scorecardresearch

देवघर की महिलाएं स्ट्रॉबेरी की खेती कर बन रही हैं आत्मनिर्भर, इजरायल से ली है ट्रेनिंग

झारखंड के देवघर में स्ट्रॉबेरी की खेती की जा रही है. इसमें सेल्प हेल्प ग्रुप (SHG) की महिला सखी मंडल ग्रुपिंग खेती कर रही हैं. ग्रुप के माध्यम से सभी महिलाएं मिल कर देवघर जिले के सभी प्रखंडों में लगभग 10 एकड़ जमीन में स्ट्रॉबेरी की खेती कर रही हैं.

स्ट्रॉबेरी की खेती (प्रतीकात्मक तस्वीर) स्ट्रॉबेरी की खेती (प्रतीकात्मक तस्वीर)
हाइलाइट्स
  • झारखंड के देवघर में पहली बार स्ट्रॉबेरी की खेती.

  • कृषि विभाग की ओर से भी मदद दी जा रही है.

भारत किसानों का देश है. अलग-अलग जलवायु और मौसम के कारण तरह-तरह के फल और सब्जी हमारे देश में आसानी से उगाए जाते हैं.  पर खेती के परंपरागत तरीकों पर ज्यादा निर्भरता के कारण भारत में कई बार ना सिर्फ उत्पादन में कमी रह जाती है बल्कि कई चीजों की खेती नहीं हो पाती है. वहीं दूसरी ओर इजरायल को युवा किसानों का देश कहा जाता है. इजरायल ने नई तकनीक के साथ खेती करके देश और दुनिया में अपनी पहचान बनाई है. इसी बात को ध्यान में रखते हुए झारखंड सरकार ने प्रदेश के किसानों को ट्रेनिंग के लिए इजरायल भेजा था .  

 इजरायल में खेती के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले लेटेस्ट तरीकों का प्रशिक्षण लेकर किसान नई तकनीक के साथ खेती कर सकें और आत्मनिर्भर बन सके इसके लिए झारखंड सरकार ने राज्य के किसानों को प्रशिक्षण के लिए इजरायल भेजा था. प्रशिक्षण लेने वाले में देवघर जिला के पदनबोरा गांव के वकील यादव भी शामिल हैं वकील को खेती से बहुत लगाव है और इसी वजह से झारखंड सरकार ने उन्हें प्रशिक्षण के लिए इजरायल भेजा था. प्रशिक्षण लेने के बाद वकील यादव ने ना खुद खेती करना शुरू किया बल्कि और लोगों को भी  प्रशिक्षण देने लगे. वकील यादव ना सिर्फ नई तकनीक के साथ खेती कर रहे हैं बल्कि महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए भी कदम उठा रहे हैं.  

महिलाएं कर रही हैं स्ट्रॉबेरी की खेती

इस दिशा में काम करते हुए झारखंड में स्ट्रॉबेरी (Strawberry) की खेती की जा रही है. रांची में भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के फार्म हाउस के बाद पहली बार झारखंड के देवघर में स्ट्रॉबेरी की खेती की जा रही है. इसमें सेल्प हेल्प ग्रुप (SHG) की महिला सखी मंडल ग्रुपिंग खेती कर रही हैं. ग्रुप के माध्यम से सभी महिलाएं मिल कर देवघर जिले के सभी प्रखंडों में लगभग 10 एकड़ जमीन में स्ट्रॉबेरी की खेती कर रही हैं. खेती करने वालों का कहना है कि स्ट्रॉबेरी काफी पौष्टिक होता है और महंगा भी बिकता है.  स्ट्रॉबेरी की खेती के बारे में बात करते हुए किसानों का कहना है कि स्ट्रॉबेरी पहली बार लगाए हैं इसलिए कितना फायदा होगा या क्या नुकसान होगा ये तो नहीं पता, लेकिन हमलोग इस बात से खुश हैं कि इजराइल से  प्रशिक्षण लेने के बाद कुछ नया कर रहे हैं.  

स्ट्रॉबेरी की खेती में कृषि विभाग के अधिकारी और जेएसएलपीएस की ओर से भी मदद दी जा रही है. साथ ही  पौधा भी कृषि विभाग की और से ही महिला किसानों को उपलब्ध कराया गया है.  झारखंड में स्ट्रॉबेरी की खेती में लगे सभी किसान इस नई खेती और तरीकों से काफी खुश हैं और उम्मीद कर रहे हैं कि इससे अच्छा मुनाफा भी होगा. किसानों का कहना है कि अगर अच्छा मुनाफा हुआ तो आने वाले दिनों में और ज्यादा मात्रा में इसकी खेती की जाएगी.  

(देवघर से शैलेन्द्र मिश्रा की रिपोर्ट)