता है. जरूरत से ज्यादा जानकारी हासिल करना, ई-मेल सर्विस के लिए साइन इन करवा लेना, ऑर्डर कैंसिल करना मुश्किल बनाना जैसे काम डार्क पैटर्न में आते हैं. इसमें ग्राहकों को ऑप्ट आउट करने का ऑप्शन नहीं दिया जाता है. कई कंपनियां डार्क पैटर्न के लिए थर्ड पार्टी एप्स की सर्विस भी लेती हैं.

सरकार ने क्या वॉर्निंग दी है?
सरकार ने ई-कॉमर्स कंपनियों से अपने प्लेटफॉर्म के ऑनलाइन इंटरफेस में ऐसे किसी भी डिजाइन या पैटर्न को शामिल करने से दूर रहने को कहा है जो कस्टमर को धोखा दे सकता है या उनकी पसंद में हेरफेर कर सकता है. प्रॉफिट के लिए डार्क पैटर्न का इस्तेमाल उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत अपराध है और पकड़े जाने पर जुर्माना लगाया जा सकता है. CCPA यानी सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी ने पिछले साल इस मामले में नोटिफिकेशन भी जारी किया था.