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अमेजन के साथ विवाद में फ्यूचर ग्रुप को दिल्ली हाईकोर्ट में झटका, खारिज हुई याचिका

दिल्ली हाई कोर्ट में फ्यूचर ग्रुप की ओर से दलील दी गई थी कि 2019 के सौदे के लिए CCI की मंजूरी के निलंबन के साथ, फ्यूचर के साथ अमेजन के निवेश सौदे को अमान्य कर दिया गया है. लिहाजा उससे उत्पन्न होने वाली मध्यस्थता की कार्यवाही खड़ी नहीं रह सकती है.

अमेजन के साथ विवाद में फ्यूचर ग्रुप को दिल्ली हाईकोर्ट में झटका अमेजन के साथ विवाद में फ्यूचर ग्रुप को दिल्ली हाईकोर्ट में झटका
हाइलाइट्स
  • मध्यस्थता कार्यवाही रोकने की याचिका खारिज

  • CCI ने अमेजन पर 200 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया

फ्यूचर ग्रुप और अमेजन के बीच कानूनी विवाद में फ्यूचर ग्रुप को बड़ा झटका लगा है. सिंगापुर में अमेजन और फ्यूचर ग्रुप के बीच मध्यस्थता कार्यवाही रोकने के लिए दाखिल फ्यूचर ग्रुप की याचिका दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है. हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद ये तय हो गया कि सिंगापुर ट्रिब्यूनल की कार्यवाही बुधवार को भी जारी रहेगी.

दिल्ली हाई कोर्ट में फ्यूचर ग्रुप की ओर से दलील दी गई थी कि 2019 के सौदे के लिए CCI की मंजूरी के निलंबन के साथ, फ्यूचर के साथ अमेजन के निवेश सौदे को अमान्य कर दिया गया है. लिहाजा उससे उत्पन्न होने वाली मध्यस्थता की कार्यवाही खड़ी नहीं रह सकती है. फ्यूचर ग्रुप ने भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) के 18 दिसंबर के आदेश के मद्देनजर दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.

आयोग के आदेश में 2019 में अमेज़ॅन-फ्यूचर ग्रुप के बीच हुए समझौते के लिए मंजूरी को निलंबित करते हुए  CCI ने फैसला दिया था कि उस समझौते यानी डील में अमेजन ने प्रासंगिक जानकारी का खुलासा नहीं किया था. ये एक तरह से समझौते के साथ दगा थी. इसे रेखांकित करते हुए CCI ने अमेजॉन पर 200 करोड़ रुपए का जुर्माना भी लगाया था.

जुर्माना लगाने के बाद सीसीआई ने अमेज़ॅन को 17 फरवरी तक नए दस्तावेज दाखिल करने की मोहलत देते हुए कहा था कि ये कार्रवाई पूरी होने के बाद ही सौदे को मंजूरी देने पर पुनर्विचार किया जाएगा. फ्यूचर ग्रुप ने पहले मामले की सुनवाई कर रहे सिंगापुर आर्बिट्रेशन ट्रिब्यूनल के समक्ष इसे समाप्त करने का अनुरोध किया था. ट्रिब्यूनल ने फौरी तौर पर इस अनुरोध को स्वीकार कर दिया गया था. तब फ्यूचर ग्रुप ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी. 

सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी फ्यूचर ग्रुप की ओर से दिल्ली हाई कोर्ट में तर्क दिया था कि CCI  के आदेश के बाद तो मध्यस्थता की कार्यवाही 'निरर्थक' और 'अप्रासंगिक' है. लिहाजा इसका ना तो कोई मतलब है ना ही मकसद. अमेजन के लिए वरिष्ठ वकील गोपाल सुब्रमण्यम की दलील थी कि कानूनन मध्यस्थता खत्म करने या समझौते में फेर बदल मुख्य अनुबंधों से स्वतंत्र हैं. इन्हें केवल इसलिए समाप्त नहीं कर सकते क्योंकि सीसीआई जैसे नियामक से उनको दी गई मंजूरी निलंबित कर दी गई है.

गोपाल सुब्रमण्यम ने ये भी तर्क दिया कि सिंगापुर स्थित ट्रिब्यूनल ने मध्यस्थता समाप्ति की अर्जी को खारिज नहीं किया बल्कि मुख्य सुनवाई के बाद आवेदन पर सुनवाई करने पर सहमत हो गया है. दिल्ली हाईकोर्ट में जस्टिस अमित बंसल की एकल न्यायाधीश पीठ ने सोमवार को मामले की सुनवाई पूरी कर आदेश सुरक्षित रख लिए थे. आज मंगलवार को हाईकोर्ट ने आदेश सुनाते हुए फ्यूचर ग्रुप की याचिका खारिज कर दी है.